नई दिल्ली. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राजधानी में संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफे पर चिंता जताई। रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि निजामुद्दीन स्थित मरकज की वजह से दिल्ली में मामले बढ़े हैं। राजधानी में देश के कुल मामलों में से 12% संक्रमित हैं। शनिवार को दिल्ली में 736 सैंपल की जांच की गई और इनमें से 186 पॉजिटिव मिले, जो कुल का 25% है। सबसे खराब स्थिति यह है कि इन 186 लोगों में पहले कोई लक्षण नहीं थे। इन लोगों को पता नहीं नहीं चला कि वे संक्रमित हो गए।
केजरीवाल ने कहा, ‘‘कोरोना से न तो दहशत में आने जरूरत है और न ही घबराने की। बड़ी संख्या में ऐसे मरीज सामने आ रहे हैं, जिनमें वायरस का कोई लक्षण दिखाई नहींं देता। यह स्थिति चिंताजनक है। इसे ध्यान में रखते हुए लॉकडाउन में किसी तरह की ढील नहीं दी जाएगी। एक हफ्ते बाद स्थिति की समीक्षा की जाएगी। उस समय जो भी परिस्थितियां होंगी, उसके हिसाब से फैसला लिया जाएगा। केंद्र सरकार ने लॉकडाउन फेज-2 में 20 अप्रैल (सोमवार) से कई सेवाओं में छूट दी है। कई राज्य केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक कई गतिविधियां शुरू कर भी रहे हैं। लेकिन देश की राजधानी में यह होते नहीं दिखता।’’ राजधानी में अब कुल संक्रमितों की संख्या 1893 हो गई। वहीं, 43 मरीजों की मौत हो चुकी है।
27 अप्रैल को फिर समीक्षा की जाएगी
- मुख्यमंत्री ने कहा, ‘दिल्ली में 77 नियंत्रण जोन है। इनमें भी लिए गए सैंपल में पाया गया की मामले बढ़े हैं। इन क्षेत्रों में भी लोग एक दूसरे के घरों में जा रहे हैं, जिन इलाकों में लोगों ने लॉकडाउन का पालन नहीं किया, वहां मामले बढे हैं। विश्व के साधन संपन्न देशों में कोरोना के कहर की तस्वीर सबके सामने है। हमारे यहां लॉकडाउन नहीं होता, तो स्थिति क्या होती इसे कहने की जरूरत नहीं है।’
- ‘दिल्ली कोरोना की सबसे मुश्किल लड़ाई लड़ रहा है और राजधानी में विदेशों से सबसे अधिक लोग आए और इसकी वजह से भी कोरोना की बडी मार दिल्ली पर पड़ी है। दिल्ली में 26 मरीज गहन चिकित्सा केंद्र और छह वेंटिलेटर पर हैं।’
- ‘दिल्ली में हालात चिंताजनक है और सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद यह सहमति बनी की कि वर्तमान स्थिति में ढिलाई देने पर स्थिति बिगडी तो खुद को माफ नहीं कर पाएंगे। इसलिये एक हफ्ते बाद 27 अप्रैल को फिर स्थिति की समीक्षा की जाएगी।’