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अरंविद सेन ने बढ़ाई जेल जाने की चेन,  पिता मित्रसेन यादव कई मामलों में जा चुके थे जेल

-पिता मित्रसेन यादव, कई मामलों में सजायाफ्ता रहे, दयायाचिका पर छूटे
-भाई आंनद सेन को अपहरण हत्या में हुई थी सजा
-मंत्रीपद गंवाने के बाद हाईकोर्ट से हुए थे बरी  
 योगेश श्रीवास्तव
लखनऊ।
हाल ही में आईपीएस अधिकारी और पुलिस उपमहानिरीक्षक अरविंद सेन ने न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। जिसके बाद उन्हे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। न्यायालय में आत्मसमर्पण से पहले पुलिस ने न सिर्फ उन्हे भगोड़ा घोषित कर रखा था बल्कि उनके ऊपर घोषित २५ हजार से बढ़ाकर इनाम पचास हजार कर दिया था।यही नहीं भगोड़ा घोषित होने और इनाम घोषित होने के साथ ही उनके  घर के बार नोटिस चस्पा पर डुग्गी भी पिटवाई गयी थी। जेल जाना या सजायाफ्ता होना अरविंद सेन के लिए कोई नई बात नहीं थी। इससे पूर्व उनके पिता और पूर्व सांसद रहे भाकपा और सपा के नेता मित्रसेन यादव (दिवंगत) को भी कई आपराधिक मामलों में जेल गए और सजा हुई । बाद में राष्टï्रपति के यहां दया याचिका दायर करने के बाद उन्हे जीवनदान मिला था। जबकि भगोड़ा घोषित और जेल भेजे गए अरविंद सेन के भाई आनंद सेन भी फैजाबाद के चर्चित शशि अपहरण और हत्याकांड के मामलें आजीवन कारावास की सजा हो चुकी थी बाद में अपील करने पर उन्हे उच्च न्यायालय से बरी किया गया था। आनंद सेन मायावती सरकार में राज्यमंत्री तथा सपा और बसपा दोनो दलों से विधायक रह चुके है। सपा सरकार में अरङ्क्षवद सेन की तैनाती कई महत्वपूर्ण पद पर रही। पुलिस उपमहानिरीक्षक अरविंद सेन पर पशुधन घोटाले  के आरोपी को बचाने के लिए ३५ लाख की रिश्वत लिए जाने का आरोप था। अरविंद सेन के पिता मित्रसेन यादव (दिवंगत)यंू तो भाकपा के खाटी वामपंथी विचारधारा के नेता थे बाद में वे सपा में शामिल हुए और इसी पार्टी से विधायक भी बने। फैजाबाद से भाकपा से छह बार विधायक और तीन बार सांसद रहे मित्रसेन यादव(दिवंगत)ने वर्ष १९६८ में मवईखुर्द के मथुराप्रसाद तिवारी के दो पुत्रों की दिनदहाड़े हत्या कर दी थी। मित्रसेन यादव(दिवंगत) छह साल जेल भी काट चुके थे। न्यायालय से आरोप सिद्व होने के बाद उन्हे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी थी। सजा होने के बाद उनकी पत्नी श्यामकली ने राष्टï्रपति के यहां दया याचिका दायर की। उस समय कांग्रेस नेता चन्द्रजीत यादव की सिफारिश पर उन्हे क्षमादान दिया गया था। इस घटना के बाद मित्रसेन यादव ने एक बार फिर दरोगा मोहन राय,भवानीफेर यादव तथा ब्लाक प्रमुख रहे कृष्ण कुमार तिवारी की हत्या में भी नामजद हुए थे। इसके  अलावा गबन के एक मामलें में भी मित्रसेन यादव(दिवंगत) को गबन के एक मामलें २१ दिसंबर २०११ को सात साल की सजा के साथ १५ हजार का जुर्माना भी लगाया गया था।
मित्रसेन यादव के पुत्र और प्रदेश की मायावती सरकार में राज्यमंत्री रहे आनंद सेन फैजाबाद के चर्चित श्ािश अपहरण हत्याकांड में निचली अदालत से सजाया$फता हो चुके थे लेकिन बाद में उन्हे उच्च न्यायालय से राहत मिल गयी थी। २२ अक्तूबर २००७ को फैजाबाद के साकेत महाविद्यालय अयोध्या में विधि छात्रा शशि के अपहरण व हत्या के मामलें में आनंद सेन को १७ मई २०११ को जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाई गयी थी।इसमें आनंद सेन के साथ विजय सेन और सीमा आजाद को भी उम्रकैद की सजा सुनाई गयी  थी बाद में उच्च न्यायालय में अपील करने पर २२ अप्रैल २०१३ को उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने आनंद सेन और विजय आजाद को बरी कर दिया था। आंनद सेन मायावती सरकार में राज्यमंत्री रह चुके थे। मायावती सरकार गठन के जिस समय आनंद सेन को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का निर्णय लिया था उस समय वे जेल में ही थे। जेल से जमानत मिलने के बाद उन्हे शपथ दिलाई गयी थी। बाद में शशि अपहरण और हत्या में उनका नाम आने के बाद उन्हे मंत्रिपद से बर्खास्त कर दिया गया था।
 
 

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