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“किसी का नुकसान न करें, धैर्य रखें, प्रतिक्रिया से बचें और सकारात्मक सोचें”

“गांधी का चिंतन स्पष्ट और बेबाक है”: डा आर पी सिंह

 गांधी जी ने भारत की आत्मा को जाना” : न्यायमूर्ति शशि कांत गुप्ता

भारत विकास परिषद, प्रयाग शाखा की ओर से होटल प्रयाग इन में गांधी जयंती एवं शास्त्री जयंती के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति शशि कांत गुप्ता थे और मुख्य वक्ता के रूप में डॉक्टर राम प्रकाश सिंह गांधी चिंतक रहे। अध्यक्षता शाखा अध्यक्ष श्रीमती डॉक्टर अल्पना अग्रवाल ने की।

मुख्य वक्ता डॉक्टर राम प्रकाश सिंह ने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के मध्य ऐसा कोई व्यक्ति नहीं रहा जो किसी ने किसी रूप में मोहनदास करमचंद गांधी से प्रभावित न हुआ हो। 1909 में उनके द्वारा लिखी पुस्तक हिंद स्वराज आज भी सबसे ज्यादा बिकने और पढ़ने वाली पुस्तकों में से एक है और प्रासंगिक लगती है। आज विश्व के अनेक देशों के राष्ट्रध्यक्ष, शासनाध्यक्ष एवं नागरिक गांधी को किसी ने किसी रूप में याद करते हैं। डा सिंह ने कहा कि आज के वैश्विक परिदृश्य में गांधी के विचारों पर चिंतन करके आतंकवाद, युद्ध, वातावरण, बढ़ती हुई प्राकृतिक आपदाएं आदि का हल निकाला जा सकता है। वह व्यावहारिक भले ही न दिखे, परंतु रास्ता उधर से ही निकलेगा वरना पूरी मानवता खतरे में होगी।

उन्होंने आगे कहा कि गांधी जी ने हिंदू मुस्लिम एकता के मुद्दे को एक सनक की तरह आगे बढ़ाया, जैसा कि डॉ अंबेडकर कहते हैं, और इस मुद्दे पर गांधी की आलोचना भी होती है क्योंकि दूसरे का मन नहीं बदल रहा है।जीवन मूल्य ऐसे बनाएं की आवश्यकता पूरी हो सके। जैसे मां पुत्र की हवस पूरी नहीं कर सकती, उसी प्रकार प्रकृति भी मनुष्य की हवस को पूरा नहीं कर सकती।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता ने कहा गांधी जी ने भारत की आत्मा को जाना और इसीलिए उसे स्वतंत्र करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके। गांधीजी के बोलने, सोचने और करने मैं एक रूपता थी जो आज दिखाई नहीं देती इसीलिए समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। वे भारत के आम जन से जुड़े हुए हैं। न्यायमूर्ति ने कहा हमें गांधी से सबक लेते हुए यह सीखना होगा कि किसी का नुकसान होने वाला कार्य न करें, धैर्य रखें, प्रतिक्रिया से बचें और सकारात्मक सोच रखें। 

भारत विकास परिषद प्रयाग शाखा की अध्यक्ष डॉ अल्पना अग्रवाल ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि गांधी का दर्शन और दृष्टि समन्वयवादी थी, वे प्रयोगों के धनी थे, जबकि लाल बहादुर शास्त्री ने उनके कदमों पर चलते हुए भारतीय कृषि और किसानों की उन्नति के लिए जय जवान जय किसान का नारा दिया। देश 1962 और 65 का युद्ध देख चुका था, अतः जवान को भी नारे में जोड़ा।

अतिथि परिचय प्रो उमेश प्रताप सिंह एवं प्रो राजेश कुमार गर्ग ने कराया। मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता को सीए डा एन सी अग्रवाल, राजीव अग्रवाल एवं डॉक्टर पुरुषोत्तम दास द्वारा स्मृति चिन्ह तथा अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन प्रो विवेक भदौरिया तथा धन्यवाद ज्ञापन उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता आर पी अग्रवाल ने किया।

कार्यक्रम में प्रो सुनील कांत मिश्र, अरुण कुमार त्रिपाठी, डा जगदीश्वर द्विवेदी, डा गीता केसरवानी, प्रो विवेक कुमार निगम, डॉ पीयूष खरे, डॉ स्वप्निल अवस्थी, आलोक शाह, राकेश मित्तल, डॉ नलिन जैन, निशीथ जौहरी, स्नेह मधुर, अभिलाष नारायण सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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