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264 पृष्ठ की ‘कुंभ स्मारिका’ आकर्षित करती है

अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

गत वर्ष प्रयागराज कुम्भ में अनेक कीर्तिमान कायम हुए थे। सम्भवतः इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार को इसपर स्मारिका प्रकाशित करने की प्रेरणा मिली होगी। अब यह भव्य रूप में सामने है।

दो सौ चौसठ पृष्ठ की यह स्मारिका प्रथम दृष्टया आकर्षित करती है। कुम्भ पर लेख व चित्र दोनों ही भाव विभोर करने वाले है। इसका प्रकाशन सूचना एवं जनसंपर्क विभाग,उत्तर प्रदेश ने किया है। प्रारम्भ प्रयागराज कुम्भ के सेल्फी प्वाइंट से होता है,जिसमें नरेंद्र मोदी,योगी आदित्यनाथ और राम नाईक की फोटो है। गंगा आरती,वट वृक्ष,आदि चित्र भी आकर्षित करते है।

अपर मुख्य सचिव सूचना अवनीश अवस्थी ने प्रयागराज कुम्भ के प्रतीक चिन्हों की सचित्र रोचक जानकारी दी है। सूचना निदेशक शिशिर का पुरोवक है। इसमें तैयारियों की व्यापक जानकारी दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लेख में कुम्भ को भारतीय संस्कृति का अप्रतिम गौरव प्रमाणित किया गया। इसके संदर्भ में योगी ने पौराणिक साक्ष्य प्रस्तुत किये है।

उंन्होने बताया एक भारत श्रेष्ठ भारत और सांस्कृतिक कुम्भ,वैचारिक कुम्भ की भी झलक मिली। विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित का विद्वतापूर्ण लेख अमृत प्यास का कुम्भ भारतीय चिंतन को रेखांकित करने वाला है। वह लिखते है कि अमृत प्राचीन प्यास है। अमृत कुम्भ की अनुभूति कोई छोटी बात नहीं है। कुम्भ समागम भारत का प्रतिष्ठित जागरण है। वह स्कंद पुराण की पंक्ति का उल्लेख करते हैं, हरिद्वारे,प्रयागे च धारा गोदावरी तटे। हरिद्वार,प्रयाग,धारा नगरी उज्जैन व नासिक में गोदावरी तट पर समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत गिरा था।

इस लेख के बाद कुम्भ में सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी दी गई। अचला नागर ने आस्था का मेला शीर्षक से कुम्भ पर जानकारी दी है। इसमें सुगम यातायात की भी व्यवस्था की गई थी। ओम निशचल ने कुम्भ के चार स्थलों की जानकारी दी है। कुम्भ परिसर में सस्ते राशन की व्यवस्था की गई थी। स्वच्छता का तो विश्व रिकार्ड कायम हुआ। यहां विश्व स्तर का अभूतपूर्व सांस्कृतिक आयोजन हुआ। स्वास्थ सेवाओं की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई थी। पूरी दुनिया में इसका व्यापक प्रचार हुआ। यह अलौकिक ही नहीं विचार कुम्भ है। इसे प्रकृति का साकार रूप कुम्भ प्रमाणित किया गया। अभिलेख प्रदर्शनी के माध्यम से लोगों को ऐतिहासिक व रोचक जानकारी दी गई। इसी क्रम में ब्रिटिश काल के कुम्भ का भी सचित्र उल्लेख है। कुम्भ की परंपराएं भी ज्ञानवर्धक हैं।
कुम्भ केवल आस्था तक ही सीमित नहीं है। एक लेख में कुम्भ पर्व की वैज्ञानिक एवं ज्योतिषीय महत्ता बताई गई। योग की भारतीय धरोहर बताई गई। प्रयागराज में महर्षि भरद्वाज का आश्रम प्रसिद्ध है। इसकी भी जानकारी दी गई। कुम्भ में आत्मा व संगम और नारीत्व की धर्मध्वजा लेख भी शोधपरक है। प्रयागराज कुम्भ में तीन विश्व रिकार्ड बने। पहला बसों का सबसे लंबा कारवां, दूसरा हांथों की छाप से रचा इतिहास और तीसरा मिसाल बनी स्वच्छता। कैमरे की नजर में कुंभ दो नजर उन्नीस परिशिष्ट का एक एक चित्र अपने में बहुत कुछ बोलता हुआ प्रतीत होता है। स्मारिका के बीच बीच में भी ऐसे ही आकर्षक चित्र है।
योगी आदित्यनाथ के निमंत्रण पर पहली बार प्रवासी भारतीय सम्मेलन के प्रतिनिधि कुम्भ स्नान हेतु पहुंचे थे। यहां आकर यह सभी भाव विभोर थे। ये सभी प्रतिनिधि काशी में हुए प्रवासी सम्मेलन हेतु आये थे। प्रयागराज कुम्भ का इनका कार्यक्रम बाद में बनाया गया। इस बार प्रयागराज कुम्भ में तैयारियों के साथ आस्था का भी समावेश हुआ था। यह योगी की निजी आस्था के कारण संभव हुआ। सरकारी मशीनरी ने भी इसी भावना से कार्य किया। पचास वर्षों में पहली बार तीर्थयात्रियों को इतना शुद्ध जल स्नान हेतु उपलब्ध हुआ। पहली बार तीर्थयात्री पौराणिक अक्षयवट और सरस्वती कूप के दर्शन का अवसर मिला। आस्था के जुड़ाव से पूरा माहौल ही बदल जाता है। इस अवसर के लिए प्रयागराज में सांस्कृतिक केन्द्र के कलाग्राम की स्थापना की गई थी। यहां चलो मन गंगा यमुना तीर कार्यक्रम ने लोगों को बहुत प्रभावित किया। यूनेस्को ने कुम्भ को मानवता के अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की संज्ञा दी। योगी सरकार ने पौराणिक नाम प्रयागराज पुनःस्थापित किया। सरकार ने कुम्भ के अवसर पर अक्षयवट एवं सरस्वती कूप को श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोला। पहली बार सर्वाधिक संख्या में विशिष्ट विदेशी मेहमान कुम्भ में शामिल हुए।
प्रवासी सम्मेलन के प्रतिनिधियों के अलावा इकहत्तर देशों के राजदूत मेला क्षेत्र के भ्रमण हेतु आये थे।

