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 सत्य ही सबसे बड़ा धर्म है: मुनिश्री

ग्वालियर :  सत्य ही साधक के जीवन की शोभा है। जैसे आंख के अभाव में शरीर की सारी सुंदरता फीकी पड़ जाती है, वैसे ही सत्य के अभाव में अन्य सभी व्रतों, नियमों, पूजा, मतों और धार्मिक क्रियाएं शोभाहीन होती हैं। सत्य ही सबसे बड़ा धर्म है। यह बात राष्ट्रसंत मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने शुक्रवार को तानसेन नगर स्थित न्यू कॉलोनी में व्यक्त किए। इस मौके पर मुनिश्री विजयेश सागर महाराज भी उपस्थित थे।

मुनिश्री ने कहा कि सत्य की महिमा जानें। सत्य ही समस्त सिद्धियों, उपलब्धियों का आधार है। जितने भी नियम, व्रत, तप आदि धार्मिक क्रिया अनुष्ठान हैं, वे सत्य के साथ ही प्रभावशाली होती है। सत्य से ही समस्त साधना सफल होती है। मुनिश्री ने कहा कि जो सत्य को छोड़कर असत्य का आश्रय लेते हैं वे अपने जीवन के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ करते हैं।

मुनिश्री ने कहा कि लोगों की धारणा बनी हुई है कि वे यदि सत्य का पालन करेंगे तो उनका सारा काम बिगड़ जाएगा। व्यापार में, नौकरी में, समाज में सभी जगह बहुत कठिनाई आ जाएगी। यह मन की दुर्बलता है। झूठा व्यक्ति ही सदैव भयभीत रहता है, न मालूम कब उसके झूठ का भेद खुल जाए। सत्य के बिना अभय नहीं होता है। सत्यनिष्ठ निर्भीक और निर्भय होता है। सत्य की सदैव विजय होता है। उन्होंने कहा कि जीवन का शाश्वत सुख प्राप्त करना है, तो मन, वचन, कार्य से सत्य आचरण को अपने जीवन में प्रतिष्ठित करने की जरूरत है।

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