कोरोना संकट के बीच हरियाणा में सोमवार को गेहूं की खरीद शुरू हुई। प्रदेश सरकार ने 1800 केंद्रों पर खरीद शुरू करवाई। पहले दिन 25 किसान सुबह और 25 किसान शाम को बुलाए गए थे। पूरे प्रदेश में 90 हजार किसानों को गेहूं लेकर बुलाया गया था लेकिन किसान कम पहुंचे। इसके साथ-साथ कुछ जगह आढ़तियों ने गेहूं खरीदने से मना कर दिया। उन्होंने विरोध प्रदर्शन भी किए, क्योंकि सरकार पहले आढ़तियों के माध्यम से किसान को फसल का पैसा देती थी लेकिन अब सीधे किसान के खाते में पैसा जाएगा। इस नियम का आढ़ती विरोध कर रहे हैं। इसके चलते कुछ जगह सीधे खरीद एजेंसियों ने गेहूं खरीदा है।
पूरे प्रदेश की बात की जाए तो सोमवार दोपहर 3 बजे तक 6,046 गेट पास गेहूं के लिए और 4,737 गेट पास सरसों के लिए किसानों को दिए गए। वहीं, मंडियों में 46,095 टन गेहूं पहुंचा और 13,621 टन सरसों पहुंची। सीएम मनोहर लाल खट्टर से लेकर खरीद से जुड़े विभागों के अधिकारी इस पर नजर बनाए हुए हैं। सभी जिला उपायुक्त लगातार खरीद केंद्रों का दौरा कर रहे हैं।
पानीपत में आढ़ती हड़ताल पर एजेंसियां ही खरीद रही गेहूं
पानीपत में आढ़ती हड़ताल पर हैं, यहां एजेंसियां ही गेहूं की खरीद कर रही हैं। पानीपत मंडी और मतलौड़ा मंडी में आढ़तियों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए मार्केट कमेटी को अपने खरीद रजिस्टर और लाइसेंस सौंप दिए थे। इसके बावजदू मार्केट कमेटी ने किसानों को फसल लेकर आने के लिए मैसेज किया। जो किसान मंडी में फसल लेकर पहुंचा, उसकी फसल खरीद एजेंसियों ने की।
हिसार की आदमपुर मंडी में आढ़तियों ने किया विरोध
सरकार के नए नियमों के विरोध में हड़ताल पर गए आदमपुर मंडी के आढ़तियों ने दोपहर 12 बजते ही अपनी-अपनी दुकानों के आगे खड़े होकर पांच मिनट तक पीपों को पीटकर अपना रोष व्यक्त किया। व्यापारियों ने जमकर ‘वंदे मातरम् और भारत माता की जय’ के नारे भी लगाए। सभी आढ़ती चाहते हैं कि पुराने तरीके से ही खरीद होनी चाहिए, लेकिन सरकार ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ के तहत गेहूं की खरीद कराना चाहती है। आढ़तियों का कहना है कि इससे किसानों और आढ़ती दोनों को नुकसान है। सरकार कि इस प्रणाली से 10 से 20 एकड़ का जमींदार एक बार में फसल नहीं बेच सकता। ऐसे में वह खेत का काम कैसे संभालेगा। हम सब छोटी मंडी के आढ़ती बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं।
यमुनानगर: सामान्य रहे हालात, आढ़तियों ने ही की खरीदारी
यमुनानगर में खरीद केंद्रों पर सामान्य हालात रहे। यमुनानगर में कुल 102 खरीद केंद्र बनाए गए थे। पहले दिन कम संख्या में किसान पहुंचे। आढ़तियों का कहना था कि नई व्यवस्था ठीक है लेकिन कुछ छोटी-छोटी खामियां हैं, उन्हें भी दूर किया जाना चाहिए।
सिरसा: सिर्फ डबवाली में आढ़तियों ने विरोध जताया
सिरसा में सरकार ने 187 खरीद केंद्र बनाए थे। यहां सिर्फ डबवाली को छोड़कर बाकी जगह कोई विरोध नहीं हुआ। खरीद आढ़तियों ने ही की। पहले दिन बहुत कम संख्या में किसान पहुंचे। यहां सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि जिन किसानों के पास फसल के लिए फोन गया था। उनमें से कुछ ने फसल नहीं निकाली है।
घरौंडा में बिना मैसेज के ही फसल लेकर पहुंचे किसान
करनाल जिले में कुल 173 खरीद केंद्र बनाए गए थे। यहां असंध मंडी को छोड़कर बाकि जगह सामान्य रहा। अंसध में महज एक आढ़ती ने फसल खरीद की। बाकी आढ़तियों ने इसका विरोध किया। असंध में बारदाने की यानी फसलों को रखने की दिक्कत भी रही। करनाल, घरौंडा व अन्य मंडियों में स्थिति सामान्य थी। घरौंडा में बिना मैैसेज के ही कुछ किसान फसल लेकर पहुंचे। जिला प्रशासन ने उन्हें वापस भेजा।