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ठंड बढ़ते ही बढ़ी सूखे मेवे की मांग, शीतकाल में सुखा मेवा बलवर्धक

शीतकाल (ठंड) में बेहतर स्वास्थ्य बनाने के लिये बलवर्धक चीजों का सेवन अधिक किया जाता हैं सूखे मेवे में बलवर्धक तत्व होने के साथ उसमें स्वास्थ्य को अच्छा करने के गुण होते है. जिसके कारण सुखे मेवे के लड्डु बनाकर खाने वाालों की संख्या अधिक होने से बाजार में सुखे मेवे की खरीदारी करने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है.

शीतकाल के आरंभ से ही नागरीको नें सुखे मेवे की खरीदारी शुरु कर दी है. सुखे मेवे मे स्वास्थ्य को उपयुक्त बलवर्धक शक्ति होने से अमीरो से लेकर आम नागरीक भी साल म्ं एक बार उसका सेवन करते है. शरीर को उर्जा, स्निग्ध, पदार्थ, जीवन स्तव व खनीज देने वाले जगह पदार्थ पचाने सख्त होने से अधिकांश लोग उले शीतकाल में ही सेवन करते है.

शीतकाल के समय में इंसान की पाचन प्रतक्रिया उत्तम होने से सुखे मेवे का सेवन शीतकाल में लाभदायक होता है. इसका सेवन करने सें शरीर को अनेक तरह से स्वास्थ्य लाभ मिलते है जिसमें रक्तदाव, दिल की विविध बीमारी, कुछ प्रकार के कैन्सर, बाल व त्वचा की समस्या, कमजोरी, शुगर की बिमारी व मोटापा आदि में बादाम से अच्छे परिणाम मिलते है.

मनुक्का में तंतुमय पदार्थ होते है जिसका सेवन करने से रक्तदाब, शौच की परेशानी, बुखार, हड्डीयो की परेशानी, आंखो के विकार आदि रोगों के लिए उपयुक्त समझा जाता है. काजु में प्रथिन की मात्रा पर्याप्त होती है जिससे दिल की बिमारी, रक्त से जुडी परेशानि आदि परेशानी दूर करने में मदद होती है. इसके साथ ही पिस्ता, अखरोट, खजुर आदि का सेवन शरीर के लिये इन दिनो लाभदायक होता है.

शरीर के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक सुखे मेवे के लड्डू बनाकर उसे प्रतिदिन सुबह सेवन किया जाता है जिसके लिए अधिकांश नागरिको नें सुखे मेवे की खरीदारी शुरु कर दी है. बाजार में जंबो काजु 880 से 800, सुखे खजुर 120, खोबरा 150,किशमिश 200,गोडंबी 600 रुपये प्रति किलो के दाम बेचे जाने की जानकारी सुखा मेवा विक्रेताओ से प्राप्त हुई है.

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