पशुओं में होने वाला थनैला रोग इंसानों के लिए भी काफी गंभीर है। अगर कोई थनैला रोग से ग्रसित पशु का दूध कोई इंसान बिना उबाले पी ले तो वह भी गंभीर रूप से बीमार पड़ सकता है। उसके बाद उस पर एंटीबॉयोटिक दवाओं का भी असर नहीं करेंगे।
शोध में हुआ खुलासा:
यह खुलासा लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के वैज्ञानिकों के शोध में हुआ है। लुवास के वैज्ञानिकों ने इस संबंध में जांच के बाद इस बारे में खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने थनैला रोग से ग्रस्त पशु के दूध के परीक्षण किया तो चौंकाने वाले और खतरनाक तथ्य सामने आए। इनमें 100 से 150 प्रकार के वैक्टीरिया मिले। इनमें कुछ वैक्टीरिया तो ऐसे हैं जिन पर एंटीबॉयोटिक भी बेअसर हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसे में अगर गलती से ही यह दूध कोई व्यक्ति पी ले तो उनके शरीर में ये वैक्टीरिया पहुंच जाएंगे और फिर उस पर भी एंटीबॉयोटिक दवाएं असर नहीं करेंगी। इसलिए हमेशा दूध को अच्छी तरह छानकर और दो से तीन बार उबालने के बाद ही पीना चाहिए।
थनैला रोग में दूध देने वाले पशु के थन में सूजन आ जाती है। दूध का रंग और स्वाद बदल जाता है। दूध में मवाद आना, दूध फट के आना, छिछड़े पड़ जाना आदि इस रोग के लक्षण हैं।