बढ़ते वायरस का कहर बरकरार
कई इलाके अभी भी खतरे के मुहाने पर
शासन-प्रशासन का आदेश बेअसर
सोशल डिस्टैसिग का नियम ताक पर
लापरवाह लोगों को शायद और बीमारी बढ़ने का इंतजार
सीएम हेल्पलाइन कॉल सेंटर में नौकरी करने वाले नौ लोग महा वायरस की चपेट में
ए अहमद सौदागर
लखनऊ।
राजधानी लखनऊ सहित यूपी के अलग-अलग जिलों में कोरोनावायरस का प्रकोप जारी है, जो थमने का नाम नहीं ले रहा है।
गुरुवार को सीएम हेल्पलाइन कॉल सेंटर में नौकरी करने वाले नौ लोग महा वायरस की चपेट में आए तो एक बार फिर राजधानीवासियों में दहशत फ़ैल गई। बढ़ते प्रकोप के बावजूद भी लोग सोशल डिस्टैसिग रखने से कतराते नजर आ रहे हैं।
वहीं लॉकडाउन में शासन-प्रशासन तथा संबंधित विभाग से ढील मिलते ही बाजारों एवं गलियारों में ऐसा लग रहा है कि कभी लॉक डाउन रहा ही नहीं। इससे साबित हो रहा है कि लापरवाह लोगों को शायद और गंभीर बीमारी बढ़ने का इंतजार है।
राजधानी लखनऊ के शहरी क्षेत्र से लेकर ग्रामीण इलाकों की बाजारों में बढ़ती भीड तथा बीते दिनों और हाल में कैंट के सदर, चिनहट, पुराना लखनऊ एवं सीएम हेल्पलाइन कॉल सेंटर में संक्रमित हुए कर्मी के बाद यही लग रहा है कि खतरनाक वायरस और गंभीर रूप ले सकता है।
हालांकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से बढ़ती बीमारी पर काबू पाने के लिए लगातार कई बार बाजारों एवं गलियारों में सेनेटाइजर का छिड़काव किया और पुलिस प्रशासन लगातार एक दूसरे से दुरियां बनाए रखने के लिए अपील कर रहा है, लेकिन लापरवाह लोगों के लिए संबंधित विभाग और पुलिस प्रशासन की हिदायत फिलहाल बेअसर साबित हो रही है।
जिसका अंदाजा गुरुवार को सीएम हेल्पलाइन कॉल सेंटर में फैली कोरोनावायरस से लगाया जा सकता है।
लॉकडाउन को करीब 90 दिन से अधिक हो गए। इस दौरान राजधानी लखनऊ सहित यूपी के अलग-अलग जिलों में कोरोनावायरस की चपेट में आने से करीब सैकड़ों लोग बेहाल हुए और कई मौत के मुंह में समा गए।
लिहाजा लगातार बढ़ती बीमारी के बाद भी लोगबाग बाजारों एवं गलियारों में भीड़ लगाने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। हालांकि इस दौरान रोजगार से लेकर नौकरी पेशे पर काफी असर भी पड़ रहा है, लेकिन जान नहीं तो सब बेकार।
फिलहाल भले ही सरकार लॉक डाउन में ढील दी और नियम कानून का पालन कर सोशल डिस्टैसिग बनाए रखने के लिए लोगों से अपील की, लेकिन कड़वा सच यही है कि बाजारों एवं गलियारों में भीड़ लगातार बढ़ती जा रही है और खुलेआम सोशल डिस्टैसिग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जिनके आगे पुलिस प्रशासन भी बेबस नजर आ रहा है।