कोरोना वायरस के नाम पर हम कई तरह के मिथकों को सच मान रहे हैं। इसी कड़ी में हिन्दुस्तान अखबार ओर से भी विशेष पहल चलाकर आप तक सटीक और प्रमाणिक सूचना पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। जानें कोरोना वायरस से जुड़ी कुछ भ्रांतियां और उनकी हकीकत :
क्या पेशाब औऱ मल से व्यक्ति में कोविड 19 संक्रमण हो सकता है।
हकीकत : लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफेसर जॉन एडमंड्स कहते हैं, ‘अकसर, इस तरह के वायरस पेट के वातावरण में नष्ट होते रहते हैं। हालांकि कुछ रिसर्च का दावा है, कोविड-19 से मिलते-जुलते वायरस मल में बने रह सकते हैं।’
क्या कोविड-19 के इलाज के लिए ‘रेमडेसिविर’ नामक दवा की खोज कर ली गई है?
हकीकत : ‘रेमडेसिविर’ इबोला वायरस के इलाज के लिए विकसित हुई थी। कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति में भी इसके अच्छे नतीजे मिले हैं। न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह दवा कोविड-19 वायरस को वंश-वृद्धि से रोकती है।
क्या 5जी नेटवर्क की वजह से कोविड-19 वायरस दुनिया भर में फैला है?
हकीकत : यह बात पूरी तरह गलत है। रेडियो वेब्स वायरस को जन्म नहीं देते। कोलोराडो स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रोफेसर, डॉक्टर जॉनथन एम. समेट कहते हैं, ‘5जी को लेकर इस कहानी का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।’
चमगादड़ का सूप पीने से कोविड-19 संक्रमण का फैलाव हुआ है।
हकीकत : अध्ययनों में पाया गया है कि कोविड-19 वायरस के आनुवंशिक गुण 90 फीसदी तक चमगादड़ों में पाए गए कोरोना वायरस से मिलते हैं, लेकिन इस तथ्य का अब तक कोई साक्ष्य नहीं है कि यह संक्रमण चमगादड़ों के सूप से लोगों तक पहुंचा है।