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‘इंसान और प्रकृति से प्रेम करने वाले कभी वृद्ध नहीं होते: डॉ विकास त्रिवेदी

“प्रौढ़ावस्था में अस्थि रोग”

प्रयागराज

भारत विकास परिषद प्रयाग शाखा की सामान्य सभा बैठक में “प्रौढ़ावस्था में अस्थि रोग” विषय पर अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ विकास त्रिवेदी का व्याख्यान हुआ।

मुख्य अतिथि डॉ विकास त्रिवेदी ने प्रौढ़ावस्था में विभिन्न अस्थि रोगों पर चर्चा करते हुए कहा कि थोड़ी सी सावधानी से अनेक प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है ।
डॉ त्रिवेदी ने कहा कि सबसे अधिक आस्टियो आर्थराइटिस प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में परेशान करता है, इसका कारण जेनेटिक भी हो सकता है। मगर अधिकतर फिटनेस  पर ध्यान न देने के कारण ऐसा  होता है। 

भारतीय अपने खाने पर और अपनी डाइट पर कंट्रोल नहीं करते हैं । अपने आदतों को ठीक नहीं करते हैं, इसलिए यह रोग भारतीयों में बहुत अधिक है। इसके लिए सबसे जरूरी है दवा से पहले इस की रोकथाम। इसके लिए लोगों को सोने से 2 घंटे पहले भोजन कर लेना चाहिए, नियमित रहने की कोशिश करना चाहिए, विटामिन डी सप्लीमेंट लेना चाहिए, नियमित पैदल चलने से भी हड्डियां मजबूत होती है, मेवे और दूध के बने पदार्थ खाने से भी हड्डियां मजबूत होती हैं, दिन में कम से कम दो ग्रीन टी बिना चीनी के और दूध के लेना चाहिए, बैठने का सही पोस्चर होना चाहिए, विशेष रूप से सदैव एकदम सीधा बैठने की कोशिश करनी चाहिए ।

यदि दर्द ज्यादा हो तो उसके लिए एक्सपर्ट/ डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिए। बिना डॉक्टर की सलाह के दर्द निवारक दवाई खाना उचित नहीं है क्योंकि इससे लीवर और किडनी प्रभावित हो सकते हैं। डॉ त्रिपाठी ने कहा कि घुटना प्रत्यारोपण, जो कि 1990 के दशक में विकसित हुआ, यदि कोई उपाय ना हो तभी करना चाहिए। क्योंकि अब ऐसी अनेक तकनीकी विकसित हो चुकी हैं जिससे इंजेक्शन के द्वारा नया कार्टिलेज डेवलप कर पाना भी संभव हो गया है।

डॉक्टर त्रिवेदी ने वृद्धावस्था में हड्डियों के फ्रैक्चर का अधिक खतरा बताते हुए कुछ अन्य सावधानियों की भी चर्चा की। वृद्धावस्था में नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह से विटामिन डी और कैल्शियम सफलमेंट्री लेना चाहिए । घर में चोट न लगे और गिरने की संभावना ना हो, इसके लिए घर में जरूरत पड़े तो मॉडिफिकेशन भी करना चाहिए; आंखों की नियमित रूप से जांच कराना चाहिए; एंटी स्किड चप्पल का प्रयोग करना चाहिए, इन कुछ सावधानियों से वृद्धावस्था में भी भला चंगा रहा जा सकता है।


डॉक्टर त्रिवेदी ने कहा कि जापान में कुल जनसंख्या का 25% से अधिक वृद्ध हैं परंतु उनका अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान होता है। वास्तव में उम्र महज एक संख्या जो लोग इंसान और प्रकृति से प्रेम करते हैं वह कभी वृद्ध नहीं हो सकते हैं । इसलिए सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना और प्रसन्नता के साथ जीवन जीना सबसे बड़ा मंत्र होना चाहिए।

इससे पूर्व विवेकानंद और भारत माता के चित्रों पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई।

भारत विकास परिषद प्रयाग शाखा की अध्यक्ष डॉ शांति चौधरी ने मुख्य अतिथि सहित सभी अतिथियों का स्वागत किया और नए सदस्य श्री के के जायसवाल को परिषद की सदस्यता दिलाई ।

शाखा के संस्थापक सदस्य श्री रमेश कपूर का भी सम्मान किया गया ।

रमेश कपूर के बारे में विस्तार से दूसरे संस्थापक सदस्य चंद्र मोहन भार्गव ने बताया। रमेश कपूर जी ने बताया कि वह एक भरतपुर, राजस्थान की एक संस्था अपनालय के लिए काम कर रहे हैं जोकि विकलांग बच्चों के लिए कार्य करती है।


मुख्य अतिथि का परिचय रेलवे रोड के पूर्व चेयरमैन श्री जी के खरे ने दिया। कार्यक्रम का संचालन प्रयाग शाखा के सचिव डॉ राजेश कुमार गर्ग ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन प्रयाग शाखा के पूर्व अध्यक्ष डॉ उमेश प्रताप सिंह ने किया।


कार्यक्रम में मेजर जनरल महेंद्र नाथ रावत, डॉ रमा मिश्रा, अमरनाथ भार्गव, आर पी अग्रवाल, डॉक्टर सुनील कांत मिश्र, डॉ जेके मिश्र, श्रीमती दीक्षित, श्रीमती खरे , आलोक शाह, श्रीमती सरोज अरोड़ा, कोषाध्यक्ष अरुण त्रिपाठी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

 

 

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