पीड़ित पिता को भी नहीं मालूम था कि जिसे वह अपना दोस्त समझ रहा है, वही उसकी बेटी का असली कातिल है। खोजबीन के नाम पर पिता के साथ कातिल घूमता भी रहा और सारे भेद भी लेता रहा।
ए. अहमद सौदागर
लखनऊ।
लखनऊ के सहादतगंज में 6 वर्षीय मासूम बच्ची अपने घर की दहलीज पर खेल रही थी, लेकिन उसे नहीं मालूम था कि वह अब कभी उस दहलीज पर खेलने के लिए वापस नहीं आ पायेगी। और यही हुआ, जो हैवान बबलू मासूम बच्ची के पिता के साथ रहा करता था, वही बच्ची की जान लेकर खोजबीन के नाम पर पिता के साथ घूमता भी रहा और सारे भेद भी लेता रहा।
शायद ही कोई महीना हो जब मासूम बच्चियों से लेकर महिलाएं किसी दुराचारी का शिकार न बनती हों, या फिर विरोध करने पर उन्हें मौत के घाट न उतार दिया गया हो।
खास बात यह है कि ये दरिंदे कोई गैर नहीं होते। इनमें पड़ोस का कोई भाई, चाचा, मामा या फिर करीबी रिश्तेदार ही कामान्ध बन जाते हैं।
लखनऊ के सहादतगंज में 6 वर्षीय मासूम बच्ची अपने घर की दहलीज पर खेल रही थी, लेकिन उसे नहीं मालूम था कि वह अब कभी उस दहलीज पर खेलने के लिए वापस नहीं आ पायेगी। और यही हुआ, जो हैवान बबलू मासूम बच्ची के पिता के साथ रहा करता था, वही बच्ची की जान लेकर खोजबीन के नाम पर पिता के साथ घूमता भी रहा और सारे भेद भी लेता रहा।
पीड़ित पिता को भी नहीं मालूम था कि जिसे वह अपना दोस्त समझ रहा है, वही उसकी बेटी का कातिल है।
इस मामले में पीड़ित परिवार पुलिस से सहयोग लेने के लिए थाने पहुंचा, लेकिन पीड़ित पिता को नहीं मालूम था की खाकी वाले भी इस मामले में लापरवाह साबित होंगे। हालाकी लखनऊ पुलिस की लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है, इससे पहले भी कई मामलों में लापरवाही उजागर हो चुकी है।
वीआईपी इलाकों में भी
उदाहरण के तौर पर जानकीपुरम निवासी छात्रा घर से लापता हुई और उसकी रेप के बाद हत्या किसी सुनसान इलाके में नहीं बल्कि मुख्यमंत्री और डीजीपी आवास से चंद कदमों की दूरी पर कर दी गयी और क्षेत्र में गश्त करने का दावा करने वाली पुलिस को इसकी जरा सी भी भनक नहीं लग सकी।
पिछले कुछ साल पूर्व पर गौर करें तो वर्ष 2007 में गोमती नगर के विराट खंड निवासी मीट विक्रेता मोहम्मद हनीफ की 7 वर्षीय मासूम बेटी की दरिंदों ने बेरहमी से कत्ल कर दिया और घर से कुछ दूरी पर स्थित पार्क के पास शव फेंककर भाग निकले। इस सनसनीखेज वारदात के मामले में कातिलों तक पहुंचने के लिए कई तरह की योजनाएं तैयार की गयीं, लेकिन आज तक यह पता नहीं चल सका कि मासूम की हत्या किसने की थी। लिहाजा हार मानकर पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगा दी।
सवाल है कि राजधानी लखनऊ पुलिस के लिए सहादतगंज निवासी मासूम हत्याकांड ही नहीं, कई ऐसे मामलों में भी फेल साबित हुई?