विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस: 23 अप्रैल का दिन साहित्यिक क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है चूँकि यह तिथि साहित्य के क्षेत्र से जुड़ी अनेक विभूतियों का जन्म या निधन का दिन है. एक कहानी यह भी है की मध्यकालीन समय में 23 अप्रैल के दिन प्रेमी अपनी प्रेमिका को गुलाब का फूल भेंट करता था तो प्रेमिका उत्तर में अपने प्रेमी को एक पुस्तक देती थी. ऐसी एक फूल के बदले पुस्तक देने की परंपरा भी उस समय प्रचलित थी.
जिसने अपने जीवन काल में करीब 35 नाटक और 200 से अधिक कविताएं लिखीं. साहित्य-जगत में शेक्सपीयर को जो स्थान प्राप्त है उसी को देखते हुए यूनेस्को ने 1995 से और भारत सरकार ने 2001 से इस दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. 23 अप्रैल 1564 को एक ऐसे लेखक ने दुनिया को अलविदा कहा था, जिनकी कृतियों का विश्व की समस्त भाषाओं में अनुवाद हुआ. यह लेखक था शेक्सपीयर.
किसी व्यक्ति की किताबों का संकलन देखकर ही आप उसके व्यक्तित्व का अंदाजा लगा सकते हैं. कहते हैं कि किताबें ही आदमी की सच्ची दोस्त होती हैं और दोस्तों से ही आदमी की पहचान भी. किताबों में ही किताबों के बारे में जो लिखा है वह भी बहुत उल्लेखनीय और विचारोत्तेजक है.
विश्व पुस्तक तथा कॉपीराइट दिवस ‘इन्हेन्स बुक रीडिंग हैबिट्स’ के एकमात्र महत्वपूर्ण उद्देश्य से प्रेरित है.
इसके माध्यम से इस प्रवृत्ति को विशेषकर बच्चों में प्रोत्साहित करना है. वर्तमान में 100 देशों में लाखों नागरिक, सैकड़ों स्वयंसेवी संगठन, शैक्षणिक, सार्वजनिक संस्थाएँ, व्यावसायिक समूह तथा निजी व्यवसाय से जुड़े व्यक्ति ‘विश्व पुस्तक तथा कॉपीराइट दिवस’ मनाते हैं. इस पृष्ठभूमि तथा वर्तमान सामाजिक एवं शैक्षणिक वातावरण के परिणामस्वरूप विश्व पुस्तक तथा कॉपीराइट दिवस का ऐतिहासिक महत्व हो गया है.
पुस्तकें ज्ञान तथा नैतिकता की संदेशवाहक, अखंड सम्पत्ति, भिन्न-भिन्न प्रकार की संस्कृति हेतु एक खिड़की तथा चर्चा हेतु एक औजार का काम करती हैं तथा भौतिक वैभव के रूप में देखी जाती हैं. इसके कारण रचनात्मक कलाकारों के स्वामित्व की रक्षा भी होती है. इस अवसर हेतु आयोजित जनजागरण कार्यक्रम का सकारात्मक प्रभाव समाज पर पड़ता है.
किसी ने कहीं लिखा है कि अगर कोई यह मानता है कि यह जीवन उसे सिर्फ एक बार ही मिला है तो यह जानिए कि वह पढ़ना नहीं जानता. वास्तव में अगर किताबें न हों तो बहुत से कार्य तो हमारे अधूरे ही रह जाएंगे. ज्ञान, मनोरंजन और अनुभव की बात कहती ये किताबें यूं ही नहीं पूजी जातीं. इनके पन्नों पर जीवन का हर अर्थपूर्ण अनुभव सहेज लिया जाए ताकि आने वाला कल और भी सुंदर बन सके. आज विश्व पुस्तक दिवस पर हम किताबों से संबंधित कुछ जानकारियां आप तक पहुंचा रहे हैं.
संस्कारित बनना है उद्देश्य
सर्वोदय साहित्य भंडार की स्थापना खुद विनोबा भावे ने 1960 में की थी. जिस उद्देश्य को लेकर इस साहित्य भंडार की स्थापना हुई थी आज भी वो शेष है. यहां भारतीय ज्ञानपीठ की किताबें प्रमुखता से उपलब्ध हैं. यहां चुनिंदा रचनाकारों व प्रकाशकों की ही पुस्तकें रखी जाती हैं. इस साहित्य भंडार का उद्देश्य है युवाओं को ज्ञानवान, संस्कारित और चरित्रवान बनाना. यहां बाल साहित्य भी उपलब्ध है.
भारतीय संविधान से लेकर आज तक के गजट भी है यहां
किसी जमाने में विनोबा भावे की कर्मभूमि रही सफेद कोठी आज ज्ञान की बातें कर रही है. रीगल सर्कल के समीप शा. श्री अहिल्या केन्द्रीय पुस्तकालय 1961 से संचालित होता आ रहा है. यहां करीब 65 हजार किताबें हैं. यहां पाब्लो पिकासो और एमएफ हुसैन के चित्रों को संकलित करती किताबें भी हैं तो 1982 से लेकर आज तक के गजट भी.
भारत का संविधान, हिस्ट्री ऑफ इंग्लैंड, इंडियन आर्ट इन अमेरिका, 100 थाउजेंड ईयर ऑफ डेली लाइफ, नेहरू के भाषण का संग्रह, गुरुमत सिद्धांत, हिन्दी और रूसी शब्दसागर, इनसाइक्लोपीडिया-ब्रिटेनिका, अमेरिकाना, चिल्ड्रन, सोशल वर्क, एव्रीमेन जैसी अनेक किताबें यहाँ ऐसी हैं जो बहुत ही दुर्लभ और कीमती हैं.
नहीं मिट सकता किताबों का अस्तित्व
शा. श्री अहिल्या केंद्रीय पुस्तकालय के प्रभारी क्षेत्रीय ग्रंथपाल डॉ. जीडी अग्रवाल के अनुसार किताबों का अस्तित्व खत्म नहीं हो सकत. आधुनिकता की बात करें तो भी यह बात हर वक्त संभव नहीं कि किताबों के स्थान पर लैपटॉप आदि से पढ़ा जाए. किताबें हर वक्त साथ निभाती हैं फिर चाहे वह बाल साहित्य हो या धार्मिक ग्रंथ। किताबों की दोस्ती हमेशा साथ निभाती है.
4 भागों में महाभारत- 2 भागों में रामायण
वैसे तो डेली कॉलेज की लाइब्रेरी काफी समृद्ध है पर हजारों किताबों के बीच 120 पुस्तकें ऐसी हैं जो दुर्लभ और बेशकीमती हैं. हिस्ट्री ऑफ हिन्दुस्तान के 3 भाग, बर्ड्स ऑफ एशिया के 7 भाग, द किंग एंड क्वीन इन इंडिया 1911 टू 1912 जिसमें राजा और रानियों के चित्र व जानकारी वाली किताब यहाँ है. इसके अलावा लंदन से 1880 में प्रकाशित पुस्तक इंग्लिश स्कूल ऑफ पेंटिंग इन वॉटर कलर, केव टेंपल्स ऑफ इंडिया जैसी किताबें भी यहाँ हैं.
यहाँ 4 भागों में महाभारत और दो भागों में रामायण भी है जिनके पन्नों को देख यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये कितनी पुरानी किताबें हैं.