बीजिंग। दुनिया में हर कोई यह जानने को बेकरार है कि विश्वव्यापी संकट खड़ा करने वाले कोरोना वायरस की आखिर शुरुआत कहां से हुई। शोधकर्ता चीन के वुहान शहर से शुरू हुई कोरोना वायरस की महामारी के कारणों का पता लगाने में जुटे हुए हैं। इस बीच शोधकर्ताओं ने तस्करी के जरिए चीन पहुंचे पैंगोलिन पर संदेह जताया है। इस बाबत किए गए एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि चीन में तस्करी के जरिए पहुंचे चींटीखोर पैंगोलिन से इस महामारी के फैलने की संभावनाएं काफी ज्यादा है।
पांच के नमूनों में हुई पुष्टि
नेचर पत्रिका में मैं प्रकाशित इस रिपोर्ट को पढ़कर हर कोई हैरान है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दूसरे देशों से तस्करी के जरिए चीन लाए गए पैंगोलिन मैं सार्स सीओवी-2 वायरस पाए जाने की पुष्टि हुई है। इस अध्ययन में अगस्त 2017 से जनवरी 2018 के बीच मलाया से तस्करी कर दक्षिण चीन लाए गए अठारह पैंगोलिन के नमूनों को शामिल किया गया है। इनमें से पांच में सार्स सीओवी-2 वायरस पाए गए जो कोरोना परिवार के होते हैं।
पाया गया खतरनाक वायरस
चीन के दो और प्रांतों में तस्करों से जब्त तीन पैंगोलिन में यही खतरनाक वायरस पाया गया। वैसे शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि इन नमूनों और मानव शरीर में मिले सार्स सीओवी -2 के सीक्वेंस में एक खास फर्क पाया गया है। इसलिए अभी यह पुख्ता तरीके से नहीं कहा जा सकता कि पैंगोलिन से ही यह वायरस मानव शरीर में फैला है।
खरीद फरोख्त सख्ती से रोकने पर जोर
इस संबंध में हांगकांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं समेत अनेक विशेषज्ञों का कहना है कि पैंगोलिन दूसरा ऐसा स्तनपायी जीव है जो कोरोना वायरस का करियर हो सकता है।इन शोधकर्ताओं का कहना है कि भविष्य में भी किसी वायरस जनित बीमारी को रोकने के लिए जरूरी है कि पैंगोलिन की खरीद-फरोख्त पर पूरी सख्ती से रोक लगा दी जाए।
इस रहस्य का खुलासा नहीं
शोधकर्ताओं का मानना है कि अभी तक मिले प्रमाणों से चमगादड़ ऐसा जीव है जिसके शरीर में जानलेवा सार्स सीओवी-2 वायरस बहुतायत से पाया जाता है। वैसे अभी तक इस रहस्य का खुलासा नहीं हो सका है कि चमगादड़ के संपर्क में आकर किन-किन जीवों के जरिए यह वायरस मानव शरीर में पहुंचा।
दूर हो चुका है समुद्री जीवन संबंधी संदेह
कोरोना वायरस का संक्रमण फैलते ही समुद्री जीवो पर भी संदेह व्यक्त किया गया था मगर यह संदेह कुछ दिनों बाद ही दूर हो गया था। इसके बाद पैंगोलिन ही ऐसा संभावित जीव माना जा रहा है जिससे इस बीमारी के फैलने की आशंका हो सकती है। चीन में पैंगोलिन का उपयोग खाने और दवाओं में होता रहा है। वैसे शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि इस बाबत अध्ययन अभी चल रहा है और गहराई से अध्ययन के बाद ही किसी अंतिम नतीजे पर पहुंचा जा सकता है