पद्मभूषण वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा जी
नई दिल्ली।
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन एवं आयुष मंत्री श्री श्रीपद यशो नाइक ने मंत्रालय की ओर से आयुर्वेद प्रोटोकाल की घोषणा की है, ताकि आयुर्वेद एवं योग द्वारा कोविड-19 की रोकथाम अथवा चिकित्सा में एकरूपता लाई जा सके। मंत्रालय के इस कदम से उम्मीद की जाती है कि विश्व में आयुर्वेद अपनी वैज्ञानिकता एवं उपयोगिता के कारण वास्तविक स्वरूप में स्वीकार्य होगा।
इसी क्रम में कोविड-19 की स्थिति से निपटने के लिए 28 मार्च, 2020 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आयुष विशेषज्ञों से विडियो कांफ्रेन्स के द्वारा बातचीत की थी। उन्होंने कोविड-19 महामारी की रोकथाम हेतु तत्थों पर आधारित चिकित्सा एवं अनुसंधान पर बल दिया था। प्रधानमंत्री ने औषधि निर्माताओं से सैनिटाईजर बनाने एवं टेलीमेडिसिन को अपनाने का आह्वान करते हुए कहा था कि इससे कोविड-19 से लड़ाई में आपकी निरंतर पहचान बढ़ेगी।
अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के अध्यक्ष वैद्य श्री देवेन्द्र त्रिगुणा ने कोरोना के संक्रमण की रोकथाम एवं लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु आयुष क्वाथ तैयार कराने पर बल देते हुए गिलोय, च्यवनप्राश, अश्वगन्धा, आयुष-64 सहित अन्य रसायनों का उपयोग करने का सुझाव दिया था जो वृहद स्तर पर स्वीकार्य हुआ है।
उन्होंने यह भी बताया था कि इससे पूर्व 1994 में प्लेग की महामारी के समय भी आयुर्वेद में वर्णित औषधियों के आधार पर धूपन सामग्री तैयारी करायी गयी थी । इसके धुए से वायुमण्डल में संक्रमण कम हुआ था एवं सूरत (गुजरात) तथा सम्पूर्ण देश में फैली बीमारी से जनधन को बचाने में यह देश सफल रहा था। आज भी धूपन की उतनी ही उपयोगिता है। इससे वायु मण्डल से कोरोना संक्रमण समाप्त हो सकता है। संक्रमण के प्रारम्भ काल से ही कोविड-19 की लड़ाई में आयुर्वेद एवं अन्य आयुष पद्धतियाँ तथा इसके चिकित्सक लगे हुए हैं। परिणाम देश के सामने हैं। इतनी घनी आबादी वाले भारत देश को किसी सीमा तक बचाने में सफल हो सके हैं।
भारत के महर्षियों ने “शरीर’’ को धर्म कार्यों का सबसे प्रमुख साधन माना है। अतः ब्रह्मा द्वारा सृष्टि के प्रारम्भ के साथ ही शरीर को स्वस्थ रखने के लिये आयुर्वेद का भी प्रादुर्भाव हुआ। यह स्वास्थ्य संरक्षण की सबसे प्रथम और प्राचीन विद्या है।
अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन अपने स्थापना काल 20वीं सदी के प्रारम्भ से ही इस शाश्वत आयुर्वेद विज्ञान के संक्षरण, प्रचार-प्रसार एवं उन्नति के कार्यों में संलग्न रहते हुए सरकार को सहयोग प्रदान करता आ रहा है।
पद्मविभूषण वैद्य बृहस्पतिदेव त्रिगुणा जी
1983 में महासम्मेलन के अध्यक्ष पद का भार पद्मविभूषण वैद्य बृहस्पतिदेव त्रिगुणा जी ने संभाला। अपनी लगन एवं आयुर्वेद के प्रति सच्ची श्रद्धा के कारण श्री त्रिगुणा जी ने आयुर्वेद महासम्मेलन की पताका विश्व भर में फहरा दी । उनके इस कार्य में भावातीत ध्यान के पुरोधा महर्षि महेश योगी जी का सहयोग प्राप्त हुआ।
