
आज से ठीक तीन साल पहले योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की बागडोर संभाली थी। विशाल बहुमत के पीछे राज्य के लोगों की विराट अपेक्षाएं थीं। मुख्यमंत्री के पास केंद्र में विरोधी सरकार होने का कोई बचाव-कवच भी नहीं था। इसलिए लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने और देश के इस सबसे बड़े सूबे की उन्नति के लिए जाने उन्होंने क्या-क्या किया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के शब्द-
नौतियों और संभावनाओं के महासमर में संकल्पों और सिद्धांतों की नाव से यात्रा करते हुए आज उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार ने तीन वर्ष पूरे कर लिए हैं। आज ही वह ऐतिहासिक दिन है, जब प्रदेश के जनमानस ने अपना विश्वास रूपी आशीर्वाद प्रदान कर एक राष्ट्रवादी विचार को सत्ता रूपी दायित्व सौंपा था। आशाओं-अपेक्षाओं और चुनौतियों के रथ पर सवार उत्तर प्रदेश सरकार के सम्मुख दशकों से अनुत्तरित-अनसुलझे अनगिनत प्रश्नों की प्रश्नमालाएं मुंह बाए खड़ी थीं। एक तरफ, सत्ता की सरपरस्ती में पोषित ‘सुव्यवस्थित’ दुर्व्यवस्था को ठीक करना था, वहीं दूसरी तरफ अनहद पीड़ा से कराह रही वंचना को मुख्यधारा के राजपथ पर कदमताल कराना था। अवैध खनन से लेकर अवैध स्लॉटर हाउस के शूल से प्रदेश व प्रकृति, दोनों को बचाना था। शिक्षा की दहलीज से लेकर उच्च शिक्षा के प्रासादों में सभी का प्रवेश सुनिश्चित कराना था।
विगत डेढ़ दशक से प्रदेश में व्याप्त अंधकार युग में डरी-सहमी, सुबक रही कानून-व्यवस्था को ‘परित्राणाय साधूनां, विनाशाय च दुष्कृताम्’ के संकल्प का पुनर्पाठ कराना था। घोटालों के संस्थागत ढाचों को तोड़कर प्रदेश के दरके हुए आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करना था। वैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता को पुनस्र्थापित करना था, अर्थात समूची कार्य-संस्कृति में ही परिवर्तन की चुनौती थी। चुनौती विशाल थी, किंतु अक्षय ध्येय-निष्ठा के तटबंधों के मध्य चुनौतियों के प्रबल आवेग को शांति से गुजरना ही पड़ता है। और देश के सबसे विशाल व विविधताओं वाले प्रांत, उत्तर प्रदेश में ऐसा हुआ भी।
सबसे पहले ‘खादी’ को जनता की खिदमत और ख्याल करने का मंत्र दिया, तो अवैध बूचड़खानों पर परिणामदायक कार्यवाही से कानून के इकबाल को बुलंद करने का काम किया। छुट्टियों को छुट्टी पर भेजा, तो तीन तलाक पीड़ित महिलाओं को सरकारी मदद की व्यवस्था, मुस्लिम छात्रों को मुख्यधारा में लाने के लिए मदरसों के पाठ्यक्रम में सुधार का निर्णय और मुस्लिम बेटियों की शादी के लिए बजट की व्यवस्था के साथ ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास’ के भाव को स्थापित किया। इसके चलते कई दु:साध्य संकीणर्ताओं के निर्मूलन में हमारी सरकार को सफलता प्राप्त हुई।
एकता के राजपथ पर विकास की यात्रा थोड़ी सुगम होती है, जिसकी बुनावट उत्तर प्रदेश में साफ देखी जा सकती है। ‘इनवेस्टर्स समिट’ के माध्यम से जहां वैश्विक निवेश को उत्तर प्रदेश की धरा तक लाया गया, वहीं आधारभूत ढांचे के विकास के क्रम में बगैर किसी क्षेत्रीय असंतुलन के प्रदेश के अविकसित क्षेत्रों में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे (340.82 किलोमीटर) बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे (296.07 किलोमीटर) गंगा एक्सप्रेस-वे (596 किमी) जैसे बड़े-बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। इस विशाल प्रदेश में केवल सड़कों का जाल नहीं बिछाया जा रहा, एयर कनेक्टिविटी भी हमारी वरीयता सूची में ऊपर है। गौर कीजिए, वर्ष 2017 से पहले प्रदेश के केवल दो शहर एयर कनेक्टिविटी से जुड़े थे, जबकि इस समय सात शहर इससे जुड़ चुके हैं। 12 नए हवाई अड्डों पर कार्य चल रहा है।
