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सोच-समझ कर बनाएं ऐसे संबंध, नहीं तो पछतावा पड़ सकता हैं जिंदगीभर

बड़े शहरों में, जहां लोगों का फोकस उनके करियर पर होता है, वहां रिश्ते के मायने धीरे-धीरे बदल रहे हैं। बढ़ती उम्र के बावजूद उन्हें शादी करने की फिक्र नहीं होती। पुरुष हो या महिला, अब वे अपनी शारीरिक और भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने के लिए कैजुअल रिश्तों की ओर रुख कर रहे हैं। ‘आजादी’ और ‘खुलेपन’ की आड़ में वे ऐसे रिश्ते बना रहे हैं जिन्हें वन-नाइट स्टैंड, कैजुअल सेक्स और हुकिंग-अप की संज्ञा दी जा रही हैं।ऐसे रिश्ते में पल-भर की खुशी तो मिल जाती है, लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो लंबे वक्त में इसके साइड इफेक्ट सामने आने लगते हैं…

कैजुअल सेक्स करने वाले लोग अपने पार्टनर्स बदलते रहते हैं। इस वजह से ऐसे रिश्ते में रहने वाले लोगों को सेक्सुअली ट्रांस्मिटेड डिसीज यानी एसटीडी का रिस्क ज्यादा होता है।

शुरुआत में भले ही कैजुअल रिश्तों से खुशी मिले, लेकिन बाद में ऐसा करने वाले लोग अक्सर अपराधबोध से ग्रस्त होकर खुद को कोसने लगते हैं, खासकर तब जब हम किसी परमानेंट रिश्ते-प्यार, शादी में जुड़ने जा रहे हों। लंबे वक्त तक ऐसे चलता रहा तो यह डिप्रेशन की वजह भी बन सकता है।

विशेषज्ञों की मानें तो महिलाओं को ऐसे रिश्तों में ज्यादा परेशानी होती है। दरअसल, शारीरिक संबंध बनाते वक्त उनमें ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन रिलीज होता है। इस हार्मोन की वजह से वह अपने पार्टनर के साथ ज्यादा भावनात्मक रूप से भी जुड़ने लगती हैं। लेकिन अगर उनका पार्टनर उनके लिए वैसा महसूस नहीं करता और वह उनसे दूर चला जाता तो वह अवसाद से घिर जाती हैं।

कैजुअल रिश्ते में रहने वाले लोगों पर पार्टनर की जिम्मेदारी नहीं होती। पर जैसे ही वह परमानेंट रिश्ते में जुड़ते हैं उन्हें अपनी जिम्मेदारियां बोझ लगने लगती हैं। जरा सी रोक-टोक पर वे घुटन महसूस करने लगते हैं।

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