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क्वारेंटाइन पीरियड के दौरान बाहर निकले तो होगा मामला दर्ज

गुना :  देश के साथ-साथ मध्यप्रदेश में हर दिन बढ़ते जा रहे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या को देखते हुए सरकार ने अब सख्त रवैया अपना लिया है। प्रशासन को आदेशित किया गया है कि यदि कोई भी व्यक्ति अपने क्वारेंटाइन पीरियड के दौरान  घर से बाहर पाया जाता है तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। इस आदेश के बाद स्थानीय पुलिस व प्रशासन पहले से ज्यादा अलर्ट हो गया है। पुलिस व प्रशासन की अलग-अलग मोबाइल टीमें शहर सहित अंचल के गांवों में गली-गली घूम रही हैं। उन्हें यदि इस दौरान ऐसा कोई भी व्यक्ति मिलता है तो वे उस पर सख्त कार्यवाही करेंगे।

जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 14 फरवरी के बाद विदेश से गुना लौटने वालों की संख्या 68 है। इसी तरह राजस्थान, गुजरात, दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों से आने वाले मजदूरों की संख्या भी सैकड़ों में हैं। इनमें करीब आधा सैकड़ा मजदूर ऐसे हैं जिन्हें स्वास्थ्य परीक्षण के बाद 14 दिन अपने घर में ही सुरक्षित तरीके से रहने की सलाह दी थी। लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लोगों को मॉनीटरिंग स्वास्थ्य अमला नहीं कर पा रहा है। यही वजह है कि यह लोग अन्य लोगों को संक्रमित न कर दें इसलिए सरकार ने अब ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करना शुरू कर दिया है। यदि कोई व्यक्ति क्वारेंटाइन नियमों का उल्लंघन जानबूझकर करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 271 के तहत 6 महीने की कैद या जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है।

अस्पताल और घर पर डॉक्टर्स ने देखना किया बंद

 सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ घर पर भी डॉक्टर्स ने मरीजों को देखना बंद कर दिया है। जिससे गंभीर मरीजों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वे लॉक डाउन की स्थिति में इलाज कराने जाएं तो कहां और कैसे।  क्योंकि 22 मार्च से सभी उद्योग धंधे ठप हो गए हैं। ऐसे में लोगों के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि वे किसी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती रहकर इलाज करवा सकें। डॉक्टर्स के इस तरह के व्यवहार से पुराने मरीजों के साथ-साथ नए मरीज परेशान हैं।

जानकारी के मुताबिक कोरोना वायरस के संक्रमण से जनता को बचाने के लिए जिला अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में सामान्य ओपीडी को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। लेकिन कोरोना के संदिग्ध मरीज की पहचान के लिए सर्दी, जुकाम, खांसी व तेज बुखार वाले मरीजों के लिए अलग से ओपीडी संचालित करने के निर्देश हैं। साथ ही किसी भी मरीज को न भगाने की हिदायत प्रशासन ने स्वास्थ्य महकमे को दी है। लेकिन इन निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि ऐसे मरीज जिनका काफी पहले से संबंधित डॉक्टर के यहां इलाज चल रहा था, वह डॉक्टर इस समय न तो पुराने मरीजों को भी नहीं देख रहे हैं और न ही नए।

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