महामारी में मंदी की मार से गरीब, मध्यम वर्ग और उद्योगों को बचाने के लिए दुनिया भर के देश राहत पैकेज, कर्ज छूट-माफी और लोन गारंटी जैसे उपाय अपना रहे हैं। इससे उन पर सात से दस लाख करोड़ डॉलर का बोझ आएगा और दुनिया द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे ज्यादा कर्ज में डूबेगी। इसका सबसे बड़ा भार अमेरिका, जापान, चीन और भारत पर होगा। आईएमएफ पहले ही कह चुका है कि कोरोना से दुनिया पर 1930 की मंदी के बाद सबसे बुरी मार पड़ेगी। वैश्विक विकास दर 2020-21 में 3.3 की जगह -3 प्रतिशत तक गिर सकती है।
आईएमएफ ने चेताया है दुनिया के बड़े देशों में जीडीपी के मुकाबले कर्ज 120 फीसदी तक पहुंच जाएगा। अमेरिका ने अकेले दो लाख करोड़ डॉलर (152 लाख करोड़ रुपये) का पैकेज मंजूर किया है। जापान ने सोमवार को ही 1.1 लाख करोड़ डॉलर के राहत पैकेज का ऐलान किया। चीन ने भी 0.60 लाख करोड़ डॉलर का अंतरिम पैकेज दिया है। जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, स्पेन और रूस भी कर्ज में फंसेंगे।
भारत पर कर्ज का कम बोझ: अमेरिका का ही कर्ज 17 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच गया है, जो वर्ष 2008 में जीडीपी के 80 फीसदी से बढ़कर 110 से 120 फीसदी पर पहुंचने वाला है। भारत में अभी जीडीपी के मुकाबले कर्ज 69 फीसदी है।
कहां कितनी बड़ी राहत
- अमेरिका 2812 अरब डॉलर
- जापान 1100 अरब डॉलर
- जर्मनी 825 अरब डॉलर
- ब्रिटेन 639 अरब डॉलर
- फ्रांस 380 अरब डॉलर
- स्पेन 330 अरब डॉलर
- चीन 270 अरब डॉलर
- इटली 73.5 अरब डॉलर
- भारत 30 अरब डॉलर
मार्गन स्टैनले के मुख्य अर्थशास्त्री चेतन आह्या के मुताबिक इससे पहले अर्थव्यवस्थ को सबसे बड़ा झटका 1940 के दशक में लगा था। जहां तक इस बार कोरोना के दुष्प्रभाव की बात करें तो बड़े राहत पैकेज के बावजूद वैश्विक अर्थव्यवस्था का कम से कम दो साल तक सामान्य स्थिति में आना मुश्किल है।
राहत और आफत भी
भारत 2021-22 में 7.4 फीसदी की विकास दर पा सकता है तो वहीं भारत और चीन ही मंदी से बच पाएंगे। 2020-21 में आईएमएफ 29.83 करोड़ टन अनाज उत्पादन का अनुमान लगया है और इस दौरान महंगाई काबू में होगी वहीं बेरोजगारी दर 23% तक जा सकती है जो अभी 9 फीसद है।