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“कम्प्यूटर तथा आंखें: 20:20:20 का नियम अपनाएं, आंखों का सूखापन बचाएं”

कम्प्यूटर तथा आंखें _____________

डॉ कमलजीत सिंह

आजकल बहुत से ऐसे मरीज़ आते हैं, जो आंखो में स्ट्रेन की तकलीफ बताते हैं। यह तकलीफ वैसे तो बहुत से कारणों से हो सकती है, किंतु आज कल कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल, आदि पर अत्यधिक कार्य करने से भी बहुत से बच्चे और वयस्क प्रभावित हो जाते हैं। ऑफिस में कंप्यूटर पर अधिक काम करने वाले जैसे बैंकर्स, डॉक्टर, आईटी प्रोफेशनल्स, आदि को अक्सर यह तकलीफ होती रहती है।

अक्सर लोग रिटायर होने के बाद मोबाइल का काफी अधिक उपयोग करने लगते हैं। महिलाएं, जिनके बच्चे ‘सेटल’ हो गए हैं, वो भी मोबाइल का बहुत अधिक प्रयोग करती है। यह सब लोग कंप्यूटर द्वारा जनित दुष्प्रभाव के कारण आंख में स्ट्रेन की तकलीफ बताते हैं। इसको हम लोग एक शब्द में ‘कंप्यूटर विजन सिंड्रोम’ कहते हैं।

इसमें होने वाली तकलीफें स्ट्रेन के अतिरिक्त आँखों में पानी आना, सूखापन मालूम देना, सिरदर्द, कंप्यूटर देखते देखते सब कुछ धुंधला सा हो जाना, कंधे और गले में दर्द का होना। इस प्रकार की बहुत सी तकलीफे होती हैं, जिसके लिए डॉक्टर आपको स्क्रीन टाइम कम करने को कहते हैं। किंतु ऐसा अक्सर हो नहीं पाता, वह भी आज-कल ‘वर्क फ्रॉम होम’ तथा अधिकतर कार्य कंप्यूटर पर होने के कारण, जो घंटों करना पड़ता है।

इसके लिए एक सलाह है जिससे हम लोग 20:20:20 नियम कहते हैं। इसका मतलब यह है कि २० मिनट कार्य के बाद कंप्यूटर्स कम से कम 20 सेकंड के लिए अपनी आँखों के सामने से हटाएँ और २० फ़ीट दूर यानी दूर देखें। ये करने से थोड़ा लाभ मिलता है। इसके साथ चूँकि आंखो का झपकना कम हो जाता है लगातार कंप्यूटर पर देखने के कारण, आपके आंसू यह आंख को स्वस्थ रखते हैं, वो सूखने लगते हैं। इसके कारण आंखो में तकलीफ होती है, जिसके लिए डॉक्टर लुब्रिकेटिंग ड्रॉप्स डालने की सलाह देते हैं।

आंख में तकलीफ़ के कुछ अन्य कारण भी हैं। यदि आप का चश्मा सही ढंग से नहीं टेस्ट किया गया है तो कंप्यूटर मोबाइल या लैपटॉप पर आने वाले अक्षरों को देखने पर ज़ोर पड़ता है। जिसके कारण तकलीफ और बढ़ जाती है।

तीसरा कारण है- कंप्यूटर पर आप कैसे बैठेते हैं। कंप्यूटर यदि आपकी आंखो की आंखो के लेवल से ऊँचाई पर है तो आखों का एक्सपोज़र अधिक होता है। इसके लिए कंप्यूटर को सही जगह रखना चाहिये। यह सही स्थान आँखों के लेवल से चार पांच इन्च नीचे होता है, अन्यथा आँखों में सूखापन हो जाता है। ज्यादातर लोग एयरकंडीशंड कमरों में कार्य करते रहते हैं। इससे और अधिक सूखापन होने की संभावना रहती है।

चश्मे का नम्बर कंप्यूटर की दूरी के अनुसार दिया जाता है। पढ़ने वाला चश्मा थोड़ा अधिक, और कंप्यूटर का नंबर थोड़ा कम दिया जाता है। इसीलिए कम्पयूटर का नंबर इंटरमीडिएट डिस्टेंस पर तथा किताब पढ़ने के लिए नम्बर अलग अलग होता है। यह आप डॉक्टरी सलाह से जांचकर बनवा सकते हैं।

अतः यदि आप कंप्यूटर का इस्तेमाल अधिक करते है, तो अपना स्क्रीन टाइम कम करने की योजना बनाएं, लुब्रीकेटिग आई ड्रॉप्स डालें तथा सही चश्मा पहने।

यदि आप उपरोक्त सलाहों का पालन करेंगे तो आपको कंप्यूटर द्वारा जनित तकलीफें कम से कम होंगी।

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