ऐतिहासिक भव्यता के अनुरूप अयोध्या
डॉ दिलीप अग्निहोत्री
विश्व के अनेक देशों की अर्थव्यवस्था में पर्यटन व तीर्थाटन का विशेष योगदान रहता है। इसके लिए इन देशों ने योजनबद्ध ढंग से प्रयास किया। अपनी आध्यात्मिक, ऐतिहासिक व प्राकृतिक धरोहरों को सजाया सँवारा, वहां विश्व स्तरीय सुविधाओं व संसाधनों का विकास किया। इसके कारण अनेक स्थानों को विश्व स्तरीय प्रतिष्ठा मिली। स्वतंत्रता के बाद भारत के लिए भी ऐसा करने का अवसर था। लेकिन कतिपय मध्यकालीन इमारतों के अलावा अन्य ऐतिहासिक स्थानों के विकास पर उचित ध्यान नहीं दिया गया।
नरेंद्र मोदी ने जब काशी को क्वेटो जैसा विकसित करने की बात कही थी, तब इसका प्रतीकात्मक महत्व था। क्वेटो को विश्वस्तरीय बनाने में वहां की अनेक सरकारों ने प्रयास किया था। जबकि हमारे यहां इस प्रकार के विजन का अभाव रहा है। नरेंद्र मोदी सरकार ने तीर्थाटन व पर्यटन पर अत्यधिक जोर दिया। इस विषय को प्राथमिकता में शामिल किया।
अनेक सर्किट का निर्माण चल रहा है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस दिशा में प्रभावी कदम उठा रहे है। उन्होंने कहा भी ये पिछली सरकार तीर्थाटन की बात अलग अयोध्या का नाम लेने से डरती थी। योगी पिछले ढाई वर्षों में दर्जनों बार अयोध्या गए। प्रत्येक बार वहां विकास योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया। दीपोत्सव को भी उन्होंने विकास से जोड़ दिया। इस बार दीपोत्सव पर उन्होंने अयोध्या में करीब ढाई सौ करोड़ रुपये की योजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया था। इसी क्रम को आगे बढ़ाया गया।
योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या को हिंदुओं की आस्था के सबसे महत्वपूर्ण स्थल के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है। इक्ष्वाकुपुरी के रूप में सरयू के तट पर एक आध्यात्मिक सांस्कृतिक नगरी की स्थापना की जाएगी।
इसे विकसित करने के लिए नुजूल, वन और उद्यान विभाग की भूमि उपयोग में लाई जाएगी। इस हरित नगरी में निर्मित क्षेत्रफल अधिकतम पांच प्रतिशत होगा। इक्ष्वाकुपुरी का विकास पूर्व एशियाई हिंदू वास्तुशैली और भारत की तीनों नागर, द्रविड़ और बेसर के मिश्रण से किया जाएगा। भवन निर्माण की अन्य प्राचीन शैलियों का भी प्रयोग होगा। विश्व के अनेक देशों के लोग अपने को श्री राम का वंशज मानते है। उन्होंने अपनी शैली में श्री राम के प्रतीक स्थापित किया। उनका भी इसमें प्रयोग होगा। इस प्रकार यह नगरी अनेक देशों के लोगों भावनात्मक लगाव बढ़ेगा।
श्री राम अवतार थे। उनकी पूजा की जाती है। लेकिन अयोध्या राज्य का इतिहास बहुत व्यापक और गौरवशाली रहा है। इस इतिहास की जानकारी प्रत्येक भारतीय को होनी चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने इस ओर भी ध्यान दिया है। सरयू नदी के तट पर यह इतिहास भी उकेरा जाएगा। महाराज मनु, इक्ष्वाकु, मान्धाता, रघु हरिश्चंद्र, दिलीप भगीरथ,अज, दशरथ,आदि का इतिहास लोगों को बताया जाएगा।
इक्ष्वाकुपुरी के एक तरफ सरयू नदी के किनारे रिवर फ्रंट बनेगा। इस इतिहास से जुड़े ऐतिहासिक चित्र, लघु फिल्मों, डाक्यूमेंट्री, डिजिटल किताबों आदि का प्रदर्शन होगा। इस नगरी में आधुनिकता, वैज्ञानिकता और आध्यात्मिकता तीनों का समन्वय होगा।
सौ से ज्यादा देशों में प्रभु राम का अपना वंशज मानने वाला समुदाय है। इन सभी की शैली व परम्परा के यहां दर्शन होंगे। इन सभी दृष्टियों से भव्य राम मंदिर, इक्ष्वाकुपुर, कुंभ नगरी,का निर्माण होगा। अयोध्या के बाहरी क्षेत्र को आसपास शहरों व बड़े राजमार्गों से जोड़ने के लिए फोर लेन सड़कों, ओवरब्रिज, बाईपास, एयरपोर्ट आदि का निर्माण भी किया जाएगा। शास्त्रों में वर्णित दंडकारण्य, विंध्यारण्य, धर्मारण्य, वेदारण्य व गुरुकल,जलाशय, सरोवर,उपवन की भी स्थापना की जाएगी। योगी आदित्यनाथ ने इन सभी योजनाओं का प्रजेंटेशन देखा। वह इसके प्रति गंभीर है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ ही इस महत्वाकांक्षी योजना पर कार्य आगे बढ़ सकता है। विश्व के सौ देशों में इसे लेकर उत्सुकता रहेगी। योगी आदित्यनाथ की इस कार्ययोजना के क्रियान्वयन के बाद अयोध्या विश्व स्तरीय तीर्थाटन केंद्र के रूप में प्रतिष्ठि होगा।