नागरिकता कानून का विरोध करने वालों के ख़िलाफ़ यूपी की योगी सरकार की बदले वाली कार्रवाई जारी है। अब राजधानी लखनऊ में नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन करने वाले 57 लोगों की चौराहों पर होर्डिंग्स लगाई गई हैं। इन लोगों पर आरोप है कि इन्होंने 19 दिसंबर को हुए प्रदर्शन में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया। जिनसे सरकार अब वसूली करेगी।
इन होर्डिंग्स में कई बड़े नाम भी शामिल हैं हैं। जैसे पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जफर, मौलाना सैफ अब्बास और रंगकर्मी दीपक मिश्रा। इन सभी पर लखनऊ में 19 दिसंबर को हिंसा भड़काने का आरोप है। हालांकि पुलिस कोर्ट में दारापुरी और सदफ़ जाफर के खिलाफ आरोपों को साबित नहीं कर पाई थी। जिसके बाद उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया था।
सदफ़ जाफ़र ने प्रशासन द्वारा लगाई गई इन होर्डिंग्स पर आपत्ति जताई है। उन्होंने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि ये कार्रवाई लोगों को बेइज़्ज़त करने के लिए की जा रही है। जो सही नहीं है। वहीं योगी सरकार की इस कार्रवाई की पत्रकार विनोद कापड़ी ने भी तीखे शब्दों में आलोचना की है। उन्होंने इसे सरकार का शर्मनाक चेहरा बताया है।
आदित्यनाथ की सरकार का एक और शर्मनाक चेहरा : Lucknow: CAA Violence-Accused Named and Shamed On Yogi Adityanath’s Orders https://t.co/rxvrTc7mdJ
— Vinod Kapri (@vinodkapri) March 6, 2020
समाजवादी नेता पूजा शुक्ला ने लिखा- 19 दिसम्बर को हुई घटना के बाद कोर्ट ने सभी लोगो को जमानत देदी, जिन्हें अब तक न्याय व्यवस्था ने दंगाई घोषित नही किया उनको रोगी जी ने दंगाई घोषित करके उनका फ़ोटो चौराहे पर चस्पा करा दिया है, अरे रोगी जी अपने दंगाई और बलात्कारी सांसदों विधायको का भी फ़ोटो यू चस्पा करा देते चौराहे पर।
19 दिसम्बर को हुई घटना के बाद कोर्ट ने सभी लोगो को जमानत देदी,जिन्हें अब तक न्याय व्यवस्था ने दंगाई घोषित नही किया उनको रोगी जी ने दंगाई घोषित करके उनका फ़ोटो चौराहे पर चस्पा करा दिया है,अरे रोगी जी अपने दंगाई और बलात्कारी सांसदों विधायको का भी फ़ोटो यू चस्पा करा देते चौराहे पर। pic.twitter.com/DWldvKI496
— Pooja shukla (@poojashukla04) March 5, 2020
प्रशासन का दावा है कि इन 57 लोगों के चौराहों पर होर्डिंग्स मजिस्ट्रेट द्वारा कराई गई जांच के बाद लगाई गई हैं। ज़िलाधिकारी डीएम अभिषेक प्रकाश के मुताबिक, मजिस्ट्रेट की जांच में इन लोगों को दोषी पाया गया है।
प्रकाश ने बताया कि होर्डिंग्स में आरोपियों की तस्वीरें होने के साथ ही यह भी लिखा गया है कि मजिस्ट्रेट की कोर्ट से आदेश जारी होने के 30 दिनों में हिंसा के दोषी पाए गए लोगों ने धनराशि जमा नहीं की तो उनकी संपत्तियां कुर्क कर इसकी वसूली की जाएगी। ऐसी होर्डिंगे उन सभी थाना क्षेत्रों में लगाई जाएंगी जहां जहां हिंसा हुई थी।
दिलचस्प बात तो ये है कि प्रशासन ने वसूली के ये होर्डिंग्स ऐसे वक़्त में लगाई है जब इसको लेकर मामला कोर्ट में विचाराधीन है। इससे पहले फरवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार द्वारा जारी किए जा रहे वसूली के नोटिस पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि वसूसी का नोटिस जांच की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही जारी किया जा सकता है।