Home / पोस्टमार्टम / किसी ने पाकिस्तान को धूल चटाई, तो किसी ने संघर्ष में तप कर खुद को साबित किया, ये हैं भारत की वंडर वुमन

किसी ने पाकिस्तान को धूल चटाई, तो किसी ने संघर्ष में तप कर खुद को साबित किया, ये हैं भारत की वंडर वुमन

नई दिल्ली. आज महिला दिवस है। महिलाएं हमारे समाज के लिए प्रेरणा देने का काम करती रहीं हैं। साथ ही महिला शक्ति आज एक बार फिर आगे आकर समाज का नेतृत्व कर रही है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। भारत में महिलाओं ने कई ऐसे उदाहरण समाज के सामने रखे हैं, जो मिसाल पेश कर रहे हैं। कभी संघर्ष तो कहीं परिवार और समाज की बंदिशों को तोड़कर महिलाओं ने अपने आप को साबित किया है। इस मौके पर हम ऐसी ही कुछ महिलाओं के बारे में आपको बता रहे हैं, जिन्होंने बहादुरी, दृढ़ता, साहस और अपने फैसलों से दुनियाभर में ना केवल महिलाओं बल्कि पूरे समाज को प्रेरणा दी है।

स्क्वॉड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल: स्क्वॉड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल पिछले साल बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद चर्चा में आई थीं। दरअसल, मिंटी अग्रवाल वही अफसर थीं, जो पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों के भारत में घुसने के वक्त विंग कमांडर अभिनंदन को गाइड कर रही थीं। अभिनंदन ने पाकिस्तान के आधुनिक एफ 16 विमान को मार गिराया था। मिंटी को 2019 में युद्ध सेवा मेडल से नवाजा गया। वे यह सम्मान पाने वालीं पहली महिला हैं।स्क्वॉड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल: स्क्वॉड्रन लीडर मिंटी अग्रवाल पिछले साल बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद चर्चा में आई थीं। दरअसल, मिंटी अग्रवाल वही अफसर थीं, जो पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों के भारत में घुसने के वक्त विंग कमांडर अभिनंदन को गाइड कर रही थीं। अभिनंदन ने पाकिस्तान के आधुनिक एफ 16 विमान को मार गिराया था। मिंटी को 2019 में युद्ध सेवा मेडल से नवाजा गया। वे यह सम्मान पाने वालीं पहली महिला हैं।
फ्लाइट ऑफिसर गुंजन सक्सेना ने करगिल युद्ध के वक्त युद्ध क्षेत्र में चीता हेलिकॉप्टर उड़ाया। वे पहली भारतीय महिला अफसर थीं, जिन्होंने युद्ध क्षेत्र में उड़ान भरी। उन्होंने युद्ध क्षेत्र में जरूरी सामान पहुंचाने के साथ साथ जख्मी सैनिकों का भी रेस्क्यू किया। इस दौरान गुंजन पर हमले भी किए गए, लेकिन उन्होंने निहत्थे ही सामना किया और जवानों को सुरक्षित निकाला। उन्होंने राष्ट्रपति ने शौर्य वीर पुरस्कार से सम्मानित किया था।फ्लाइट ऑफिसर गुंजन सक्सेना ने करगिल युद्ध के वक्त युद्ध क्षेत्र में चीता हेलिकॉप्टर उड़ाया। वे पहली भारतीय महिला अफसर थीं, जिन्होंने युद्ध क्षेत्र में उड़ान भरी। उन्होंने युद्ध क्षेत्र में जरूरी सामान पहुंचाने के साथ साथ जख्मी सैनिकों का भी रेस्क्यू किया। इस दौरान गुंजन पर हमले भी किए गए, लेकिन उन्होंने निहत्थे ही सामना किया और जवानों को सुरक्षित निकाला। उन्होंने राष्ट्रपति ने शौर्य वीर पुरस्कार से सम्मानित किया था।

तानिया शेरगिल चौथी पीढ़ी की सेना अफसर हैं। तानिया ने इससे पहले सेना दिवस पर दिल्ली के करियप्पा परेड मैदान में पुरुषों की सभी टुकड़ियों का नेतृत्व कर इतिहास रचा था। तानिया पंजाब के होशियारपुर से हैं। 5 फीट 10 इंच की तानिया सेना में जानें का श्रेय पिता को देती हैं। तानिया की तीन पीढ़ियों ने सेना में रहकर देश की सेवा की है। वे कहती हैं कि वे नाश्ते और खाने की टेबल पर बहादुरी की कहानियां सुन कर ही बड़ी हुई हैं।

