कोरोना महामारी का दायरा कितना भयावह हो सकता है, इसका आकलन करने के लिए दुनियाभर में कई विशेषज्ञ जुटे हुए हैं। इस बीच यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के शोधकर्ताओं ने एक गणितीय मॉडल के आधार पर अनुमान जताया है कि कोरोना संक्रमण की चपेट में आने वालों की संख्या इस माह यानी मार्च में सर्वाधिक हो सकती है।
कोरोना (कोविड-19) का सबसे पहला मामला वर्ष 2019 में सामने आया था। तब से यह वायरस दुनियाभर में तकरीबन 1.70 लाख लोगों को संक्रमित कर चुका है। इस बीच यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के शोधकर्ता इस बात का अंदाजा लगा रहे हैं कि यह किस हद तक फैल सकती है। उन्होंने पुरानी महामारियों के आंकड़ों और गणितीय मॉडल के आधार पर कोरोना के बारे में कुछ निष्कर्ष निकाले हैं। शोध में शामिल किया गया एक गणितीय मॉडल बताता है कि इस माह संक्रमितों की संख्या सर्वाधिक हो सकती है। यह अंदेशा फिलहाल अमेरिका के बारे में गणना कर जताया गया है, जो स्थानीय कारकों की गणना कर कमोबेश पूरी दुनिया पर लागू हो सकता है।
महामारी का सामान्य मॉडल
यह मॉडल कहता है कि किसी महामारी के प्रसार में सबसे बड़ी भूमिका होती है, उन लोगों की जिनसे बीमारी फैलती है। इसे बेसिक रीप्रोडक्टिव नंबर अथवा आरओ कहते हैं। कोविड के मामले में हर शख्स ऐसा है जो इसका वाहक बन सकता है। जितना ज्यादा आरओ होगा, किसी बीमारी का प्रसार उतना ही तेज होगा। यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो के शोधकर्ताओं ने यह मॉडल तैयार किया है।
एक शख्स से 2.3 लोगों को संक्रमण
कोरोना के बारे में शोधकर्ताओं का आकलन है कि एक शख्स से औसतन 2.3 लोगों में सक्रमण फैलेगा। यह मॉडल कहता है कि इस बीमारी से ग्रसित होने के बाद व्यक्ति या तो मर जाएगा या पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। एक बार पूरी तरह से ठीक हो गया तो उस शख्स को दोबारा यह वायरस संक्रमित नहीं कर सकता।
4000 लोगों के बीच 84 दिन में वायरस खत्म
इस मॉडल में 4000 लोगों की जनसंख्या को लेकर मॉडल बनाया गया है। इसके मुताबिक, इन लोगों में 84 दिन में कोरोना का प्रकोप पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। क्योंकि उस दिन तक आरओ यानी बीमारी का वाहक शून्य हो जाएगा। इतने दिन में मॉडल के मुताबिक, 80 लोगों की मौत होगी और 3380 लोग पूरी तरह से ठीक हो जाएंगे। लेकिन खास बात ये है कि दुनिया इस तरह से बटी हुई नहीं है। जैसे ही कोई बीमार शख्स 4000 लोगों के इस समूह को छोड़कर बाहर निकलेगा वह दूसरों को बीमारी देगा।
खसरा की रफ्तार तेज
खसरे पर किए गए अध्ययन बताते हैं कि इसमें एक शख्स 18 लोगों को संक्रमित कर सकता है। यह बेहद तेजी से फैलता है।
इबोला बेहद घातक
इबोला से संक्रमित एक शख्स 2 अथवा दो से कम लोगों को संक्रमित करता है, मगर यह बेहद घातक है, क्योंकि इससे संक्रमित होने वाले आधे लोगों की मौत हो जाती है।
अलग रहना सबसे प्रभावी बचाव
शोधकर्ताओं के मुताबिक, हम इस बात का इंतजार नहीं कर सकते कि यह पूरी तरह से फैले और फिर स्थिति नियंत्रण में आए। इस बीमारी को फैलने से रोकने का सबसे प्रभावी तरीका यही है कि लोग खुद को भीड़ से अलग रखें और बीमार शख्स की जल्द से जल्द पहचान कर उसे पृथक करें। अगर वाहक को पृथक कर लिया तो इसका प्रसार भी कम हो जाएगा।