थियेटर, सिनेमा और छोटे पर्दे पर सुरेखा सीकरी का नाम बहुत ही पॉपुलर है. उनके काम को लोगों द्वारा हमेशा से बहुत पसंद किया जाता रहा है. सुरेखा को सबसे ज्यादा पॉपुलैरिटी कलर्स के सीरियल बालिका वधु में दादी सा के किरदार से मिली. यहां पर उनके काम को काफी पसंद किया गया. उनका कड़क मिजाज लोगों को खूब पसंद आया. मगर कई सारी फिल्मों में भी सुरेखा ने अपने अभिनय का लोहा मनवाया. इसका सबसे ताजा उदाहरण है आयुष्मान खुराना की फिल्म बधाई हो. सुरेखा के जन्मदिन पर बता रहे हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें.
सुरेखा सीकरी का जन्म 19 अप्रैल, 1945 को नई दिल्ली में हुआ था. वे बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं. वे बड़ी होकर पत्रकार या लेखक बनने की ख्वाहिश रखती थीं. मगर किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. सुरेखा अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में पढ़ती थीं. वहां पर एक दफा अब्राहम अलकाजी साहेब अपना एक नाटक लेकर पहुंचे. नाटक का नाम द किंग लियर था. इस नाटक से सुरेखा जी की बहन प्रभावित हुईं और उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लेने का मन बना लिया. एनएसडी का फॉर्म भी आ गया.
मगर वो फॉर्म कई दिनों तक वैसे का वैसा ही पड़ा रहा. इसके बाद उनकी बहन का मन नहीं किया एनएसडी जाने का. तब सुरेखा की मां ने कहा कि तुम ही क्यों नहीं भर देती ये फॉर्म. सुरेखा ने पहले तो कहा कि वे लेखक बनना चाहती हैं. लेकिन मां के कहने पर उन्होंने अपनी किस्मत आजमाई. उन्होंने फॉर्म भरा, ऑडिशन दिया और 1965 में उनका सेलेक्शन भी हो गया.
पिछले 4 दशकों से कर रहीं शानदार अभिनय
इसके बाद तो सुरेखा जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वे 15 सालों तक नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की रेप्यूट्री कंपनी के साथ काम करती रहीं. करियर की तरफ रुख करें तो टीवी की दुनिया में वे बालिका वधु के अलावा बनेगी अपनी बात, परदेस में है मेरा दिल, एक था राजा एक थी रानी, केसर, कभी कभी और जस्ट मोहब्बत जैसे सीरियल्स का हिस्सा रहीं.
फिल्मों की बात करें तो किस्सा कुर्सी का उनकी पहली फिल्म थी. ये फिल्म साल 1978 में आई थी. इसके बाद वे तमस, सलीम लंगड़े पर मत रो, लिटिल बुद्धा, सरफरोश, जुबीदा, काली सलवार, रेनकोट, तुमसा नहीं देखा, हमको दीवाना कर गए, डेव डी, गोस्ट स्टोरीज और बधाई हो जैसी फिल्मों का हिस्सा रही हैं. अब वे शीर कोरमा फिल्म में नजर आएंगी.