कुमार विजय
नेता तो कोई भी बन सकता है पर शरद पवार कोई-कोई बनता है। शरद पवार ने पावर गेम का सहारा लेकर महाराष्ट्र की राजनीतिक जमीन पर जिस तरह से धुंआ धार बैटिँग की उसने भाजपा खेमे को मैदान छोड़ने पर बेबस कर दिया। भाजपा ने तीन दिन पहले जिस तरह से अजीत पवार को अपने खेमें में लाकर आनन फानन में सरकार बनाई थी उसने राजनीति के तमाम समझदारों को भी झटका दे दिया था। अविश्वश्नीय सत्य को सब सामने घटित होते हुये देख रहे थे। भाजपा ने राज्यपाल से राष्ट्रपति तक को अपने हाँथों की कठपुतली की तरह नचाते हुये रात भर में सारी तैयारी की और सुबह सुबह भाजपा के देवेन्दर फड़नवीस को मुख्यमंत्री और एन सी पी विधायक दल के नेता अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी । शिवसेना और कांग्रेस शक कि निगाह से शरद पवार की ओर देखने लगे।
शरद पवार ने स्थिति कि नजाकत समझी और मीडिया के सामने आकर उन्होने अपना पक्ष रखते हुये कहा कि एन सी पी, कांग्रेस और शिवसेना के साथ है, भाजपा को समर्थन देना अजीत पवार का निजी निर्णय है।
इधर अजीत पवार को पाकर भाजपा खेल को समझे बिना ही खुल कर खेलने लगी थी। अजीत भी भाजपा की मंशा के अनुरूप बालिंग कर रहे थे। इस बालिंग की बदौलत अजीत पवार ने भाजपा को पूरे विश्वास में लेकर उसे अपने ऊपर लगे आरोपों पर पर्दा डालने में लगा दिया। दो दिन की बालिंग की बदौलत ही अजीत पर भाजपा द्वारा लगाये गए तमाम आरोप जिनके लिए भाजपा उनकी जगह जेल में बता रही थी उन सारे आरोपों पर उन्हे क्लीन चिट मिल गई । क्लीन चिट पाते ही अजीत पवार ने पहले बालिंग करना बन्द किया और बाद में यह मेरी बॉल है कहते हुये बॉल लेकर मैदान से फरार हो गए । देवेन्द्र फड़न्वीस मुख्यमंत्री पद का हेलमेट लगाये काफी देर तक अजीत पवार का इन्तजार करते रहे पर जब देखा की मीडिया में अब सिर्फ शरद पवार की गुगली और फुल्टाश के जलवे नुमाया हो रहे हैं दूसरी तरफ संविधान दिवस पर कोर्ट ने भी संविधान की गरिमा को बनाये रखते हुये जो निर्णय सुनाया वह कमोबेश भाजपा को लाल कार्ड की तरह दिखाई पड़ा जिसकी वजह से मैच आगे खेलने के बजाय देवेन्द्र फड़नवीस ने पवेलियन वापस जाने का रस्ता चुन लिया।
तीन दिन के इस खेल में शरद पवार महाराष्ट्र के किंगमेकर बनकर सामने आये हैं । जिस वक्त में दूसरे नेता साहस खो सकते थे उस परिस्थिति में वह अपने पूरे अनुभव के साथ खड़े रहे । पूरी तरह से हाथ से फिसल चुकी बाजी को उन्होनें पहले अपनी गिरफ्त में लिया और फिर भाजपा के सारे रणनीतिकारों को चारों खाने चित्त भी कर दिया।
इस खेल के नतीजे के रूप में शिवसेना, कांग्रेस और एन सी पी ने साझे तौर पर महा विकास अघाड़ी के नाम से संयुक्त मोर्चे का गठन कर उद्धव ठाकरे को उसका नेता चुन लिया है। 1 दिसम्बर को दो उप मुख्यमंत्री के साथ उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। किसी भी सदन का सदस्य नहीं होने के वजह से 6माह के अंदर उन्हे बिधान सभा या बिधान परिषद का सदस्य बनना होगा।