
माता पिता ने अपने संन्यासी पुत्र को भिक्षा के रूप में चावल, फल और सिक्के दिए थे। इस दौरान भी उनके परिवार वालों ने उन्हें रोकने की कोशिश की गई थी, लेकिन उन्होंने कहा कि मैं यहां रहने नहीं, भिक्षा लेने आया हूं। (फाइल फोटो)
माता पिता ने अपने संन्यासी पुत्र को भिक्षा के रूप में चावल, फल और सिक्के दिए थे। इस दौरान भी उनके परिवार वालों ने उन्हें रोकने की कोशिश की गई थी, लेकिन उन्होंने कहा कि मैं यहां रहने नहीं, भिक्षा लेने आया हूं। (फाइल फोटो)
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