तानिया का शुरू से ही देश सेवा का सपना था। वे बचपन में खिलौनों की जगह पिता के हथियारों से खेलती थीं। उनके पिता तोपखाने (अर्टिलरी), दादा बख्तरबंद और परदादा सिख रेजिमेंट में पैदल सैनिक के तौर पर रह चुके हैं। कैप्टन तानिया शेरगिल ने 2017 में सेना को जॉइन किया। वे चेन्नई के ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी से शामिल हुईं। तानिया शेरगिल सेना के सिग्नल कोर में कैप्टन हैं। उन्होंने नागपुर से इंजीनियरिंग की है।तानिया का शुरू से ही देश सेवा का सपना था। वे बचपन में खिलौनों की जगह पिता के हथियारों से खेलती थीं। उनके पिता तोपखाने (अर्टिलरी), दादा बख्तरबंद और परदादा सिख रेजिमेंट में पैदल सैनिक के तौर पर रह चुके हैं। कैप्टन तानिया शेरगिल ने 2017 में सेना को जॉइन किया। वे चेन्नई के ऑफिसर ट्रेनिंग अकादमी से शामिल हुईं। तानिया शेरगिल सेना के सिग्नल कोर में कैप्टन हैं। उन्होंने नागपुर से इंजीनियरिंग की है।
हिमा दास: आज हिमा दास के नाम से हर खेल प्रेमी बाकिब है। राजधानी दिल्ली से दो हजार किमी दूर असम के नागौन की रहने वाली हिमा ने यह पहचान ऐसे ही हासिल नहीं की। उनके परिवार में 17 लोग हैं। हिमा ने बचपन से ही खेती में परिवार का हाथ बटाया। हिमा अपने माता पिता की छठवीं संतान हैं। शुरुआत में हिमा फुटबॉल खेलना चाहती थीं। लेकिन जब वे स्कूल में लड़कों के साथ फुटबॉल खेलती थीं तो उनके टीचर ने उनकी फुर्ती देख उन्हें एथलीट बनने की सलाह दी।हिमा दास: आज हिमा दास के नाम से हर खेल प्रेमी बाकिब है। राजधानी दिल्ली से दो हजार किमी दूर असम के नागौन की रहने वाली हिमा ने यह पहचान ऐसे ही हासिल नहीं की। उनके परिवार में 17 लोग हैं। हिमा ने बचपन से ही खेती में परिवार का हाथ बटाया। हिमा अपने माता पिता की छठवीं संतान हैं। शुरुआत में हिमा फुटबॉल खेलना चाहती थीं। लेकिन जब वे स्कूल में लड़कों के साथ फुटबॉल खेलती थीं तो उनके टीचर ने उनकी फुर्ती देख उन्हें एथलीट बनने की सलाह दी।
हिमा ने रेस को चुना। इसके बाद वे घर से 140 किमी दूर बस से गुवाहाटी ट्रेनिंग के लिए जाती थीं। रात में घर लौटते वक्त 11 बज जाते थे। फिर सुबह वे घर से ट्रेनिंग के लिए निकल जातीं। हालांकि, बाद में वे वहीं रहकर ट्रेनिंग करने लगीं। हिमा के पिता ने देखा की उन्हें जूतों की जरूरत है, तो उन्होंने पाई पाई जोड़कर 1200 रुपए के जूते लिए। आज हिमा उस कंपनी की ADIDAS की ब्रांड एम्बेसडर हैं।हिमा ने रेस को चुना। इसके बाद वे घर से 140 किमी दूर बस से गुवाहाटी ट्रेनिंग के लिए जाती थीं। रात में घर लौटते वक्त 11 बज जाते थे। फिर सुबह वे घर से ट्रेनिंग के लिए निकल जातीं। हालांकि, बाद में वे वहीं रहकर ट्रेनिंग करने लगीं। हिमा के पिता ने देखा की उन्हें जूतों की जरूरत है, तो उन्होंने पाई पाई जोड़कर 1200 रुपए के जूते लिए। आज हिमा उस कंपनी की ADIDAS की ब्रांड एम्बेसडर हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानिटकर: सुप्रीम कोर्ट के महिलाओं को स्थाई कमीशन देने के ऐतिहासिक फैसले के बाद मेजर जनरल माधुरी कानिटकर ने हाल ही में लेफ्टिनेंट जनरल का पद संभाला। वे इसी के साथ देश के सुरक्षाबलों में तीसरी महिला अफसर बन गई हैं, जिन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल का पद संभाला है। माधुरी अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तहत बनाए गए डिफेंस स्टाफ के हेडक्वार्टर में तैनात रहेंगी।लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानिटकर: सुप्रीम कोर्ट के महिलाओं को स्थाई कमीशन देने के ऐतिहासिक फैसले के बाद मेजर जनरल माधुरी कानिटकर ने हाल ही में लेफ्टिनेंट जनरल का पद संभाला। वे इसी के साथ देश के सुरक्षाबलों में तीसरी महिला अफसर बन गई हैं, जिन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल का पद संभाला है। माधुरी अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तहत बनाए गए डिफेंस स्टाफ के हेडक्वार्टर में तैनात रहेंगी।
