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फिल्म समीक्षा – ‘बेमानी सी हंसी में भटकती हुई फिल्म है -यारम’

कुमार विजय

फिल्म- यारम

निर्देशक- ओवेशखान

कलाकार- प्रतीक बब्बर, सिद्धांत कपूर, इशिता राज, अनीता राज।

समय सापेक्षता को झटपट भुना लेने की कोशिश में बहुत बार लोग अपनी संवेदना को भी दांव पर लगा देते हैं और हश्र होता है तमाशा हो जाना। कुछ ऐसा ही तमाशा साबित हुई है ओवैस खान की फिल्म यारम। पिछले कुछ दिनों से भारतीय राजिनितिक परिदृश्य में तीन तलाक यानी मुस्लिम तलाक की प्रक्रिया का मुद्दा सड़क से संसद तक में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसी चर्चा का फौरी लाभ लेने की मानसिकता से बना दी गई फिल्म है यारम। यारम के पास ना सही जमीन है ना आसमां बस हवा में कलाबाजी करती हुई सजावट है जो इतनी बचकानी और पारम्परिक है कि बगल से गुजरने वालों को भी आकर्षित नहीं कर पाती।

यारम दो दोस्तों की कहानी है । साहिल और रोहित दोस्त हैं । रोहित की मदद से साहिल अपने इश्क जोया से निकाह कर लेता है। साहिल और जोया फिल्म के दृश्यों को खूबसूरती बख्सने के लिये मॉरीशस चले जाते हैं । कुछ दिनों बाद रोहित जब मॉरीशस जाता है तब उसे पता चलता है कि साहिल और जोया का रिस्ता बिखर चुका है । साहिल तीन बार तलाक देकर जोया से अलग हो चुका है पर वह वापस उससे शादी करना चाहता है पर वापस शादी करने के लिये जरूरत है हलाला का रस्म पूरी करने की। हलाला के लिये साहिल रोहित से कहता है कि वह जोया से शादी करले और फिर उसे तलाक दे दे ताकि वह वापस जोया से शादी कर सके । रोहित साहिल की बात मानकर जोया से शादी कर लेता है पर तलाक देने की जब बात आती है तो वह इनकार कर देता है। दरअसल हलाला की इस अवधि में रोहित और जोया के बीच एक रूमानी रिस्ता बिकसित हो चुका है। इसके बाद तो फिल्म का ड्रामा देखने के लिये आप को खुद ही जहमत उठानी होगी । हाँ इतना जरूर है कि यहां तक फिल्म के साथ चलते हुये फिल्म देखने का आपका धैर्य जवाब देने लगेगा ।

फिल्म के किसी भी पक्ष पर ईमानदार मेहनत नहीं दिखती। संगीत कुछ ठीक होते हुये भी फिल्म के साथ अपनी लय नहीं बना पाता। निर्देशक ओवेश खान  शायद जल्दी से जल्दी इस तीन तलाक को भुनाने के चक्कर में सिनेमा की न्यूनतम जरूरतों की ओर भी ध्यान से नहीं देख पाते अन्यथा वह फिल्म का सबसे जरूरी मैसेज देने के लिये स्क्रीन पर शक्ति कपूर को नहीं ले आते। सबसे जरूरी बात को ही अगर सबसे गैरजिम्मेदार तरीके से कहा जाय तो बाकी का अन्दाजा आप खुद ही लगा सकते हैं। अगर डाक्टर ने इस फिल्म को देखने का सुझाव ना दिया हो तो ना देखना ज्यादा ही बेहतर होगा ।

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