सामाजिक समरसता का बोध
डॉ दिलीप अग्निहोत्री
भारत में सामाजिक समरसता का बोध सदैव रहा है। यही कारण है कि यहां से सम्पूर्ण मानवता के सुखी होने की कामना की गई। गौतम बुद्ध ने भी अपनी शिक्षाओं में समरसता के साथ ही सम्यक सुख व आचरण का सन्देश दिया। वह प्रत्येक जीव के प्रति अहिंसा का भाव रखते थे। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने एक कार्यक्रम में कहा कि महात्मा बुद्ध जी का दर्शन सिर्फ आध्यात्म पर आधारित था। इसमें इहलोक की समस्याओं के निवारण के भी उल्लेख किया गया। अर्थात कष्ट के कारण व निवारण के सम्यक विचार किया गया। सुख से उनका अभिप्राय केवल भौतिक संसाधनों की उपलब्धता से नहीं था। इस संबन्ध में उन्होंने अपरिग्रह का सन्देश दिया। इसमें भी सामाजिक दायित्व का बोध समाहित था।
संघमित्रा मौर्य एवं दीपक की पुस्तक ‘बुद्धिज्म की बातें’ का विमोचन
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने आज यहां अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध संस्थान, गोमतीनगर में सांसद डा0 संघमित्रा मौर्य एवं श्री दीपक के0एस0 द्वारा लिखित पुस्तक ‘बुद्धिज्म की बातें’ का विमोचन किया।
इस अवसर पर आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि महात्मा बुद्ध जी का दर्शन सिर्फ आध्यात्म पर आधारित नहीं था, बल्कि व्यक्ति की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं से भी सम्बद्ध था। उन्होंने कहा कि वे मानव जीवन को सुखी एवं समृद्ध बनाये जाने पर विशेष ध्यान देते थे। सुख से उनका अभिप्राय केवल भौतिक संसाधनों की उपलब्धता से नहीं था। वे मानव जीवन के लिए न केवल सुख की सहज उपलब्धता चाहते थे, बल्कि समाज के सभी लोगों के लिये सुख की समान उपलब्धता की कामना करते थे।
राज्यपाल ने कहा कि बुद्ध सामाजिक समरसता एवं समानता पर जोर देते थे और अंधविश्वासों, रूढ़ियों तथा आडम्बरों से दूर रहने को कहते थे। उन्होंनेे कहा कि एक जनप्रतिनिधि का जनता की सेवा के साथ-साथ पुस्तक लेखन का कार्य अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि लेखक द्वय ने अपनी इस रचना को धरातल पर लाने के लिए बौद्ध धर्म का बहुत ही बारीकी से अध्ययन किया है।