कोरोना वायरस को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया। राष्ट्र को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ था तब भी इतने देश युद्ध से प्रभावित नहीं हुए थे जितने आज कोरोना की इस बीमारी से हैं। पिछले दो महीने से हमन निरंतर दुनिया भर से आ रहे कोरोना वायरस से जुड़ी चिंता जनक जुड़ी खबरे देख और सुन रहे हैं। इन दो महीनों में भारत के 130 करोड़ नागरिकों ने कोरोना जैसी माहामारी का डट का मुकाबला किया है। सभी ने आवश्यक सावधानी बरतने का भरसक प्रयास भी किया है।
लेकिन बिते कुछ दिनों से ऐसा लग रहा है जैसे हम संकट से बचे हुए हैं। वैश्विक महामारी कोरोना से निश्चिंत हो जाने की ये सोच सही नहीं है। इसलिए प्रत्येक भारतवासी का सजग और सतर्क रहना बहुत आवश्यक है। आपसे मैंने जो भी जब भी मांगा है मुझे देशवासियों ने निराश नहीं किया है। ये आपके आशीर्वाद की ताकत है कि हम सब मिलकर अपने निर्धारित लक्ष्यों की ओर बढ़ रहे हैं।
पीएम ने कहा कि मैं आज 130 करोड़ देशवासियों से कुछ मांगने आया हूं। मुझे आपके आने वाले कुछ सप्ताह चाहिए। आपका आने वाला कुछ समय चाहिए। मेरे प्यारे देशवासियों, अभी तक विज्ञान कोरोना से बचने के लिए कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है, न ही इसकी कोई वैक्सिन बन पाई है। दुनिया के जिन देशों में कोरोना का वायरस और उसका प्रभाव ज्यादा देखा जा रहा है वहां अध्ययन में एक बात और सामने आई है। इन देशों में शुरुआती कुछ दिनों के अचानक बीमारी का जैसे विस्फोट हुआ है। मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत सरकार इस पर पूरी तरह से नजर रखे हुए हैं। हालांकि कुछ देश ऐसे भी हैं जिन्होंने आवश्यक निर्णय भी किए और अपने यहां के लोगों को ज्यादा से ज्यादा से लोगों आइसोलेट करके संभाला है। उसमें नागरिकों की बहुत भूमिका रही है। हम वो देश हैं जो विकास के लिए प्रयत्नशील देश हैं, हम देश जैसे देश पर कोरोना का ये संकट सामान्य बात नहीं है। भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ये मानना गलत है इसलिए इस वैश्विक महामारी का मुलाबला करने के लिए दो बातें को आवश्यकता है, पहला संकल्प और संयम।
130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प दृढ़ करना होगा कि एक नागरिक के नाते अपने कर्तव्य का पालन करेंगे। केंद्र और राज्य सरकारों के दिशा और निर्देशों का पूरी तरह से पालन करेंगे। हमें ये संकल्प लेना होगा कि हम स्वयं सक्रमित होने से बचेंगे और दूसरो को भी बचाएंगे। साथियों इस तरह की महामारी एक मंत्र ही काम करता है, हम स्वस्थ्य तो जग स्वस्थ्य। जब इस बीमारी का कोई दवा नहीं बनी है तो हमारा खुद का स्वस्थ्य रहना जरूरी है।