इंग्लैंड में एक लड़की के लिए पढ़ाई का तनाव इतना भारी हो गया कि उसकी जिंदगी ही नर्क बन गई है। इसके चलते वो एक ऐसे डिस्ऑर्डर का शिकार हो गई है कि कभी भी बेहोश हो जाती है। कई दिन उसे 50 बार से ज्यादा बार मिर्गी के जैसे दौरे पड़ते हैं। हालत ये हो गई है कि उसे अकेले छोड़ना और उसका कहीं आना-जाना बंद हो गया है। डॉक्टर्स का कहना है कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। जब वो एन्गजाइटी और तनाव से बाहर आएगी तभी उसके ठीक होने की कोई गुंजाइश है।
एसेक्स की रहने वाली 16 साल की पेज थोर्पे बचपन से एन्गजाइटी की समस्या का सामना कर रही थी लेकिन उनकी स्थिति सामान्य थी। इस साल गर्मी में जीसीएसई एग्जाम के वक्त उसकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। बीते सितंबर में वो लगातार बेहोश होकर गिरने लगी। कुछ हफ्तों बाद पेज की मां उसे हार्लो के प्रिंसेज एलेक्जेंड्रा हॉस्पिटल लेकर गई, जहां उसे एक हफ्ते रखा गया। पर सुधार की जगह स्थिति बिगड़ती ही चली गई।
पेज को लगातार मिर्गी जैसे दौरे पड़ने लगे और वो कभी भी बेहोश होकर गिर जाती। गिरने पर उसका शरीर बिल्कुल बेजान पड़ जाता लेकिन आस-पास हो रही चीजों को महसूस कर सकती थी। वहीं दौरे पड़ते तो उसके हाथ-पैर अजीब ढंग से चलते और वो कुछ भी उल्टा-सीधा बड़बड़ाने लगती थी। ये दौरान कई बार कुछ सेकंड से लेकर पूरे एक घंटे तक भी रहता था। उसकी मां का कहना है कि एग्जाम और पढ़ाई के प्रेशर के चलते तनाव का लेवल बहुत बढ़ गया और उसकी स्थिति इतनी बिगड़ गई, जिसे देखकर घर में हर कोई परेशान है।
मां ने बताया कि इस हालत के चलते वो उसे अपने साथ अपने बेड पर ही सुलाती है। बेड को भी कवर कर रखा गया है ताकि दौरे के वक्त वो नीचे न गिर जाए। पेज ने बताया कि सीढ़ियां उतरने के लिए भी उसे अपनी मां को कॉल करना पड़ता है। कहीं इसी दौरान उसे दौरा न आ जाए या वो बेहोश न हो जाए और सीढ़ियों से गिरकर उसे चोट आ जाए। टेस्ट में पता चला कि पेज नॉन एपिलेप्टिक अटैक्स डिस्ऑर्डर से जूझ रही है। डॉक्टर का कहना है कि इसका कोई इलाज नहीं है। ये सिर्फ तभी पहले जैसे स्तर पर आ सकता है, जब पेज का स्ट्रेस का लेवल कुछ कम हो। पेज को स्कूल भेजना भी बंद कर दिया गया है क्योंकि इस कंडीशन में उसके पढ़ पाना और पढ़ाई का बोझ झेलना मुश्किल हो गया है। स्कूल भी उसे हैंडल करने के लिहाज से सुविधाओं से लैस नहीं है। फिलहाल पेज के पेरेंट्स उसकी कंडीशन को लेकर मेन्टल हेल्थ स्पेशलिस्ट से मिल रहे हैं और उसकी हालत सुधारने के उपाय तलाश रहे हैं।
नॉन एपिलेप्टिक अटैक्स डिस्ऑर्डर में दिमाग जरूरत से ज्यादा स्ट्रेस के चलते हमेशा फाइट के मोड में रहता है। ये ऐसा दौरा है, जो असामान्य इलेक्ट्रिकल डिस्चार्ज या ब्लड प्रेशर के चलते नहीं होता है। इसका मुख्य कारण ये है कि दिमाग कुछ विचारों, यादों, भावनाओं या संवेदनाओं को हैंडल नहीं कर पाता है और इसके चलते तनाव का लेवल बहुत बढ़ जाता है। ये डायबिटीज और हार्ट की परेशानी जैसे शारीरिक कारणों के चलते भी हो सकता है।