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चीफ जस्टिस का तबादला आईबी की रिपोर्ट पर ?

इंटेलीजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट पर हुआ था मद्रास के चीफ जस्टिस का तबादला, जस्टिस ताहिलरमानी पर दुराचरण के आरोपों की जाँच करेगी सीबीआई।

विधि विशेषज्ञ जे.पी.सिंह की कलम से

मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस विजया ताहिलरमानी का मणिपुर हाईकोर्ट में तबादला इंटेलीजेंस ब्यूरो(आईबी) की उस रिपोर्ट के आधार पर उच्चतम न्यायालय कालेजियम ने किया था,जिसमे जस्टिस ताहिलरमानी पर दो फ़्लैटों की ख़रीद में गड़बड़ी, मूर्ति चोरी के एक मामले में बनी मद्रास हाईकोर्ट की विशेष पीठ को भंग करने, जिसमें प्रभावशाली लोग शामिल थे और तमिलनाडु के एक मंत्री से उनके नजदीकी संबंध होने का आरोप है।

इसका खुलासा चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया रंजन गोगोई के उस आदेश से हुआ है जिसमे जस्टिस गोगोई ने सीबीआई से कहा है कि वह जस्टिस वी. के. ताहिलरमानी के मामले में क़ानून के मुताबिक़ कार्रवाई करे। इंटेलीजेंस ब्यूरो(आईबी) ने इस बारे में 5 पन्नों की एक रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय को सौंपी है।

दरअसल उच्चतम न्यायालय के कॉलीजियम द्वारा हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति और तबादले पर फ़ैसलों को लेकर इन दिनों बहुत विवाद चल रहा है। जस्टिस विजया ताहिलरमानी को मद्रास हाईकोर्ट से अपेक्षाकृत छोटे मेघालय हाई कोर्ट में भेजने के बाद विधिक क्षेत्रों में इस पर बहुत विवाद हुआ था। इस फ़ैसले पर उच्चतम न्यायालय के ही पूर्व जस्टिस मदन बी. लोकुर ने भी सवाल उठाए थे।

जस्टिस ताहिलरमानी ने कॉलीजियम से अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था लेकिन कॉलीजियम के अपने निर्णय पर अडिग रहने के कारण उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था।बाद में उनका इस्तीफा राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार कर लिया गया।

जस्टिस ताहिलरमानी को मेघालय हाई कोर्ट में ट्रांसफ़र किये जाने के बाद विधिक क्षेत्रों में इसे लेकर ऐसी चर्चा उठी थी कि ऐसा उन्हें परेशान करने के लिए किया जा रहा है और इस मामले को राजनीति से प्रेरित भी बताया जा रहा था ।जब तबादले का कारण बताने की मांग उठी तो उच्चतम न्यायलय ने कहा था कि जस्टिस ताहिलरमानी के तबादले के कारणों को न बताना ही न्यायपालिका के हित में होगा और बहुत ज़रूरी होने पर ही इस बारे में बताया जायेगा।लेकिन जब जस्टिस ताहिलरमानी ने चेन्नई में अपने बिदाई समारोह में अपना रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए कहा कि उनहोंने 5000 से अधिक मुकदमों का निस्तारण किया है तो फिर गेंद उच्चतम न्यायालय के पाले में चली आई।

इसके पहले की इस पर और विवाद बढ़ता जस्टिस गोगोई ने आईबी की रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई को जाँच का आदेश देकर इस मामले को यहीं खत्म करने की कोशिश की है। लेकिन इससे नया विवाद उत्पन्न हो गया है की क्या इससे पहले आईबी की रिपोर्ट पर जस्टिस ताहिलरमानी से स्पष्टीकरण माँगा गया था ?जब जस्टिस ताहिलरमानी ने विशेष पीठ को भंग किया था तो क्या उनसे इसका कारण बताने को कहा गया था?जहां तक जस्टिस ताहिलरमानी के एक मंत्री से सम्बंध की बात है तो इस आधार पर यदि कार्रवाई हो तो कम से कम 40 फीसद न्यायपालिका खाली हो जाएगी।

