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पत्नी और बेटे के साथ जेल भेजे गए आजम खां

जौहर यूनिवर्सिटी में निर्माण गिराने के आदेश पर 31 मार्च तक रोक

वरिष्ठ पत्रकार जे.पी. सिंह की कलम से

समाजवादी पार्टी के फायर ब्रांड नेता आजम खां के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में कभी ख़ुशी कभी गम का सामना करना पड़ रहा है। 

योगी सरकार में उनके विरुद्ध लगभग 80 मुकदमें लाद दिए गये हैं।इनमें से कुछ में इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टे मिल गया है तो कुछ में राहत नहीं मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को 31 मार्च तक जौहर विवि की चारदीवारी को गिराने पर रोक लगा दी है तो बुधवार को रामपुर की एक अदालत ने समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खां के साथ पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला को जेल भेज दिया है।सभी को 2 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने के मामले में गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद बुधवार को आजम खान अपनी पत्नी और बेटे के साथ कोर्ट में पेश हुए थे।जिसके बाद कोर्ट ने तीनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजने का आदेश दिया। इस मामले में अब अगली सुनवाई दो मार्च को होगी। आजम खां ने एडीजे 6 की कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर तीनों को न्यायिक हिरासत में ले लिया गया।

आजम खां ने 20 मामलों में जमानत याचिका दायर की थी। कई मामले में तो जमानत मंजूर हो गई है। लेकिन बेटे अब्दुल्ला आजम के फर्जी प्रमाण पत्र और दो पासपोर्ट के मामले में धारा 420 के तहत दर्ज मामले में जमानत याचिका खारिज की गई है। अब उन्हें जमानत के लिए हाईकोर्ट जाना होगा। गौरतलब है कि कुर्की की मुनादी होने के बावजूद कोर्ट में पेश न होने पर अदालत ने सपा सांसद आजम खां, उनकी पत्नी व विधायक तजीन फात्मा और पुत्र अब्दुल्ला आजम की संपत्ति कुर्क करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने सोमवार को तीनों की अग्रिम जमानत की याचिका भी खारिज कर दी थी। अब्दुल्ला आजम खां के जन्म के दो प्रमाणपत्र होने के मामले में भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक आकाश सक्सेना ने 3 जनवरी, 2019 को आजम खां, फात्मा और अब्दुल्ला के खिलाफ गंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अप्रैल में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी। इसकी सुनवाई एडीजे-6 धीरेंद्र कुमार कोर्ट में चल रही है। सुनवाई के दौरान लगातार गैरहाजिर रहने पर कोर्ट ने तीनों के खिलाफ पहले समन, फिर जमानती वारंट और बाद में गैरजमानती वारंट जारी करने के आदेश दिए थे।

इसके बाद भी जब तीनों कोर्ट नहीं पहुंचे तो उनके खिलाफ धारा 82 के तहत गंज पुलिस ने 9 जनवरी को ढोल बजवा कर मुनादी कराई। इसके बावजूद आजम परिवार कोर्ट नहीं पहुंचा। मंगलवार को इस मामले में सुनवाई के बाद कोर्ट ने कुर्की के आदेश दिए। तीनों के खिलाफ पहले से गैरजमानती वारंट के आदेश को कोर्ट ने बरकरार रखा है।

मामले के मुताबिक आजम खान और उनके परिवार ने अब्दुल्ला आजम का एक जन्म प्रमाणपत्र रामपुर नगरपालिका से बनवाया है, जिसमें उनकी जन्मतिथि एक जनवरी, 1993 दर्शाई गई है। दूसरा लखनऊ के अस्पताल से भी जन्म प्रमाणपत्र बनवा लिया, जिसमें उनकी जन्मतिथि 30 सितंबर, 1990 है। बाद में पासपोर्ट और पैन कार्ड में उम्र ठीक करा दिया गया।

जौहर यूनिवर्सिटी में निर्माण गिराने के आदेश पर 31 मार्च तक रोक

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रामपुर के सांसद मोहम्मद आजम खान के ड्रीम प्रॉजेक्ट मौलाना मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय रामपुर की बाउंड्रीवॉल गिराने के 20 फरवरी के ध्वस्तीकरण आदेश के खिलाफ एसडीएम के समक्ष पुनरीक्षण अर्जी दाखिल करने की छूट देते हुए आदेश पर 31 मार्च तक रोक लगा दी है। इसके साथ ही यह भी कहा है कि एसडीएम पुनरीक्षण अर्जी पर एक महीने में निर्णय लेंगे।यह आदेश जस्टिस सलिल कुमार राय ने मोहम्मद जौहर अली ट्रस्ट की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

एसडीएम ने किसानों की जमीन पर अवैध कब्जा करने के आरोप में कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया, जिसे याचिका में चुनौती दी गई। कोर्ट ने कहा कि विवादित जमीन पर किया गया निर्माण एक शैक्षिक संस्थान का है। इसलिए यह राहत दी जा रही है।यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने मोहम्मद जौहर अली ट्रस्ट की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। सरकारी वकील ने कहा कि तहसीलदार के आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की जा सकती है। याचिका पोषणीय नहीं है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता रविकांत व सफदर काजमी ने बहस की। तहसीलदार ने किसानों की जमीन पर अवैध कब्जा करने के आरोप में कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। याचिका में उस आदेश को चुनौती दी गई है।रामपुर प्रशासन ने 20 फरवरी, 2020 को सांसद आजम खां की जौहर यूनिवर्सिटी में बुलडोजर चलवा दिया था।

आरोप है कि सपा शासनकाल में चकरोड की जमीन को जौहर यूनिवर्सिटी में मिला लिया गया था और इसके बदले में दूसरी जमीन ग्राम पंचायत को दे दी गई थी। इस मामले में पिछले दिनों राजस्व परिषद ने चकरोड की जमीन को कब्जामुक्त कराने का आदेश दिया। परिषद ने जमीनों की अदला-बदली को भी गलत माना था। इसके बाद प्रशासन ने पैमाइश कर चकरोड की जमीन पर कब्जा ले लिया और ग्राम पंचायत सींगनखेड़ा के सिपुर्द कर दिया। साथ ही उप जिलाधिकारी ने जमीन पर बने निर्माण को हटाने के लिए यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार और कुलाधिपति सांसद आजम खां को भी नोटिस जारी किया। निर्माण हटाने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया था, जो 16 फरवरी को पूरा हो गया था। निर्धारित अवधि में निर्माण नहीं हटाया गया तो प्रशासन ने बुलडोजर चलवा दिया।

भाजपा नेता आकाश सक्सेना की शिकायत पर राजस्व परिषद द्वारा जौहर विश्वविद्यालय में स्थित चकरोडों को खाली करने के खिलाफ सपा सांसद आजम खां द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका खारिज करने के बाद सक्रिय प्रशासन ने पहले ही जौहर विश्वविद्यालय परिसर में स्थित 17.5 बीघा जमीन पर कब्जा ले लिया था।इसके बाद जमीन को ग्राम समाज के खाते में दर्ज करते हुए इसे आलियागंज के प्रधान की सुपुर्दगी में दे दिया गया था। चकरोड के चिन्हीकरण में जौहर विश्वविद्यालय के कैंपस में स्थित वीसी का आवास व साइंस फैकेल्टी के निकट स्थित एक भवन और मेडिकल कॉलेज का कुछ हिस्सा जद में आया था। जिसको लेकर यह कार्रवाई की गई थी।

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