वर्तमान समय में संस्था के अध्यक्ष पद्मश्री एवं पद्मविभूषण से सम्मानित वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा जी के निर्देशन में संस्था निरंतर प्रगति पथ पर अग्रसर है। आयुर्वेद विज्ञान के पुनरुद्धार में निरंतर प्रयत्नशील होने के फलस्वरूप कई महत्त्वपूर्ण संस्थाओं की स्थापना हो सकी। उसी श्रृंखला में 21वीं सदी में प्रवेश के साथ महासम्मेलन के पदाधिकारियों ने यह विचार किया कि जब देश में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के बड़े-बड़े अस्पताल हैं तो आयुर्वेद का भी होना चाहिए। परिणामतः अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन द्वारा दिल्ली में बढ़ते जनसंख्या के दबाव तथा देश एवं विश्व के लिए आयुर्वेद की विशिष्ट जानकारी, चिकित्सा, अनुसंधान, शिक्षा प्रदान करने हेतु देश की राजधानी दिल्ली में एक अखिल भारतीय स्तर के सर्वश्रेष्ठ संस्थान के लिए निरंतर मांग एवं पद्मविभूषण वैद्यराज श्री बृहस्पतिदेव जी त्रिगुणा की प्रेरणा एवं पद्मभूषण वैद्य श्री देवेन्द्र त्रिगुणा के निरंतर प्रयास के फलस्वरूप 5 मई 2000 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने धन्वन्तरि जयन्ती समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री निवास से दिल्ली में ’’आल इण्डिया इंस्टीच्यूट आफ आयुर्वेद’’ बनाने की घोषणा की।
भारत के तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री भैंरो सिंह शेखावत ने 14 फरवरी 2004 को सरिता विहार, नई दिल्ली में भूमिपूजन कर इस संस्थान की विधिवत आधारशिला रखी। तत्कालीन दिल्ली के उपराज्यपाल श्री विजय कपूर, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज, केन्द्रीय श्रम मंत्री डॉ. साहिब सिंह वर्मा, वैद्य बृहस्पतिदेव त्रिगुणा, वैद्य देवेन्द्र त्रिगुणा, गणमान्य अतिथियों के अतिरिक्त वैद्यसमाज की जानीमानी हस्तियों सहित क्षेत्र के हजारों लोग इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। समारोह के अवसर पर आयुष विभाग के आयुर्वेद परामर्शदाता डा. एस. के. शर्मा ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। अन्त में आयुष विभाग के सचिव श्री शेखरदत्त ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये तथा सभी के प्रति आभार एवं धन्यवाद प्रकट किया।
17 अक्तूबर, 2017 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया । अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का आयुर्वेद चिकित्सा एवं शिक्षा हेतु अनेक विश्वविद्यालयों तथा अनेक देशों की संस्थाओं से M.O.U. हुआ है। आज यह देश की चिकित्सा एवं शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी संस्था है।
दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मदन लाल खुराना ने दिल्ली में आयुर्वेद का निदेशालय बनाने की घोषणा की और उसको केबिनेट से पास कराया। इसके बावजूद दिल्ली के उराज्यपाल श्री दवे ने इसे रोक दिया था परन्तु वैद्य जी उस समय उनके आयुर्वेद चिकित्सक थे और जब आपने उन्हें इसकी विस्तृत जानकारी दी तो उपराज्यपाल ने इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने के आदेश जारी किये। इस प्रकार लम्बे समय से चली आ रही मांग पूर्ण हो सकी।
दिल्ली की आबादी बहुत बढ़ गई है तथा यहाँ पूरे हिन्दूस्तान से विद्यार्थी आ रहे हैं। वैद्य त्रिगुणा जी ने मुख्यमंत्री खुराना से कहा कि किसी समय दिल्ली में 6 आयुर्वेदिक कालेज चलते थे परन्तु वर्तमान में एक आयुर्वेदिक कालेज है जिसमें भी आधा यूनानी कालेज है। अतः एक और कालेज की स्थापना की जाये। तब दिल्ली के मुख्यमंत्री ने एक आयुर्वेद कालेज बनाने की घोषणा की।