तबादले की सिफारिश के बाद सवाल उठा था की क्या बांबे हाईकोर्ट की कार्यकारी चीफ जस्टिस रहते गुजरात के संबंध में आया एक फैसला जस्टिस ताहिलरमानी के लिए इस ट्रांसफर का कारण बन गया?गुजरात दंगों के दौरान हुए बिलकिस बानो के साथ हिंसा और रेप की घटना में बांबे हाईकोर्ट ने 2017 में सुनायी गयी सजा में पुराने फैसले को बरकरार रखा और सभी आरोपियों को आजीवन कारावास समेत अलग-अलग सजाएं दी। अब गृह मंत्रालय अमित शाह के पास है जो चुन चुन कर बदले की भावना से कम करने के लिए जाने जाते हैं और आईबी भी उनके अधीन है।ऐसे में आईबी की रिपोर्ट पर सवाल उठाना वाजिब है।

यह स्पष्ट नहीं है कि इन सम्पत्तियों को खरीदने में कोई अनियमितता की गयी है अथवा नहीं।सीबीआई यह देखेगी किक्या इन सम्पत्तियों की घोषणा की गयी है?आईबी की रिपोर्ट में जस्टिस ताहिलरमानी द्वारा चेन्नई के लोरेन टॉवर, सेमनचेरी/थिरुविदन्थई गाँव में दो नये बने फ़्लैट ख़रीदने के लिए 3.18 करोड़ रुपये कैसे जुटाये गए, इसके वित्तीय लेनदेन का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। आईबी की रिपोर्ट में कहा गया है किएक फ्लैट का भुगतान एचडीएफ़सी बैंक के 1.62 करोड़ रुपये लोन से भुगतान किया गया और बचे 1.56 करोड़ रुपये का भुगतान जून-जुलाई, 2019 में अपने और परिवार के छहखतों से गया।आईबी ने अपनी रिपोर्ट में छह बैंक खातों के बारे में जानकारी दी है। इनमें से तीन खाते जस्टिस ताहिलरमानी के अपने पति के साथ, एक संयुक्त रूप से अपनी मां के साथ, एक उनका सैलरी खाता और एक दूसरा उनके बेटे का बैंक खाता है, जिसमें से 1.61 करोड़ रुपये मुंबई की माहिम के एक अन्य बैंक खाते में जमा हुए और यह खाता भी जस्टिस ताहिलरमानी का ही था। आईबी की रिपोर्ट के मुताबिक़, 8 जुलाई को जस्टिस ताहिलरमानी के खाते में उनकी मां के साथ उनका जो खाता है उससे 18 लाख रुपये का भुगतान किया गया था और अगले महीने चेक के माध्यम से 18 लाख रुपये वापस इस संयुक्त खाते में जमा किए गए।

सीबीआई को मद्रास हाईकोर्ट की उस विशेष पीठ, जिसकी अगुआई जस्टिस महादेवन कर रहे थे, को तमिलनाडु के एक मंत्री के दबाव में चीफ जस्टिस ताहिलरमानी ने भंग कर दिया था की जाँच भी करने को कहा गया है।विशेष पीठ मूर्ति चोरी के मामले की सुनवाई कर रही थी जिसमें बहुत ही प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता थी। विशेष पीठ का गठन 2018में इस मामले की निगरानी करने के लिए किया गया था। विशेष पीठ का आरोपियों के प्रति बड़ा कठोर रुख था। आरोप है किइस मामले की जाँच कर रहे अवकाशप्राप्त आईजी पी मनिकेवल से उक्त मंत्री बहुत नाराज थे। आईबी की रिपोर्ट में कहा गया है किकुछ वकीलों का पक्ष लिया जाता रहा है।

इस बीच जस्टिस ताहिलरमानी ने कहा है कि अभी तक उन्होंने इस पूरे मामले को लेकर कुछ नहीं कहा है और वह आगे भी कुछ नहीं कहेंगी। उन्होंने उनकी निजता में दख़ल न देने का भी अनुरोध किया है।

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