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यूपी : आगरा में ठीक हुई पहली कोरोना संक्रमित मरीज, अस्पताल से हुई डिस्चार्ज

ताजनगरी के लिए यह गौरव की बात है। दुनियां भर में हाहाकार मचाने वाले कोरोना वायरस के मरीज को एसएन मेडिकल कॉलेज ने अपनी दम पर पूर्ण स्वस्थ करने में सफलता पाई है। आगरा में ठीक होने वाली यह पहली मरीज है। बीती 13 मार्च से यह मरीज पूरे 18 दिन तक आइसोलेशन वार्ड में भर्ती रही। सोमवार शाम उसे घर के लिए रवाना किया गया।

मार्च में आगरा के खंदारी क्षेत्र में छह संक्रमित पाए गए थे। इन सभी को दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल भेजा गया था। बाद में इनमें से पांच को ही संक्रमण की पुष्टि हुई। सभी दिल्ली में इलाज कराने के बाद स्वस्थ होकर आगरा लौट आए हैं। इसी बीच छावनी क्षेत्र में रहने वाली युवती को संक्रमण निकला था। उसकी शादी फरवरी में हुई थी। वो अपने पति के साथ बैंगलुरू चली गई। बाद में वे यूरोप की यात्रा पर गए थे। कई देश घूमने के बाद युवती नौ मार्च को फ्लाइट से दिल्ली उतरी थी। वहां से गतिमान एक्सप्रेस में सवार होकर मायके आई थी।

उधर बैंगलुरू में उसके पति को कोरोना संक्रमित पाया गया। लिहाजा 12 मार्च को युवती को जिला अस्पताल लाकर परीक्षण कराया गया। नमूने अलीगढ़ मेडिकल कालेज को भेजे गए। कालेज ने उसके भी संक्रमित होने की पुष्टि की थी। इसके बाद उसे 13 मार्च को एसएन मेडिकल कालेज के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया था। यह पहली मरीज थी जिसे दिल्ली नहीं भेजा गया। जिला प्रशासन के साथ स्वास्थ्य विभाग ने एसएनएमसी के डाक्टरों पर भरोसा जताया। यह भरोसा पूरी तरह खरा उतरा। अंतिम दो जांचों में स्वस्थ पाए जाने पर उसे सोमवार की शाम को फौरी जांच और दवाइयां देकर घर भेज दिया गया। इस सफलता पर एसएनएमसी में खुशी का माहौल है।

सामान्य दवाओं से ही किया गया इलाज
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक संक्रमित महिला के इलाज में किसी ड्रग विशेष का प्रयोग नहीं किया गया। इस वायरस के मरीजों का इलाज लक्षणों के आधार पर होता है। मसलन जैसे लक्षण दिखाई दें, उसकी दवाएं दी जाती हैं। इस मरीज के इलाज में एंटी बायोटिक, पेन किलर, एंटी एलर्जिक और अधिक प्रोटीन दिया गया।

पौष्टिक आहार से बढ़ाई प्रतिरोधक क्षमता
मरीज को सामान्य किंतु पौष्टिक आहार दिया गया। इसमें दलिया, दाल, रोटी, सब्जियां, दूध आदि दिया गया। डाइटीशियन हर रोज खाने का अलग चार्ट बनाती थीं। पहले लक्षणों की पूछताछ की जाती थी। उसके बाद बदलाव किया जाता रहा। अधिक प्रोटीन वाली चीजों को चार्ट में शामिल किया गया। पीने को सिर्फ गर्म पानी दिया गया।

एकांतवास पर भेजी गईं डाक्टरों की टीमें 
इस मरीज को ठीक करने में डाक्टरों की दो टीमों को सेल्फ क्वारंटाइन (खुद एकांतवास) पर भेजेना पड़ा। कारण यह कि कोरोना संक्रमितों का इलाज कर रहे डाक्टरों को सात दिन बाद हटाया जाना बहुत जरूरी है। इनके सैंपल भी लिए गए। सात दिनों के इलाज के बाद पहली टीम को क्वारंटाइन पर भेजा गया। इसके बाद आने वाली टीम को भी अगले सात दिनों के बाद भेजा गया। सबसे खास बात यह कि इलाज कर रहे डाक्टरों को उनके घर पर नहीं रखा गया। बल्कि इनके लिए शहर के एक होटल में कमरे आरक्षित किए गए थे। सभी ने वहीं एकांतवास किया।

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