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निर्भया केस : फांसी के बाद दोषी पवन के गांव में पसरा सन्‍नाटा, घरवालों ने नहीं की किसी से बात

देश को झकझोर देने वाले निर्भया कांड के एक आरोपी पवन गुप्ता उर्फ कालू के पैतृक गांव बस्ती जिले के लालगंज थानांतर्गत जगन्नाथपुर में सन्नाटा पसर हुआ है। आरोपी पवन को शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया गया। फांसी के बाद पवन के परिजन गम में डूब हैं और किसी से कोई बात नहीं कर रहे हैं। मौजूदा समय पवन के परिवार में केवल महिलाएं हैं।

ग्रामीणों ने कहा कि सजा देने में काफी देरी हुई। पवन की दादी मेवाती देवी को हमेशा से उसके बरी होने की उम्मीद रहती थी, लेकिन उम्मीदों के बीच जनवरी 2018 में उनकी मौत हो गई। बस्ती के कुदरहा विकास खंड स्थित जगन्नाथपुर निवासी पवन गुप्ता के पिता हीरालाल परिवार के साथ दिल्ली में सेक्टर-1 आरकेपुरम में रहकर फल बेचने का काम करते हैं। पवन भी उनका साथ देता था। दो भाई व दो बहन में वह सबसे बड़ा था।

करीब तीन दशक पूर्व पैतृक गांव स्थित मकान छोटे भाई को देकर हीरालाल ने महादेवा चौराहे के पास हटवा गांव में भी एक जमीन ली। वहां मकान बनाना शुरू किया था। लेकिन 16 दिसंबर 2012 में हुए निर्भया कांड के बाद से निर्माण कार्य ठप हो गया। मौजूदा समय अर्द्धनिर्मित मकान खंडहर जैसा दिखता है।

पवन के चाचा जुग्गीलाल व सुभाषचन्द्र भी दिल्ली में रहकर फल बेचने का काम करते हैं। उनके परिवार के सदस्य गांव जगन्नाथपुर में रहते हैं। निर्भया कांड के बाद मां मेवाती देवी की मौत पर हीरालाल एक बार अपने गांव जगन्नाथपुर आए थे। मां के क्रिया-कर्म के बाद दिल्ली लौट गए।

निचली अदालत ने 10 सितंबर 2013 में जब पवन को फांसी की सजा सुनाई तो गांव में लोगों ने समर्थन किया लेकिन दादी को उसके रिहा होने की उम्मीद थी। पवन को भी फांसी दिए जाने के मुद्दे पर गांव में कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं। अलबत्ता ग्रामीणों ने फैसले को मौन स्वीकृति दे दी है।

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