अंतरराष्ट्रीय विमानपत्तन, जेवर के रूप में उत्तर प्रदेश को एक ऐसी सौगात मिली है, जो प्रदेश के एनसीआर क्षेत्र में बहुत बड़े परिवर्तन का माध्यम बनेगी। यह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा न सिर्फ लाखों लोगों के रोजगारों का वाहक बनेगा, वरन वैश्विक स्तर पर राष्ट्र की प्रतिष्ठा बढ़ाने का कारक भी बनेगा। उन्नत कनेक्टिविटी तथा बेहतर कानून-व्यवस्था का ही यह सुफल है कि उत्तर प्रदेश के संदर्भ में निवेशकों की रुचि में 18.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ‘उत्तर प्रदेश इनवेस्टर्स समिट 2018′ के फलस्वरूप 4.68 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनसे 371 परियोजनाएं क्रियान्वित हुई हैं। इन सभी के माध्यम से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 33 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित होंगे। प्रदेश में औद्योगिकीकरण की गति को तीव्रतम करने के लिए राज्य सरकार ‘यूपी ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट 2020′ का आयोजन करने जा रही है। आज आलम यह है कि देश के बड़े-बड़े उद्यमियों की निवेश के लिए पहली पसंद उत्तर प्रदेश है।
आत्महंता बनने को विवश रहे अन्नदाताओं के अधरों पर जीवन की मुस्कान लाना सबसे बड़ी चुनौती और प्राथमिकता थी। गन्ना किसानों की समस्याएं दशकों से समाधान की बाट जोह रही थीं। भाजपा सरकार ने महज तीन वर्ष की अल्पावधि में अनेक समस्याओं के निदान निकाले। 2010-11 से ही चली आ रही गन्ना कृषकों की भुगतान समस्याओं का निराकरण करते हुए हमारी सरकार ने भुगतान की व्यवस्था को बेहतर बनाया। यह संवेदना मिश्रित सक्रियता का ही परिणाम है कि गन्ना किसानों के 92 हजार करोड़ रुपये से अधिक की बकाया राशि के भुगतान जैसा अविस्मरणीय कार्य किया जा सका। गन्ना व चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश लगातार दूसरी बार देश में प्रथम स्थान पर रहा। पिछले 25 वर्षों में पहली बार 105 नई खांडसारी इकाइयों के लाइसेंस स्वीकृत हुए, जिससे 27,850 टीसीडी की अतिरिक्त पेराई क्षमता सृजित हो सकी है। इसी तरह, उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा इथेनॉल आपूर्तिकर्ता बना है। यही नहीं, प्रदेश की छह दर्जन मिलें दो हजार मेगावाट का ऊर्जा उत्पादन कर रही हैं, जिससे यह उद्योग ऊर्जा के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर होता जा रहा है।
उत्तर प्रदेश की दो-तिहाई आबादी कृषि पर आधारित आय से पोषित होती है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री के संकल्प पर कार्य करते हुए प्रदेश सरकार ने अनेक युंगातरकारी योजनाओं को अमलीजामा पहनाया। इस क्रम में हमारी सरकार ने चार करोड़ से अधिक कृषकों के मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाए। कृषि उपकरण खरीदने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिए हजारों किसानों को 40 से 90 प्रतिशत तक अनुदान मुहैया कराया गया। और इस अनुदान-राशि को उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से स्थानांतरित किया गया है।
‘द मिलियन्स फार्मर्स स्कूलों’ के जरिए पंचायत स्तर पर कृषकों को उन्नतशील खेती का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रदेश में 14 नए कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना की गई है। छह और नए विज्ञान केंद्र प्रस्तावित हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के अंतर्गत अब तक प्रदेश के किसानों के खातों में 12,000 करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं। 36,000 करोड़ रुपये का कृषक ऋण माफ करके हमारी सरकार ने किसानों से किए गए वायदे निभाने का कार्य किया। दशकों से लंबित पड़ी बाणसागर सिंचाई परियोजना को पूरा करने के साथ ही बुंदेलखंड क्षेत्र में अर्जुन सहायक, भावनी व बंडई बांध परियाजनाओं तथा मैदानी क्षेत्रों में सरयू नहर, मध्य गंगा नहर, उत्तर प्रदेश वाटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग आदि परियोजनाओं से इस वित्तीय वर्ष में 18 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचित करते हुए प्रदेश के 50 लाख किसानों को लाभ पहुंचाने की योजना