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क्या घर लेडीज़ का ही होता है?

रिचा की मां की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए कुछ दिनों के लिए पीहर गई हुई है। पीछे घर पर है, सासू मां (राधा), ससुर (सावरिया जी), 13 साल की बेटी (रिंकी), 11 साल का बेटा (अतुल), रिचा के पति (नवीन)।

नवीन – मां, कानपुर वाली बुआ जी का फोन आया है, दो-तीन दिन के लिए यहां पर आने वाली है।

रिंकी- दादी मां, दो दिन शक्कू ताई भी नहीं आएगी, उनकी बेटी बोल कर गई है।

राधा – लो! अब आज ही सब कुछ होना है, अरे! नवीन रिचा को फोन तो लगा, कितने दिन में आने वाली है???

नवीन – मां, कल ही बात हुई है, अभी 10 दिन और लगेंगे।

राधा – ओ हो!! चारों तरफ घर इतना गंदा पड़ा है, तेरी बुआ जी को तो साफ- सफाई का बहुत ज्यादा है अब बहुत हल्ला करेंगी!!! अब यह शक्को भी मेरी पूरी जान ही लेगी??

रिंकी- अरे!!! दादी मां, चिंता मत करो हम इतने लोग है ना घर में, सब मिलकर पूरा काम कर लेंगे।

अतुल, चल. तू पूरे घर में झाड़ू लगा दे, मैं पोछा लगा दूंगी।

पापा, हम दोनों मिलकर बर्तन साफ कर लेते हैं।

दादा को सारे सूखे कपड़े दे दो वह बैठे-बैठे सारे कपड़े समेट देंगे।

बर्तन साफ करके, हम दोनों कपड़े भी धो लेंगे, इतना काम तो कंप्लीट हो जाएगा। तब तक दादी मां, आप आराम से खाना बना लो, हम सब एक साथ बैठ कर खा लेंगे।

वैसे भी आज तो संडे है!!!! राधा- पागल है क्या??? अतुल कोई झाड़ू लगाएगा!!! और हां, तेरे पापा बर्तन नहीं धोएंगे और ना ही कपड़े धोएगें।

तेरे दादा ने कभी कपड़े समेटे ही नहीं, उनको नहीं आता।

यह सब आदमियों के काम नहीं है, घर का काम औरतें करती है। रिंकी – हां दादी मां, यह बात तो मुझे भी आपसे पूछनी थी, क्या कोई किताब में लिखा हुआ है???? या कहीं पर कोई रूल बनाया हुआ है????

मैंने यह सभी जगह देखा है!!! नानी के यहां भी सभी लेडीज घर का काम करती है, मौसी के यहां भी मौसा जी घर का काम नहीं करते!!! बुआ के यहां पर भी फूफा जी घर का काम नहीं करते!!!! ऐसा क्यों??? अतुल – स्कूल में हमारी टीचर भी यही बोलती है, कि हमें अभी जाकर लंच बनाना है, घर का काम करना है!!!!

यहां पर भी पापा अपने मन से घर का काम नहीं करते, पर जब मम्मी कहती है उतना- उतना कर देते हैं, तो ऐसा क्यों??? रिंकी – क्या हर घर पर सिर्फ औरतों का ही राज चलता है??? औरतें जैसा चाहती है, वैसा ही होता है???

अतुल – क्या, भगवान जी ने सब को डिवाइड कर रखा है??? की औरतें घर का काम करेंगी और आदमी ऑफिस का???

क्या घर लेडीज का ही होता है!!! जेंट्स का नहीं होता????

राधा- अरे!! कैसी बातें कर रहे हो तुम लोग???? घर सभी का होता है, हम सब मिलकर ही तो घर में रहते हैं। नवीन -क्या बात है, बच्चा पार्टी!!! तुम्हारे इतने मासूम से सवाल!!! जिनका जवाब, ना तुम्हारी दादी मां के पास है, ना दादा के पास, और ना ही मेरे पास। तो चलो फिर, तुम्हारे सवालों को ही खत्म कर देते हैं।

कुछ समझ रही हो मां, हवा बदल रही है!! अब, लड़के और लड़की की बातें ज्यादा दिन तक नहीं चलने वाली।

राधा – सही कह रहा है तू, अब सोच को बदलने की जरूरत है!!!

रिंकी बेटा, ऐसा किसी किताब में नहीं लिखा की औरतें ही सारा घर का काम करेगी। न जाने क्यों??? हमने जबरदस्ती ही ऐसी परंपराओं को नियम और कानून बनाकर चलाने की प्रथा बना ली!!!

यदि घर के सभी सदस्य मिलकर काम करें, तो काम कितना हल्का हो जाता है!!! मैंने इस बारे में पहले क्यों नहीं सोचा???? पर कोई बात नहीं, “जब जागो तभी सवेरा” ।

आज से घर के नए रूल बनाते हैं, इस बार तुम्हारी मम्मी आएगी, तो मम्मी को बहुत बड़ा सरप्राइज़ देंगे!!!

घर के सभी मेंबर्स अपनी – अपनी सुबह की चद्दर समेट कर रखेंगे।

जो भी बाथरूम में नहा कर आएगा, बाथरूम साफ करेगा।

सभी लोग अपने-अपने कपड़े खुद समेट कर अपनी अलमारी में रखेंगे। अभी तो अतुल और रिंकी तुम दोनों से जैसा भी हो घर की साफ – सफाई कर लो,

नवीन तू चल मुझे बर्तन धोने मैं मदद कर दे, पर उससे पहले मशीन में कपड़े डाल कर आजा।

मैं तब तक रोटियां सेक कर रख देती हूं। नवीन – बच्चों फसा दिया तुमने तो, यहां तो काम की बारिश हो गई!!!! राधा अपने पति सांवरिया जी से-पतिदेव, यह सभी अखबार समेट कर अपनी जगह पर रख दीजिए और इस टेबल से आप की दवाइयां उठा लीजिएगा। और हां, टेबल को साफ भी कर दीजिएगा, मैं सब्जियां दे रही हूं, सुधारने में मेरी मदद कीजिए। सांवरिया जी आश्चर्य से – अरे!!! इतनी भी क्या जल्दी है??? धीरे-धीरे बदल देना, सभी कानून एक ही दिन में बदल दोगी!!!

बचपन से मां ने तो यह सब सिखाया नहीं, पर अब बुढ़ापे में तुम मुझे जरूर सब सिखा दोगी!

नवीन और बच्चे हंसते हुए- पापा बस सुख भरे दिन बीत गए, अब इस घर के सभी नियम बदल गए हैं| दुनिया बराबर वाली है इसलिए सभी मिलकर काम करेंगे।

बच्चे – मम्मी को तो मस्त सरप्राइज मिलने वाला है।

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