शुद्ध जल के लिये गंगोत्री से लेकर प्रयागराज तक गंदे नालों को गंगा में गिरने से रोका गया था। तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु पन्द्रह फ्लाईओवर,अण्डर ब्रिज बने,दो सौ चौसठ सड़कों का चौड़ीकरण हुआ है। चौराहों का भी चौड़ीकरण और सौन्दर्यीकरण किया गया मेला क्षेत्र का एरिया पहले के मुकाबले बढ़ाया गया है, बाइस पान्टून ब्रिज बनाए गए,करीब सवा लाख शौचालय बनाये गए, बीस हजार से ज्यादा डस्टबिन मेला क्षेत्र में रखे गए थे। दस हजार श्रद्धालुओं की क्षमता का गंगा पंडाल बनाया गया। चार सांस्कृतिक पंडाल बनाये गए। बीस हजार श्रद्धालुओं के मेला क्षेत्र में रुकने की व्यवस्था की गई थी।इसके अलावा तेरह सौ हेक्टेयर में चौरानवे पार्किंग स्थल बनाये गए थे। पहली बार पांच सौ से अधिक सांस्कृतिक कार्यक्रम पूरे मेला क्षेत्र में सम्पन्न हुए। पेंट माई सिटी में पन्द्रह लाख वर्ग फीट में दीवारें पेंट की गई थी।
स्वच्छ कुंभ और सुरक्षित कुंभ की थीम सफल रही। आठ घंटे तक हजारों विद्यर्थियो ने पेंटिंग बनाई। गिनीज विश्व बुक रिकार्ड कायम हुआ। दस हजार सफाई कर्मियों ने एकसाथ सफाई करके विश्व रिकॉर्ड बनाया।

दो हजार तेरह के कुंभ में मॉरिशस के प्रधानमंत्री संगम स्नान के लिए आए थे। लेकिन गंदगी और बदबू देखकर वापस लौट गए थे। जबकि इस बार कुंभ में बिना किसी कार्यक्रम के वह प्रयागराज पहुंचे और उन्होंने चार सौ प्रतिनिधियों के साथ संगम में स्नान भी किया। करीब पच्चीस करोड़ लोगों ने कुम्भ स्नान किया। पहली बार कैबिनेट की बैठक प्रयागराज कुम्भ परिसर में हुई। इसमें प्रयागराज की कनेक्टिविटी के लिए गंगा एक्सप्रेस वे बनाने का निर्णय हुआ था। इस प्रकार यह कीर्तिमानों का दिव्य भव्य कुम्भ था।

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