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इलाज करने वाले डॉक्टरों की शक्ल तक नहीं देखी, वे भगवान से कम नहीं

  • 18 फरवरी को इटली घूमने गया था परिवार, एक मार्च को लौटा तो संक्रमण लेकर आया
  • दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में 14 दिनों तक चला इलाज, अब आगरा में अपने घर लॉकडाउन का पालन कर रहे
  • परिवार के छह सदस्य हुए थे संक्रमित, बीपी व शुगर की बीमारी के बावजूद बुजुर्ग माता-पिता ने भी कोरोनावायरस को दी मात

आगरा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात के 63वें कार्यक्रम में ताजनगरी आगरा के रहने वाले कोरोना सर्वाइवर्स अशोक कपूर से उनकी आपबीती सुनी। अशोक व उनके परिवार के छह सदस्य उत्तर प्रदेश के पहले मरीज थे, जो कोविड-19 टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए थे। करीब दो हफ्ते के इलाज के बाद पूरा परिवार स्वस्थ है। यह परिवार 18 फरवरी को इटली गया था। एक मार्च को वापस लौटने पर टेस्ट कराया तो 11 सदस्यों में से 6 पॉजिटिव निकले थे। इसके बाद आगरा के जिला अस्पताल में भर्ती किया गया। वहां से प्रदेश सरकार ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भिजवाया। इस परिवार पर 14 दिनों तक क्या बीती? इसे अशोक के बेटे अमित ने दैनिक भास्कर से साझा किया…

यूरोप गया था परिवार, बहुत मुश्किल भरा समय था
अमित बताते हैं- वे और उनका परिवार 18 फरवरी को इटली गए थे। साथ में बड़े भाई का भी परिवार था। वहां से एक मार्च को भारत वापस लौटे। इस बीच उन्होंने हंगरी, एम्सटर्डम व आइसलैंड की यात्रा की। हमारे साथ गए एक रिश्तेदार में कोरोनावायरस का संक्रमण पॉजिटिव पाया गया था। इसकी जानकारी होने पर हमनें भी कोविड-19 का टेस्ट कराया। परिवार में कुल 11 लोग थे। सभी का टेस्ट किया गया तो छह सदस्यों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। एक ही परिवार के छह सदस्यों की रिपोर्ट पॉजिटिव आना, बहुत मुश्किल समय था। एक पल के लिए लगा कि सब कुछ खत्म हो गया।

मैंने डॉक्टरों की शक्ल नहीं देखी, वे भगवान से कम नहीं

अमित ने कहा- रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद परिवार के सभी संक्रमितों को जिला अस्पताल में भर्ती कर लिया गया। उसी दिन हमें दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भेज दिया गया। जहां हम 14 दिनों तक आइसोलेट रहे। परिवार से अलग-अलग रहना कितना मुश्किल होता है? यह पहली बार समझ में आया। चूंकि हमारे पास मोबाइल था, तो दुनिया से आने वाली खबरें मुझ तक पहुंचती थी। मन में भय था कि अब क्या होगा? मन में नकारात्मक भाव हावी होते जा रहे थे। लेकिन, डॉक्टर व अन्य स्टॉफ हमारी काउंसलिंग करते थे। बाद में मैंने कोराना महामारी से अपना ध्यान हटा दिया। जिन डॉक्टरों ने मेरा इलाज किया, उनकी शक्ल तक मैनें नहीं देखी है। लेकिन, वे हमारे लिए भगवान से कम नहीं थे।

बीपी व शुगर की बीमारी के बावजूद माता-पिता ने जीती जंग

अमित के साथ उनके बुजुर्ग पिता अशोक व मां भी कोरोना सर्वाइवर्स हैं। अमित बताते हैं कि, उनके पिता की उम्र 73 साल और मां की आयु करीब 65 साल है। दोनों को बीपी व शुगर की समस्या है। लेकिन वे भी ठीक हो चुके हैं। मेरा 16 वर्षीय भतीजा, मेरे बड़े भाई व भाभी भी कोरोना पॉजिटिव थीं। लेकिन, अब सभी ठीक हैं।

पहले तीन दिन नहीं दिखे कोई लक्षण

अमित बताते हैं कि अब जब कोरोना जैसी महामारी से जंग जीत चुका हूं तो लोग कई तरह के सवाल भी पूछते हैं। सबसे पहला सवाल लक्षणों को लेकर होता है। मैं उन्हें बताता हूं- पहले तीन दिन तो पता नहीं चलता कि, कोरोना हो गया है। क्योंकि, कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। उसके बाद मुझे बुखार व शरीर दर्द शुरू हुआ था। इसके बाद पेट में गड़बड़ी और फिर संक्रमण फेफड़ों तक पहुंच गया। सांस लेने में तकलीफ होने लगी। मुझे डॉक्टरों ने मलेरिया व स्वाइन फ्लू की दवाइयां दी थी। मैं दवाओं के नाम नहीं बताऊंगा, क्योंकि उसके बाद कुछ लोग खुद अपने डॉक्टर हो जाएंगे। ये लापरवाही भारी पड़ सकती है।

ये न सोचें, हमें नहीं होगी बीमारी, जान है तो जहान है
अमित ने कहा- यदि इस महामारी से उबरना है तो हम देशवासियों को 21 दिनों के लॉकडाउन का पालन करना। यह कभी न सोचें कि ये बीमारी मुझे नहीं हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देशवासियों के सामने हाथ जोड़ने में मजा नहीं आ रहा है। जब उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान हाथ जोड़ा था, तो उनके चेहरे पर देशवासियों की चिंता साफ झलक रही थी। उन्होंने एकाएक लॉकडाउन की घोषणा नहीं की है। अमेरिका व यूरोप के पास भारत से कहीं ज्यादा संसाधन है। लेकिन, वहां तबाही मची हुई है। हमें इससे मिलकर लड़ना है। सारी जिंदगी पड़ी है काम के लिए, लेकिन जान है तो जहान है।

एक सिटीजन को पीएम का फोन आना, सौभाग्य की बात

अमित कपूर ने पीएम से हुई बात के अनुभव को भी साझा किया। तीन दिन पहले पीएमओ से फोन आया था कि पीएम नरेंद्र मोदी सर अशोक कपूर से बात करना चाहते हैं। अशोक कपूर मेरे पिता हैं। एक सिटीजन को पीएम का फोन आए, ये सौभाग्य की बात है। उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों से आ रही पलायन की तस्वीरों को देखकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा- जो लोग घरों से बाहर हैं वे अपने लिए खतरा मोल ले रहे हैं और दूसरों के लिए भी खतरा बना रहे हैं। यूरोप व अन्य देशों से हमें सीख लेना चाहिए। अन्य देशों की तुलना में भारत में संसाधन नहीं है। लेकिन यहां हमारी सरकार, डॉक्टर अपनी क्षमताओं से अधिक काम कर रहे हैं।

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