समाज में स्त्री पुरूष के अलावा किन्नरों का भी समूह मौजूद है जो कि बेहद अलग ही जीवन जीता है। लोग किन्नरों के बारे में हर एक बात जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। वहीं आपको बता दें कि ये एक ऐसा विषय है जिसके बारे में लोग आज भी खुलकर बातें नहीं कर पाते हैं। यही कारण है कि इनके बारे में कई सारी बातें जानना चाहते हैं। किन्नरों से जुड़ा एक विषय है जिसे काफी गोपनीय रखा जाता है वो है उनकी मौत से जुड़ा विषय, हर किसी के मन में ये सवाल आता होगा कि जब किसी किन्नर की मौत होती है तो क्या होता होगा? तो आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें हम बताएंगे कि आखिर किन्नरों के मौत के बाद आखिरकार किस तरह से उनका अंतिम संस्कार किया जाता है।
किन्नरों की दुनिया जितनी अलग है, इनके रीति-रिवाज़ और संस्कार भी उतने ही अलग है। समाज में इस समुदाय को थर्ड जेंडर, ट्रांस जेंडर जैसे नामों से जाना जाता है। अगर बात करें इनके रीति-रिवाज और संस्कारों के बारे में तो शायद ये बात बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि जब किन्नरों की मौत होती है तो किन्नरों का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है?
सबसे पहले तो ये बता दें कि किन्नर की मौत के बाद किन्नरों का अंतिम संस्कार बहुत ही गुप्त तरीके से किया जाता है। जब भी किसी किन्नर की मौत होती है तो उसे समुदाय के बाहर किसी गैर किन्नर को नहीं दिखाया जाता। माना जाता है कि ऐसा करने से मरनेवाला अगले जन्म में भी किन्नर ही पैदा होगा। ज्यादातर किन्नर हिंदू धर्म को मानते हैं और इस धर्म के अनुसार शव को जलाया जाता है लेकिन किन्नरों के साथ ऐसा नहीं किया जाता। उन्हें दफनाने का रिवाज सदियों से चला आ रहा है। किन्नरों के समुदाय में शव को अग्नि नहीं देते बल्कि उसे दफनाते हैं।
किसी किन्नर की मौत हो जाती है तो उसकी डेड बॉडी को सफ़ेद कपड़े में लपेट दिया जाता है और बॉडी पर कोई भी बंधी हुई चीज नहीं छोड़ी जाती। इसके पिछे कारण बताया जाता है कि ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि उसकी आत्मा फ्री हो जाए और किसी तरह के बंधन और रिश्ते से वह हमेशा के लिए मुक्त रहे। साथ ही आपको ये भी बता दें कि किन्नरों के अंतिम संस्कार करने से पहले उसके शव को जूते-चप्पलों से पीटा जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से उसके इस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो जाता है।
समाज में आमतौर पर लोगों के मरने पर उसे परिवार वाले शोक मनाते हैं लेकिन वहीं किन्नरों में ऐसा नहीं होता है। उनके मौत पर शोक नहीं मनाया जाता है बल्कि उनके परिवार वाले खुशियां मनाते हैं क्योंकि मरने वाले को नरक रूपी जीवन से मुक्ति मिल गई
साथ ही अराध्य देव अरावन से ये कामना करते हैं कि अगले जन्म में मरने वाले को दोबारा किन्नर न बनाएं। इन सभी बातों को जानकर आपको हैरानी जरूर हो रही होगी लेकिन ये सत प्रतिशत सच है।