मध्य प्रदेश विधानसभा में राज्यपाल लालजी टंडन के निर्देश के बावजूद कांग्रेस की कमलनाथ सरकार के बहुमत परीक्षण के लिए तैयार न होने से भाजपा ने आगे की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। पार्टी ने शीर्ष अदालत में गुहार लगाई ही है, साथ ही वह विधायकों को एकजुट रखने के लिए भी पूरी तरह सतर्कता बरत रही है। पार्टी में बैठकों का दौर जारी है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे (छह के मंजूर) के बाद कमलनाथ सरकार के अल्पमत को लेकर भाजपा के दावों के बाद राज्यपाल ने अब मंगलवार को सरकार से विश्वास मत हासिल करने को कहा है। इस बीच भाजपा ने राजभवन में अपने विधायकों की परेड कराने के साथ शीर्ष अदालत में भी दस्तक दे दी है। इस पर मंगलवार को सुनवाई होगी।
सोमवार को सुबह से देर रात तक भोपाल से लेकर दिल्ली तक भाजपा खेमे में गहमागहमी बनी रही। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि कांग्रेस के मंसूबों को देखते हुए पहले से ही इस बात की आशंका थी कि विधानसभा में इस तरह की स्थिति बन सकती है। ऐसे में दूसरी रणनीति भी तैयार कर ली गई थी।
कर्नाटक के अनुभव के बाद भाजपा पूरी तरह से सतर्क थी। अब उसकी सारी रणनीति अपने विधायकों को एकजुट रखने और कांग्रेस के बागी विधायकों को संभाले रखने की है। पार्टी के रणनीतिकार लगातार शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में हैं और बैठकों के दौर चल रहे हैं।