प्रयागराज।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर आज, 10 अक्टूबर 2025 को “अस्तित्व साइकोलॉजिकल काउंसलिंग सेंटर” द्वारा एक भव्य सेमिनार का सफल आयोजन किया गया। इस आयोजन का संचालन एवं निर्देशन संस्थान की निदेशक एवं वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉ. मालविका राव के नेतृत्व में हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई, जिसे मुख्य अतिथि श्री बादल चटर्जी, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शर्मिला चटर्जी, प्रोफेसर संतोष भदौरिया, डॉ. अभिलाषा चतुर्वेदी, डॉ. शांति चौधरी, एवं डॉ. मालविका राव ने संयुक्त रूप से किया।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए मनोवैज्ञानिक एवं अस्तित्व टीम सदस्य श्रीमती सौसन रिज़वी ने अस्तित्व संस्थान का परिचय देते हुए उसकी गतिविधियों एवं सामाजिक योगदान के बारे में जानकारी दी। इसके बाद मनोवैज्ञानिक एवं अस्तित्व टीम सदस्य श्रीमती सनोबर इदरीश ने मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं और उनके समाधान पर एक प्रेरक मनोवैज्ञानिक प्रस्तुति दी, जिसे उपस्थित सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों ने अत्यंत सराहा।
मुख्य वक्तव्य में निदेशक, वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक एवं मनोचिकित्सक डॉ. मालविका राव ने विचारों की शक्ति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि—
“हमें अपने विचारों पर नियंत्रण रखना चाहिए क्योंकि हमारे विचार और शब्द हमारी भावनाओं और व्यवहार को प्रभावित करते हैं। सकारात्मक विचार हमारे व्यक्तित्व को निखारते हैं, जबकि नकारात्मक सोच हमें जीवन में पीछे ढकेलती है। जो शब्द हम स्वयं से कहते हैं, वही हमारे जीवन को परिभाषित करते हैं।”
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ. अभिलाषा चतुर्वेदी ने संवाद और संचार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि —
“आज के समय में परिवारों के बीच घटते संवाद के कारण अकेलापन बढ़ रहा है। संचार, उपचार का सबसे सशक्त साधन है। संवाद के माध्यम से ही हम भावनात्मक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं।”
इसके पश्चात् प्रो. संतोष भदौरिया ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाने के लिए संगीत, लेखन और कला जैसी रुचियों का होना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि मानसिक स्वास्थ्य को विद्यालयों के पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में शामिल किया जाना चाहिए ताकि बच्चों का समग्र विकास संभव हो सके।
उन्होंने स्केचिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किए।
श्री तलत महमूद ने चित्रकला को मानसिक स्वास्थ्य का सशक्त माध्यम बताते हुए कहा कि —
“संवाद मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। हमें हमेशा वही कार्य करना चाहिए जिससे हमें संतुष्टि प्राप्त हो।”
अंत में उन्होंने पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए।
विशिष्ट वक्ता डॉ. मनोज तिवारी ने तनाव (Stress) से जुड़ी समस्याओं और उनके समाधान पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने आत्महत्या के कारणों, लक्षणों और रोकथाम पर चर्चा की तथा प्रतिभागियों को एक रिलैक्सेशन तकनीक भी सिखाई।
मुख्य अतिथि श्री बादल चटर्जी ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए खेल-कूद अनिवार्य हैं। उन्होंने कहा कि —
“माता-पिता को बच्चों पर कोचिंग या पाठ्यक्रम का अत्यधिक दबाव नहीं डालना चाहिए। सकारात्मक सोच ही इंसान को आगे बढ़ाती है। हर परिस्थिति में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना आवश्यक है।”
उन्होंने गवर्नेंस के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि इसे हर क्षेत्र में अपनाने की आवश्यकता है, जिससे तनाव कम होता है और जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है।
उन्होंने कहा कि —
“जीनियस वह नहीं जो केवल अच्छे अंक लाए, बल्कि वह है जो मेहनत करे, नवाचार करे और अपने अनुभवों से दुनिया को कुछ नया सिखाए।”
श्री चटर्जी एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती शर्मिला चटर्जी ने आर्टिकल राइटिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में डॉ. शांति चौधरी ने वैवाहिक संबंधों और पारिवारिक संवाद पर प्रकाश डालते हुए कहा कि —
“कभी-कभी छोटी सी गलतफहमी, जो बात करके सुलझाई जा सकती है, एक रिश्ते को समाप्त कर देती है। संवाद ही हर रिश्ते की बुनियाद है।”
उन्होंने आगे कहा कि —
“बच्चों को बचपन से ही धर्म, कला और संस्कृति से जोड़ना चाहिए ताकि वे अपने जीवन को सार्थक बना सकें और किसी भी प्रकार की दुर्भावना को हृदय में स्थान न दें।”
कार्यक्रम में प्रवीण शेखर, डॉ. शशि प्रभा, सीमा आज़ाद, कविता राय, और पुंडरिक मिश्रा सहित कई सम्मानित अतिथि उपस्थित रहे।
इस विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस सेमिनार का सफल आयोजन अस्तित्व संस्थान की टीम ने डॉ. मालविका राव के निर्देशन में किया। इस टीम में सनोबर इदरीश, सौसन रिज़वी, राजीव जायसवाल, आभा यादव, अर्शिता नविन, अर्पिता नविन, अर्चिता नविन, इज़मा ज़मील, कृतिका मिश्रा, शाहिर, श्रेहा, अभिनंदन, अनुश्का, आयुष्का, आयेशा, नूर अली, अदिति, मंजली, आयुषी और पवनी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
कार्यक्रम का सफल एंकरिंग डॉ. सुभद्रा कुमारी ने की।यह सेमिनार मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज में संवाद, संवेदनशीलता और सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करने वाला एक प्रेरक एवं सफल प्रयास सिद्ध हुआ।








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