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“भारत विकास परिषद” की गोष्ठी में संस्कृति और साहित्य पर व्याख्यान

 

भारत विकास परिषद की प्रयाग शाखा द्वारा आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि हिन्दुस्तानी एकेडमी के अध्यक्ष डॉ उदय प्रताप सिंह का संस्कृति और साहित्य पर व्याख्यान हुआ। 

” भारतीय संस्कृति श्रीराम की संस्कृति है”

प्रयागराज

भारत विकास परिषद प्रयाग शाखा की सामान्य सभा बैठक में ‘भाषा एवं संस्कृति’ विषय पर बोलते हुए मुख्य अतिथि हिंदुस्तान एकडमी के अध्यक्ष डॉ उदय प्रकाश सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति ही वह मजबूत तंतु है जिसके कारण हम इतने आक्रांताओं का आक्रमण झेलकर भी अपनी संस्कृति के साथ मजबूती से जमे हुए हैं।

विज्ञान परिषद में आयोजित इस कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति को एक शब्द में कहें तो श्रीराम की संस्कृति है जो कि पूरे देश को उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक जोड़े हुए है।

भारत की संस्कृति का स्वभाव समावेशी है। यह सांस्कृतिक एकता कई प्रकार से दिखती है, जैसे एक ही मंत्र कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पूजा में इस्तेमाल होते हैं। इसी संस्कृति के प्रभावों के मद्देनजर ही चांदबीबी और रहीम जैसे न जाने कितने मुस्लिम कवियों ने भी राम और कृष्ण की इस संस्कृति का जयकार किया है और उनके प्रति अपनी श्रद्धा और निष्ठा व्यक्त की है।


भारत विकास परिषद प्रयाग शाखा की अध्यक्ष डॉ शांति चौधरी ने मुख्य अतिथि सहित सभी उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए कहा कि भाषा और संस्कृति का एक दूसरे से अभिन्न संबंध है।

संस्थापक सदस्य चंद्रमोहन भार्गव ने इस अवसर पर कहा कि भारतीय संस्कृति के उच्च मूल्यों को समाज में बनाये रखने के लिए और विदेशी संस्कृति के प्रभाव से देश को बचाने के लिए ही परिषद की स्थापना हुई।
कार्यक्रम का संचालन प्रयाग शाखा के सचिव डॉ राजेश कुमार गर्ग ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ उमेश प्रताप सिंह ने किया।


कार्यक्रम में पीएस मित्तल, मेजर जनरल रावत, डॉक्टर जेके मिश्र, डॉ राकेश सिंह, राजीव अग्रवाल, राजीव महेश्वरी, राज नारायण अग्रवाल, अरुण कुमार त्रिपाठी, वेद प्रकाश मिश्र सहित कई लोग उपस्थित थे।

 

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