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देश को अवैध घुसपैठियों की पनाहगाह न बनने दिया जाए

 

गलतफहमी की सियासत

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

ऐसा नहीं कि कांग्रेस व उसकी सहयोगी पार्टियों के नेता नागरिकता कानून के औचित्य को नहीं समझते। वह जानते होंगे कि विश्व का कोई भी संविधान अवैध घुसपैठियों के लिए नहीं होता। उसके प्रावधान या सुविधाएं अवैध घुसपैठियों पर लागू नहीं होती। इसका कारण यह है कि शत्रुदेश सुनियोजित ढंग से भी अवैध घुसपैठ करा सकते है। लेकिन कांग्रेस सहित कई अन्य दलों ने इसे वोटबैंक सियासत से जोड़ दिया है। इसीलिए नागरिकता विधेयक पर हंगामा हो रहा है। ये लोग अनुच्छेद चौदह और इक्कीस की दुहाई दे रहे है। अनुच्छेद चौदह के अनुसार राज्य किसी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या भारत के क्षेत्र के भीतर कानूनों के समान संरक्षण से इनकार नहीं करेगा।


बेशक यह समानता का अधिकार है। लेकिन संविधान की भावना को भी समझना होगा। अपराधी और निर्दोष व्यक्ति के साथ समानता का व्यवहार कैसे संभव है। इसी प्रकार अवैध घुसपैठियों और धर्म के आधार पर पीड़ित किये गए शरणार्थियों के साथ समान व्यवहार संभव नहीं है। अनुच्छेद पन्द्रह को भी ऐसे ही संदर्भ में देखना होगा। इसमें कहा गया है कि राज्य किसी नागरिक के खिलाफ सिर्फ धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेद नहीं करेगा। यह बात भी अवैध घुसपैठियों पर लागू नहीं होती। अनुच्छेद इक्कीस में जीवन का अधिकार दिया गया। यह भी ध्यान रखना होगा कि राज्य अवैध घुसपैठियों के जीवन के अधिकार को समाप्त नही कर रही है। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा का तकाजा यह है कि देश को अवैध घुसपैठियों की पनाहगाह न बनने दिया जाए। नागरिकता कानून में धर्म के आधार पर भेद नहीं है। अवैध घुसपैठ के आधार पर ही इसमें भेद किया गया है। इसी में राष्ट्रीय हित है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून तीन पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देगा,न कि भारत में किसी की नागरिकता छीनेगा। नए कानून का मतलब यह नहीं है कि सभी शरणार्थियों या अवैध प्रवासियों को अपने आप ही भारतीय नागरिकता मिल जाएगी। उन्हें भारत की नागरिकता पाने के लिए आवेदन करना होगा जिसे सक्षम प्राधिकरण देखेगा। संबंधित आवेदक को जरूरी मानदंड पूरे होने के बाद ही भारतीय नागरिकता दी जाएगी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विपक्ष के नेता के रूप में ऐसे ही नागरिकता कानून की मांग की थी। दो हजार तीन में उन्होंनेअटल बिहारी वाजपेयी सरकार से मांग की थी कि बांग्लादेश जैसे देशों से प्रताडि़त होकर आ रहे अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में हमें ज्यादा उदार होना चाहिए।


मनमोहन सिंह ने कहा था कि ‘मैं शरणार्थियों की स्थिति पर सवाल कर रहा हूं। देश के बंटवारे के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों प्रताड़ित है। इनको नागरिकता देने के बारे में बहुत ज्यादा उदार होना चाहिए। यह हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है। तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने मनमोहन सिंह के विचारों से सहमति जताई थी। इस संबन्ध में कानून बनाने का आश्वासन दिया था। इसके कुछ महीने बाद मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बन गए थे। दस वर्षों के कार्यकाल में ऐसा कानून बनाना उनकी जिम्मेदारी थी। लेकिन वह जिम्मेदारी से भागते रहे। इसलिए वर्तमान सरकार को इस पर कानून बनाना पड़ा। कांग्रेस के काल में गुजरात और राजस्थान में पाकिस्तान से आए ऐसे हिंदुओं को नागरिकता देने के लिए गजट जारी हुआ था।
तत्कालीन माकपा महासचिव प्रकाश करात ने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर उनके बयान की याद दिलाई थी। बांग्लादेश से पीडि़त होकर आए अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता की बात की थी।


पाकिस्तान,अफगानिस्तान और बांग्लादेश घोषित रूप से इस्लामिक मुल्क है। भारत के नागरिकता में धार्मिक रूप से इन मुल्कों में प्रताड़ित अल्पसंख्यको को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इन मुल्कों में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जाता है। इसका प्रमाण इनकी घटती जनसंख्या को देख कर लगाया जा सकता है। इन देशों में शिया समुदाय भी अल्पसंख्यक नहीं माना जाता। ऐसे में भारत को अवैध घुसपैठियों का ठिकाना नहीं बनाया जा सकता।जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार ने अहमदिया को गैर मुस्लिम घोषित किया था। यह उनका आंतरिक मसला था। भारत का इससे कोई मतलब ही नहीं था। उन्नीस सौ चौहत्तर में यह निर्णय वहां की निर्वाचित भुट्टो सरकार ने किया था। यह ध्यान रखना चाहिए कि नागरिकता कानून केवल इन तीन मुल्कों के प्रताड़ित अल्प सङ्ख्याको पर लागू है। मुसलमान तो दुनिया के अनेक देशों में हिंसक संघर्ष के शिकार है। इन सबको भारत में नहीं बसाया जा सकता। इसी प्रकार इन तीन देशों के अल्पसंख्यको के अलावा किसी अन्य देश के संबन्ध में भी यह बात लागू नहीं किया गया। यह भी गौतलब है कि धार्मिक रूप से प्रताड़ित उन्हीं लोगों को मिलेगी जो उन्नीस सौ चौदह तक भारत आ गए है।
इस कानून से संविधान का किसी प्रकार उल्लंघन नहीं हुआ है।
अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में आरक्षण नहीं लागू होता। तब कोई संविधान की दुहाई नहीं देता। जम्मू कश्मीर में सत्तर वर्षों तक दलितों को सुविधाएं नहीं मिली, तब कोई सरकार संविधान की दुहाई नहीं देती थी। संविधान का अनुच्छेद चौदह अवैध घुसपैठियों पर लागू नहीं होता। यह अनुच्छेद केवल भारतीय नागरिकों पर लागू है। नागरिकता कानून भी केवल वन टाइम के लिए है। अनुच्छेद इक्कीस भी भारतीय नागरिकों पर ही लागू है। दो हजार बारह में भी मनमोहन सिंह सरकार ने लिख कर दिया था कि बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यक प्रताड़ित किये जा रहे है। कांग्रेस सरकार ऐसा लिखती है तो वह सेक्युलर है। इन्हीं मनमोहन सिंह ने संसद में मनमोहन सिंह ने तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी से कहा था कि पाकिस्तान में हिन्दू अल्पसंख्यक प्रताड़ित हो रहे है। कांग्रेस नेता का यह कथन भी सेक्युलर था। लेकिन भाजपा सरकार इन प्रताडितों के साथ मानवता दिखाए तो इसे साम्प्रदायिक कहा जाता है। जिन्होंने मजहब के आधार पर विभाजन को स्वीकार किया,आज वह अवैध घुसपैठ की हिमायत कर रहे है।

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