भोपाल. कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। उनके साथ पार्टी छोड़ने वाले विधायकों में 19 विधायकों ने हाथ से लिखकर इस्तीफा स्पीकर को भेजा। इन विधायकों में सिर्फ कमलेश जाटव ने अपने इस्तीफे में एक लाइन से ज्यादा लिखा। बाकी 18 विधायकों ने सिर्फ 1 लाइन में हाथ से लिखकर अपना इस्तीफा स्पीकर को भेज दिया। वहीं कांग्रेस के बिसाहूलाल सिंह ने शिवराज सिंह के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने इस्तीफे का एलान किया।
कांग्रेस के 18 विधायकों ने सिर्फ 1 लाइन में अपना इस्तीफा भेजा। ये सभी इस्तीफे हाथ से लिखे गए हैं।
कांग्रेस के विधायकों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में पार्टी से इस्तीफा दिया है।
सिंधिया लंबे समय से कांग्रेस के अंदर खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे थे।
सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं में 6 मंत्री भी शामिल हैं।
सिंधिया के साथ कुल 17 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया था।
कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे का दौर अभी भी जारी है।
अब तक कुल 22 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं।
आगे भी कांग्रेस के कई विधायक इस्तीफा दे सकते हैं।
कांग्रेस के हरदीप सिंह डंग ने सबसे पहले इस्तीफा दिया था।
हाथ से इस्तीफा लिखने वाले विधायकों में इमरती देवी का नाम भी शामिलहै। ये वही इमरती देवी हैं जिन्होंने अपना भाषण कलेक्टर से पढ़वाया था।
18 विधायकों ने अपने इस्तीफे में सिर्फ एक लाइन में एक ही बात लिखी है।
सिंधिया के विधायकों के इस्तीफा देने के बाद कमलनाथ सरकार का गिरना तय माना जा रहा है।
हालांकि कमलनाथ के पाले वाले नेता अभी भी फ्लोर टेस्ट में पास होने का दावा कर रहे हैं।
सीएम कमलनाथ ने अभी तक इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया है। हालांकि, उनकी सरकार का भंग होना तय माना जा रहा है।
सिंधिया के पाले वाले नेताओं के पार्टी से इस्तीफा देने से पहले कमलनाथ ने अपने साथ खड़े सभी मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया था।
हाथ से इस्तीफा लिखने वाले नेताओं में सिर्फ कमलेश जाटव ने ही एक लाइन से ज्यादा लिखा।
सिंधिया के साथ अब तक 22 विधायक इस्तीफा दे चुके हैं। इससे कांग्रेस पार्टी मध्यप्रदेश में काफी कमजोर हुई है।
मध्यप्रदेश में नेताओं के इस्तीफे के बाद राज्सथान में भी उथल पुथल हो सकती है।
राज्सथान में भी सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर राजनीतिक खीचतान जारी है।
भाजपा सिंधिया को राज्यसभा सांसद बना सकती है, जबकि तुलसी सिलावट को राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।