तत्पश्चात् दिल्ली में एक और आयुर्वेद कालेज के लिए श्री साहब सिंह वर्मा के मुख्यमंत्रीत्व काल में खेड़ा डाबर में 90 एकड़ जमीन ली गयी एवं श्री लालकृष्ण आडवानी द्वारा भूमि पूजन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ । 6-7 वर्षों तक इस दिशा में कोई भी कार्य सम्भव नहीं हो पाया । वैद्य श्री देवेन्द्र त्रिगुणा जी दिल्ली की मुख्यमंत्री के आयुर्वेद चिकित्सक होने के नाते श्रीमती शीला दीक्षित से निवेदन किया। श्रीमती शीला दीक्षित का आयुर्वेद एवं भारतीय परम्पराओं में गहरा विश्वास था। उन्होंने इस मांग को मानते हुए, जो योजना एक प्रकार से प्रायः समाप्त (DUMP) हो चुकी थी उसे फिर से प्रारम्भ करवाया। दिल्ली के प्रमुख सचिव श्री रघुनाथन के प्रयासों से भारत का सबसे बड़े आयुर्वेदिक कालेज के भवन निर्माण का कार्य प्रशस्त हुआ। इस महाविद्यालय के भवन का उद्घाटन श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने 6 जुलाई 2007 को अपने सेवाकाल के पूर्व दिन पर किया था। आज देश में इस महाविद्यालय का विषेश स्थान है।
आयुर्वेद विज्ञान के विशिष्ट विद्वानों की जानकारी जनसाधारण तक पहुँचाने के उद्देश्य से महासम्मेलन डाक तार विभाग से टिकट छपवाने का निरंतर अनुरोध करता आ रहा था। वैद्य श्री देवेन्द्र जी के प्रयासों से तत्कालीन मंत्री श्री मनोज सिन्हा, वर्तमान में जम्मू एवं कश्मीर के राज्यपाल की इच्छाशक्ति एवं आदेश से आयुष विभाग के मंत्री श्री श्रीपद यशो नाइक एवं सचिव वैद्य श्री राजेश कोटेचा जी के सद्प्रयत्नों से यह संभव हो सका। यह भी ऐतिहासिक घड़ी थी जब प्रधानमंत्री ने आयुष विद्वानों के चित्रों से युक्त डाक टिकट (पोस्टल स्टैम्प) जारी किये थे।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आयुर्वेद-दिवस के अवसर पर 30 अगस्त, 2019 को आयुष के 12 “मास्टर हिलर्स” के सम्मान में दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में डाक टिकट जारी किये ।
इस समारोह में आयुश मंत्री श्री श्रीपद यशो नाइक, सचिव वैद्य श्री राजेश कोटेचा सहित देशभर से आयुर्वेद विद्वान एवं आयुर्वेद प्रेमी हजारों की संख्या की शमिल हुए थे। आयुष विद्वानों में आयुर्वेद क्षेत्र से अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के संस्थापक वैद्य शंकरदा जी शास्त्री पदे, भूतपूर्व अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलनाध्यक्ष एवं अनेकों प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रन्थों के लेखक वैद्य यादवजी विक्रमजी त्रिकम, भूतपूर्व अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलनाध्यक्ष, आयुर्वेद के विश्वविख्यात नाड़ी विशेषज्ञ एवं चिकित्सक वैद्यराज बृहस्पतिदेव त्रिगुणा एवं भारतीय मूल्यों, भावातीत ज्ञान एवं आयुर्वेद को विश्वपटल पर लाने वाले महर्षि महेश योगी जी के नाम शामिल हैं। यह कार्य वैद्य श्री देवेन्द्र त्रिगुणा के अनेक वर्षों के प्रयत्नों के पश्चात पूर्ण हो सका है।
इसी प्रकार इस वर्ष 2020 के प्रारम्भ में जब विश्व में करोना (कोविड-19) नामक महामारी का प्रकोप प्रारम्भ हुआ जिसने मार्च आते-आते अपना विकराल रूप पूरे विश्व में दिखाना शुरू किया ही था कि देश के प्रधानमंत्री ने बड़ी दूरदर्शिता के साथ सभी चिकित्सा पद्धतियों का सहयोग लेने का निर्णय लिया और देश के सभी प्रमुख क्षेत्रों से विचार-विमर्श प्रारम्भ किया।
वैद्य अवधेश कुमार श्रीवास्तव
विशेष कार्यकारी अधिकारी
अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन
9818072120