कोरोना का सबसे डरावना चेहरा गुरुवार को बीआरडी मेडिकल कालेज में दिखा। 18 साल की एक लड़की की अस्पताल के बिस्तर पर घुट-घुट कर मौत हो गई। उसे सांस लेने में बहुत तकलीफ हो रही थी। तेज बुखार था। लड़की की मौत के बाद परिवारवालों ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने उसे ठीक से देखा तक नहीं।
लड़की सांस नहीं ले पा रही थी। उसकी तकलीफ घरवालों को बर्दाश्त नहीं हो रही थी। वे डॉक्टरों-अस्पताल कर्मियों के सामने गिड़गिड़ा रहे थे लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। लड़की के पिता को शक है कि सब कोरोना से डरे थे। इसी वजह से उनकी बेटी को दूर से ही देख रहे थे। वह बुधवार की दोपहर लड़की को मेडिकल कालेज लाए थे। मेडिसिन वार्ड में भर्ती थी। सांस की तकलीफ बताने के बाद से ही डॉक्टरों ने उसे ठीक से देखा तक नहीं। दूर से इलाज करते रहे।
पिता ने बताया कि बेटी दो दिन भर्ती रही। भर्ती के दौरान डॉक्टर और नर्स से कई बार जाकर बताया कि तबीयत बिगड़ रही है। लेकिन कोई देखने के लिए नहीं पहुंचा। डॉक्टर और नर्स दूर से ही देख रहे थे। परिवारवाले रोते-चिल्लाते तो अस्पतालकर्मी कहते, ‘इलाज तो हो रहा है न।’ परिवार को लग रहा है कि डॉक्टरों और नर्सों ने कोरोना के डर से उनकी बेटी का इलाज नहीं किया। परिवार के गुडडू यादव ने यह आरोप लगाया कि इलाज में हद दर्जे की लापरवाही बरती गई है।
बीआरडी में क्यों फैली है कोरोना की दहशत
कोरोना से सोमवार को गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज में 25 साल के हसनैन अली की मौत हो गई थी। हसनैन अली को एक दिन पहले यहां भर्ती कराया गया था। उसकी मौत तक डॉक्टर यही समझते रहे कि उसे 10-12 साल से अस्थमा की बीमारी है। दरअसल, हसनैन के परिवारवालों ने बस्ती से गोरखपुर तक डॉक्टरों को यही और इसके अलावा ये बताया था कि वह पिछले काफी समय से बस्ती के बाहर नहीं गया।
लेकिन ज्यो-ज्यों हसनैन मौत के करीब पहुंचता गया उसके लक्षणों से डॉक्टरों का शक गहराता चला गया। कहीं उसे कोरोना तो नहीं? इस शक में डॉक्टरों ने हसनैन की मौत के बाद भी उसके थ्रोट स्वॉब के नमूने की जांच कराई और अंतत: उनका शक सही निकला। हसनैन कोरोना पॉजिटिव ही था। गुरुवार को उसका 21 वर्षीय एक दोस्त भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। इस घटना के बाद बस्ती से लेकर गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज तक कई डॉक्टर, नर्सें, पैरामेडिकल स्टॉफ के कर्मचारी आइसोलेशन में हैं। इस घटना से बीआरडी के डॉक्टरों में इतना डर फैल गया है कि गुरुवार को कई जूनियर डॉक्टर अपने प्रिंसिपल के पास पहुंच गए। उन्होंने पूछा, ‘कोरोना मरीज का इलाज करते समय सुरक्षा के जैसे उपकरणों की जरूरत है, वे तो हैं नहीं, हम इलाज कैसे करें। खुद को सुरक्षित कैसे रखें।’ यही नहीं, अस्पताल में तो तमाम मरीज सर्दी, खांसी, जुकाम, गले में दर्द आदि की शिकायत लेकर आते हैं। कौन जाने किसको कोरोना हो। ऐसे में हम बिना सुरक्षा उपायों के यदि इलाज करते हैं तो नतीजे में क्या होगा। प्रिंसिपल अभी इन सवालों से जूझ ही रहे थे कि मेडिकल कालेज में फैले इस डर का सबसे डरावना चेहरा सामने आ गया।
शव ले जाने को तैयार नहीं थे ड्राइवर
कोरोना की अफवाह के कारण परिजनों को शव ले जाने में भी परेशानी हुई। शव ले जाने वाली गाडि़यों के ड्राइवर कन्नी काट रहे थे। किसी तरह एक ड्राइवर तैयार हुआ जिसके बाद परिवारीजन लड़की का शव लेकर चले गए।
एसआईसी ने कहा, मामला गम्भीर
इस पूरे मामले पर मेडिकल कालेज के अस्पताल के एसआईसी डा.जीसी श्रीवास्तव ने कहा कि यह गंभीर मामला है। कहीं भी मरीज के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए। इस मामले में विभागाध्यक्ष से बात की जाएगी। जूनियर डॉक्टरों की काउंसलिंग की जाएगी।