हाल ही में टीवी पर 28 मार्च को रामायण का प्रसारण हुआ, तो एक बार फिर से नेताओं को चेहरे चमकाने का मौका मिल गया। यूपी के मंत्री श्रीकांत शर्मा से लेकर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर तक रामायण का मज़ा लेते नज़र आये। देश में एक भी मुख्य सड़क बची नहीं है, जहां पर गांव जाने वाले गरीबों का रेला नहीं लगा है।
सड़कों पर हो रही ‘महाभारत’:
अब पूरे देश में लॉकडाउन होने के कारण सैकड़ों प्रवासी पैदल ही अपने घरों की ओर लौटने को मजबूर हैं। इनमें हिंदुस्तान के मस्तक से गुजरती तकलीफ और वेदना की लकीरें दिखती हैं। भूख और गरीबी की अटूट जंजीरें, बिलखते बच्चे, तड़पती माताएं और छटपटाते पिता इस भीड़ का हिस्सा हैं।
बनाई गयी नीतियां:
यह हमारा शासन-प्रशासन सब देखने के लिए तैयार है लेकिन गरीबों के लिए नीतियां बनाई, उनकी कल्पना से परे कहीं ज्यादा गरीबी हमारे हिंदुस्तान की माटी में गड़ी हुई थी। कोरोना की बीमारी तो हवाई जहाज के रास्ते रईस ले आए, लेकिन अब चलते-चलते गरीबों के हवाई चप्पल घिस रही हैं।
सड़कों पर लगी गरीबों की कतारें सामाजिक और आर्थिक विभाजन का मार्मिक आभास कराती हैं और बताती हैं कि जैसे तस्वीरें हिंदुस्तान ने 1947 में विभाजन के वक्त देखी थी, उसमें और आज के कोरोना काल में तनिक भी अंतर रह नहीं गया।