
जेटली को समाज के सभी वर्गों के लोगों के द्वारा सराहा जाता था। उन्हें भारत के संविधान, इतिहास, सार्वजनिक नीति, शासन और प्रशासन के बारे में बेजोड़ जानकारी थी।
नयी दिल्ली/
66 वर्ष की अवस्था में राजनीति के शीर्ष पर रहते हुए अचानक हमेशा के लिए दुनिया को छोड़ जाना एक बार फिर यही सन्देश देता है कि सबकुछ नश्वर है। हालाँकि अरुण जेटली ऐसी बीमारी से ग्रस्त थे कि उनकी सेहत लगातार गिरती ही जा रही थी, फिर भी उम्मीद बनी ही रहती है। लेकिन शनिवार की दोपहर सब कुछ ख़त्म हो ही गया ।
पूर्व वित्त एवं रक्षा मंत्री अरुण जेटली के निधन को बड़ी क्षति बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि जेटली का जाना बेहद दुखद है। जेटली बड़ी राजनीतिक हस्ती, बुद्धिजीवी और क़ानून के ज्ञाता थे। मोदी स समय विदेश दौरे पर हैं। फोन पर मोदी ने जेटली की पत्नी और बेटे से बात कर उन्हें सांत्वना दी। जेटली को प्रधानमंत्री मोदी के क़रीबी लोगों में गिना जाता था।जेटली की पत्नी ने मोदी से अनुरोध किया कि वह विदेशी दौरा पूरा करके ही लूटें, देश पहले है ।

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री जेटली काफ़ी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और एम्स में भर्ती थे। उन्होंने शनिवार सुबह एम्स में अंतिम सांस ली। हाल के दिनों में यह भाजपा के दूसरे वरिष्ठ नेता का निधन हुआ है। 6 अगस्त को ही पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन हो गया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘जेटली जिंदादिली से भरे हुए, बुद्धिजीवी और करिश्माई व्यक्ति थे। जेटली को समाज के सभी वर्गों के लोगों के द्वारा सराहा जाता था। उन्हें भारत के संविधान, इतिहास, सार्वजनिक नीति, शासन और प्रशासन के बारे में बेजोड़ जानकारी थी।’ मोदी ने आगे कहा, ‘अपने लंबे राजनीतिक जीवन के दौरान, जेटली ने कई मंत्रालयों की जिम्मेदारियाँ निभाईं, जिसने उन्हें भारत की आर्थिक वृद्धि, भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने, लोगों के लिए आसान क़ानून बनाने और दूसरे देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के योग्य बनाया।’

प्रधानमंत्री ने कहा, जेटली के निधन से मैंने एक ऐसे मूल्यवान दोस्त को खो दिया है, जिसे मैं दशकों से जानता था। मुद्दों पर उनकी गहरी पहुँच और समझ के समानांतर बहुत कम लोग थे।, मोदी ने कहा, वह अच्छी तरह जिए और हमें काफ़ी ख़ुशनुमा यादों के साथ छोड़ गए। हमें उनकी कमी महसूस होगी।
जेटली ने ख़राब स्वास्थ्य के कारण ही इस बार केंद्र सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया था। जेटली को बीजेपी के प्रमुख रणनीतिकारों में माना जाता था और वह कई बार पार्टी को मुश्किलों से निकालकर लाये थे। प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार सत्ता संभालने पर जेटली को वित्त, रक्षा और सूचना प्रसारण जैसे अहम मंत्रालय दिये थे।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में और उससे पहले भी जेटली मोदी के लिए हमेशा संकटमोचक रहे। जीएसटी पर उन्होंने तमाम राज्यों के वित्त मंत्रियों को राजी किया, उन्हें मोदी का ‘चाणक्य’ भी कहा जाता था।
जेटली पाँच साल वित्त मंत्री रहे लेकिन उनके कार्यकाल में वित्त मंत्रालय बैंकों का एनपीए, डिफ़ॉल्टर्स का विदेश भाग जाना, नोटबंदी, जीएसटी, रफ़ाल जैसे अनेक विवादों में घिरा रहा। लेकिन मीडिया में अपनी पकड़ का इस्तेमाल कर उन्होंने कुशलता से सरकार का बचाव किया।