सीजेएम के आदेश के बाद भी आठ साल तक बृजलाल व अन्य पुलिस अफसरों पर दर्ज नहीं हुआ मुकदमा
20 नवंबर 2019 को हुआ मुकदमा दर्ज
प्रयागराज।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीजेएम अदालत के आदेश पर डीजीपी कानून व्यवस्था बृजलाल पुलिस एवं अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने में आठ साल की देरी को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने कहा कि अभिलेख से प्रथमदृष्टया अवमानना का मामला बनता है। अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से जानबूझकर अदालत के आदेश की अवमानना की है।
अपर महाधिवक्ता ने इस मामले में समय की मांग की तो कोर्ट ने उसे स्वीकारते हुए सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तारीख लगाई है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने पुलिस विभाग में रक्षक कल्याण ट्रस्ट के संस्थापक ब्रजेंद्र सिंह यादव की याचिका पर दिया है। मामला गैर पंजीकृत समिति बनाकर पुलिस कर्मचारियों के वेतन से अवैध कटौती करने के आरोप की है।
मामले के आरोपियों में डीजीपी कानून व्यवस्था रह चुके बृजलाल, गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक रहे मनोज कुमार, एसपी ग्रामीण रहे शकील अहमद, रिजर्व पुलिस इंस्पेक्टर रहे राम बहादुर सिंह और जमानिया थाना प्रभारी रहे योगेंद्र कुमार शुक्ल हैं।
इन पर आरोप लगाते हुए सीजेएम गाजीपुर की अदालत में सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत अर्जी दाखिल की गई। सीजेएम गाजीपुर ने अर्जी पर सुनवाई के बाद 12 सितंबर 2011 को मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।
बृजलाल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर इस आदेश को चुनौती दी लेकिन उसकी याचिका खारिज हो गई। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी हुई तो उन्हें वहां से स्टे मिल गया लेकिन 18 अक्तूबर 2013 को एसएलपी भी खारिज हो गई लेकिन उसके बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।
हाईकोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि 20 नवंबर 2019 को मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। कोर्ट ने अदालत के आदेश का अनुपालन आठ साल बाद होने को गंभीर मानते हुए मामले पर सुनवाई के लिए 12 दिसंबर की तारीख लगाई है।