माधुरी सशस्त्र बलों की पहली महिला बाल रोग विशेषज्ञ हैं, जिन्हें लेफ्टिनेंट जनर के पद पर चुना गया है। माधुरी बताती हैं कि उनका कभी ये सपना नहीं रहा कि वे सेना में जाएं। यहां तक की उन्हें कक्षा 12वीं तक एएफएमसी (आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज) के बारे में भी पता नहीं था। माधुरी ने पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने मेडिकल लाइन में अपना करियर बनाने के बारे में सोचा।माधुरी सशस्त्र बलों की पहली महिला बाल रोग विशेषज्ञ हैं, जिन्हें लेफ्टिनेंट जनर के पद पर चुना गया है। माधुरी बताती हैं कि उनका कभी ये सपना नहीं रहा कि वे सेना में जाएं। यहां तक की उन्हें कक्षा 12वीं तक एएफएमसी (आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज) के बारे में भी पता नहीं था। माधुरी ने पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने मेडिकल लाइन में अपना करियर बनाने के बारे में सोचा।
सीमा राव: सीमा राव को भारत की वंडर वुमन भी कहा जा सकता है। वे देश की पहली महिला कमांडो ट्रेनर हैं। उन्होंने पिछले 20 साल में 20 हजार कमांडोज को ट्रेनिंग दी। उन्होंने इसके लिए सेना से एक भी पैसा नहीं लिया। सीमा इंडियन आर्मी, एयरफोर्स, नेवी सहित पैरामिलिट्री फोर्स के कमांडोज को ट्रेनिंग देती हैं। मिलिट्री मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट सीमा का जन्म मुंबई के बांद्रा में हुआ था। उनके पिता भी स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। सीमा एक शूटर भी हैं। वे 30 यार्ड की रेंज में किसी भी शख्स के सिर पर रखे सेब तक पर सटीक निशाना लगा सकती हैं।सीमा राव: सीमा राव को भारत की वंडर वुमन भी कहा जा सकता है। वे देश की पहली महिला कमांडो ट्रेनर हैं। उन्होंने पिछले 20 साल में 20 हजार कमांडोज को ट्रेनिंग दी। उन्होंने इसके लिए सेना से एक भी पैसा नहीं लिया। सीमा इंडियन आर्मी, एयरफोर्स, नेवी सहित पैरामिलिट्री फोर्स के कमांडोज को ट्रेनिंग देती हैं। मिलिट्री मार्शल आर्ट में ब्लैक बेल्ट सीमा का जन्म मुंबई के बांद्रा में हुआ था। उनके पिता भी स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। सीमा एक शूटर भी हैं। वे 30 यार्ड की रेंज में किसी भी शख्स के सिर पर रखे सेब तक पर सटीक निशाना लगा सकती हैं।
इंद्रा नूई : ऐसा माना जाता है कि एक शिक्षित या आत्मनिर्भर महिला अपनी काबिलियत की दम पर पूरी दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर सकती है। कुछ ऐसा ही साबित किया भारतीय मूल की इंद्रा नूई ने। नूई का जन्म चेन्नई में हुआ, उनकी शुरुआती शिक्षा भी चेन्नई में हुई। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका का रास्ता चुना। उन्होंने यहां येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की पढ़ाई की।इंद्रा नूई : ऐसा माना जाता है कि एक शिक्षित या आत्मनिर्भर महिला अपनी काबिलियत की दम पर पूरी दुनिया को अपनी मुट्ठी में कर सकती है। कुछ ऐसा ही साबित किया भारतीय मूल की इंद्रा नूई ने। नूई का जन्म चेन्नई में हुआ, उनकी शुरुआती शिक्षा भी चेन्नई में हुई। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका का रास्ता चुना। उन्होंने यहां येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की पढ़ाई की।
कई कंपनियों में काम करने के बाद 1994 में इंदिरा ने पेप्सिको जॉइन किया। 2004 में वे कंपनी की मुख्य फाइनेंस अधिकारी और 2006 में की सीईओ बनीं। पेप्सिको के इतिहास में इंदिरा नेतृत्व करने वाली पहली महिला और पहली भारतीय हैं। इंदिरा दुनिया की शक्तिशाली महिलाओं की सूची में भी रहीं।कई कंपनियों में काम करने के बाद 1994 में इंदिरा ने पेप्सिको जॉइन किया। 2004 में वे कंपनी की मुख्य फाइनेंस अधिकारी और 2006 में की सीईओ बनीं। पेप्सिको के इतिहास में इंदिरा नेतृत्व करने वाली पहली महिला और पहली भारतीय हैं। इंदिरा दुनिया की शक्तिशाली महिलाओं की सूची में भी रहीं।

Check Also

लोकसभा चुनाव 2024 : अब तो बस जनता के फैसले का इंतजार!

लोकसभा चुनाव 2024 : अब तो बस जनता के फैसले का इंतजार! स्नेह मधुर आज ...