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COVID-19: लॉकडाउन में सुधरी दिल्ली की हवा, चीन के वुहान में फिर 2019 के हालात

Lockdown 2.0: दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से एक भारत की राजधानी दिल्ली में पर्यावरण के लिहाज से जबरदस्त परिवर्तन देखा जा रहा है। पिछले कई सालों में दिल्ली की हवा इतनी साफ कभी नहीं रही। हालांकि यह सकारात्मक परिवर्तन एक नकारात्मक कारण के चलते आया है और वो है कोरोना वायरस का वैश्विक प्रकोप।

कोविड-19 के कारण कई देशों में लॉकडाउन के कारण वाहनों का शोर थम गया है, कल-कारखानों से निकलने वाला धुआं गायब है। इसके कारण हवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, लेकिन हमारे सामने चीन का उदाहरण है, जो बताता है कि यह सुधार केवल अस्थायी होगा। लॉकडाउन खुलेगा तो यह सकारात्मकता फिर धुएं का आवरण ओढ़ लेगी और प्रदूषण फिर चरम पर होगा।

लॉकडाउन का असर : भारत और स्पेन ने कोरोना संकट से निपटने के लिए सख्त लॉकडाउन लागू किया है। इसके चलते अप्रैल 2019 की तुलना में इस अप्रैल में नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आई है। स्टेटिस्टा के अनुसार, ब्रिटेन, अमेरिका और मेक्सिको में भी हवा की गुणवत्ता सुधरी है। नाइट्रोजन ऑक्साइड ज्यादातर वाहनों और कारखानों द्वारा उत्सर्जित गैस है।

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर हुआ कम : सर्वाधिक प्रभावित करने वाला परिवर्तन दिल्ली में देखा गया है। दिल्ली दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से एक है। यहां प्रदूषण का बड़ा हिस्सा वाहनों से आता है। यही कारण है कि दिल्ली में नाइट्रोजन ऑक्साइड के स्तर में जबरदस्त कमी देखी गई है। वायु प्रदूषण जिसे आमतौर पर पीएम 2.5 ( 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम व्यास के कण) से मापा जाता है, कई कारकों के संयोजन से बनता है। इसमें यातायात, कारखानों के साथ ही तूफान और आग जैसी प्राकृतिक घटनाएं और ठोस पदार्थों के साथ खाना बनाना शामिल है।

वुहान फिर पुरानी राह पर : वुहान जहां पर कोरोना वायरस की उत्पत्ति हुई और इसका प्रकोप बड़े पैमाने पर देखा गया। अप्रैल में यहां जीवन फिर से पटरी पर लौटने लगा है और अब नाइट्रोजन ऑक्साइड का स्तर एक बार फिर 2019 के स्तर की ओर बढ़ रहा है।

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