फलीभूत होने जा रही है। बुंदेलखंड में खेत तालाब योजना के तहत 8,000 से अधिक नए तालाब निजी भूमि पर बनाए गए हैं। इस वर्ष 6,000 नए तालाबों की निर्माण होगा। आस्था से अर्थव्यवस्था की गंगा-यात्रा, किसानों व नदियों के उत्थान का मंगलाचरण ही तो थी। कानपुर के सीसामऊ नाले से प्रतिदिन 14 करोड़ लीटर सीवर गंगा नदी में प्रवाहित होता था, नमामि गंगे परियोजना के तहत इसे बंद कर दिया गया है। इसके कारण कानपुर में गंगा के प्रदूषण-स्तर बहुत कम हुआ है। गंगा व उसकी सहायक नदियों के जल संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने जो कार्य किए हैं, उसके दूरगामी परिणाम भविष्य में दिखाई देंगे।
निरोगी प्रदेश के संकल्प को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए ‘कु-व्यवस्था’ के वायरस से संक्रमित और आईसीयू में पड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था को सुशासन की ‘प्राण वायु’ प्रदान करना आवश्यक था। प्रदेश में देश के स्वतंत्र होने के 70 साल तक सिर्फ 12 मेडिकल कॉलेज अस्तित्व में थे। हमने सहज, सुव्यवस्थित और साधन संपन्न चिकित्सा सुविधाओं के लिए मात्र तीन वर्षों में सात नए मेडिकल कॉलेज स्थापित कर उनमें एमबीबीएस की कक्षाएं प्रारंभ करा दीं। इसके साथ ही 13 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की स्वीकृति भी केंद्र सरकार से प्राप्त की। इस प्रकार अब 28 मेडिकल कॉलेजों की सेवाएं उत्तर प्रदेश को प्राप्त होंगी। स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी और स्वच्छ भारत अभियान की सक्रियता का ही यह परिणाम है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में चार दशकों से बच्चों में महामारी के रूप में कुख्यात इंसेफ्लाइटिस रोगियों की संख्या में 56 प्रतिशत की कमी आई है। आज कोरोना वायरस संक्रमण जैसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए हमारा स्वास्थ्य विभाग पूर्णत: तैयार है। जन-जागरण के बिगुल से लेकर आइसोलेशन वार्ड तक, सरहदी क्षेत्रों की नाकेबंदी से थर्मल एनलाइजर की स्थापना तक, कोई भी प्रयास हमारी सामर्थ्य के बाहर नहीं है।
शिक्षा के आलोक में ही कोई समाज उन्नति के पथ पर बढ़ता है। इसके लिए सबसे पहले हमने नकल माफिया के चंगुल से शिक्षा को मुक्त कराया। ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ के माध्यम से 92,000 से अधिक प्राइमरी पाठशालाओं को आधारभूत सुविधाओं, जैसे बाउंड्रीवॉल, शौचालय, पेयजल, विद्युतीकरण से संपन्न किया है। इन स्कूलों में 45,383 शिक्षकों की भर्ती की जा चुकी है और 69,000 की भर्ती अंतिम चरण में है। माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में 55 नए सरकारी इंटर कॉलेजों की स्वीकृति दी गई है।
कुशल नियोजन और अनुशासित व्यवस्था का ही यह सुफल है कि उत्तर प्रदेश में प्रतिव्यक्ति आय में अनवरत बढोतरी हो रही है। आंकड़ों में कहूं, तो 2014-15 में राज्य की प्रतिव्यक्ति आय 42,267 थी, जो वर्तमान में बढ़कर 70,419 हो गई है। यह हमारी पारदर्शी व्यवस्था की उपलब्धि कही जाएगी कि विगत तीन वर्षों में प्रदेश सरकार द्वारा तीन लाख लोगों को प्रदान की गई सरकारी नौकरियां विवाद मुक्त हैं। गांव, गरीब, किसान, महिला, मजदूर, नौजवान, सबके हित-कल्याण के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। 23 करोड़ लोगों की विशाल आबादी वाला उत्तर प्रदेश सकारात्मक व उत्पादक परिवर्तन के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावना के अनुरूप ‘वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी’ बनने की ओर अग्रसर है। अभी तो यह प्रारंभ है। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से प्रभु श्रीराम और लीलाधारी श्रीकृष्ण की पावन भूमि को हमें परम वैभव तक ले जाने का संकल्प पूरा करना है। मुझे पूरा विश्वास है कि अगले दो वर्ष प्रगति, लोक-कल्याण, सुरक्षा एवं सफाई की दृष्टि से प्रकाश स्तंभ साबित होंगे।
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