चैत्र नवरात्रि
नवरात्रि मुख्यत वर्ष में दो बार आती है। एक वासंतिक नवरात्रि और दूसरा शारदीय नवरात्रि। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि यानी वासंतिक नवरात्रि का प्रारंभ 25 मार्च दिन बुधवार से हो रहा है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से ही हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ होता है। इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी 25 मार्च से विक्रम नवसंत्सवर 2077 का प्रारंभ होगा।
इस प्रकार से देखें तो चैत्र नवरात्रि और हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ एक ही दिन हो रहा है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष नवरात्रि के लिए घट स्थापना या कलश स्थापना किस दिन होगा और किस दिन किस देवी की पूजा की जाएगी।
चैत्र नवरात्रि 2020 तिथि और मुहूर्त (Chaitra Navratri 2020 Date and Shubh Muhurat):
प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ: 24 मार्च मंगलवार को दोपहर 2 बजकर 57 मिनट से शुरू हो जायेगा।
घटस्थापना का मुहूर्त: 25 मार्च को सुबह 6 बजकर 19 मिनट से 7 बजकर 17 मिनट तक है।
मीन लग्न सुबह 6 बजकर 19 मिनट से 7 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
चैत्र नवरात्री पर इन बातों का ख़ास ध्यान रखे:
– नौ दिन तक सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दौरान नॉनवेज व लहसुन, प्याज का सेवन न करें।
– उपवास करने वाले व्यक्ति को व्रत के खाने में अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।
– विष्णु पुराण के अनुसार नवरात्रि व्रत के समय दिन में नहीं सोना चाहिए।
– नवरात्रि के दौरान उपवास करने वाले व्यक्ति को दाढ़ी-मूछ वा बाल नहीं कटवाने चाहिए।
– कलश स्थापना के बाद घर को खाली नहीं छोडऩा चाहिए।
-उपवास के दौरान शराब का सेवन पूर्ण रूप से वर्जित है।
– व्रत के दौरान तम्बाखू के सेवन से व्रत का फल नहीं मिलता है।
– व्रत के दौरान शारिरिक संबंध बनाने से व्रत का फल नहीं मिलता है।
– महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पूजन नहीं करना चाहिए।
– मासिक धर्म के सात दिनों तक पूजन वर्जित किया गया है।
चैत्र नवरात्रि पर इन नियमों का जरूर पालन करें:
– नौ देवियों को दिन के अनुरूप उन्हें भोग लगाना चाहिए व उनका पूजन विधान से करना चाहिए।
– नौ देवियों के अनुरूप उन्हें पुष्प अर्पित करना चाहिए। इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं।
– नौ दिन में चौबीस हजार गायत्री मंत्रों का जाप करना चाहिए।
– तुलसी, चंदन और रुद्राक्ष की मालाओं का उपयोग जाप के लिए करना चाहिए।
– व्रत के में कुट्टु का आटा, समारी चावल, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, सेंधा नमक, फल, आलू, मेवे, मूंगफली खानी चाहिए।
– ब्रम्हमुहूर्त में स्नान कर देवी मां का पूजन करना चाहिए। सूर्योदय के पूर्व पूजन से देवी मां प्रसन्न होती हैं।
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri ) का महत्व:
शास्त्रों के मुताबिक माना जाएत हैं कि चैत्र नवरात्र के दिन माँ दुर्गा का जन्म हुआ था और उनके कहने पर ही ब्रह्मा ने पृथ्वी का निर्माण किया था। चैत्र नवरात्र के पहले दिन ही सूर्य की किरण पृथ्वी पर पड़ी थी। इसलिए हिन्दुओं नया वर्ष इस दिन से शुरू होता है।