50 दिन एक दर्जन हत्याएं
कहीं चला चाकू, कहीं गला दबाकर तो कहीं पर तड़तड़ाई गोलियां
ए अहमद सौदागर
लखनऊ।
राजधानी लखनऊ में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की सेवा समाप्त होने के बाद नए साल यानी 2020 में कमिश्नर प्रणाली लागू हुई तो लोगों की उम्मीदें जागी कि अब अपराधी बेलगाम नहीं रह पाएंगे।
तब शायद अंदाजा नहीं था कि आने वाले हर सप्ताह पिछले दिनों हुई कई संगीन वारदातों की तरह वैसे ही फिर नई चुनौती सामने होगी और हर सप्ताह महिला, युवक, अधेड़ व मासूम बच्चों के साथ हो रही घटनाएं सुर्खियों में रहेगी।
वर्ष 2017, 2018, 2019 तो दूर वर्ष 2020 में जनवरी से लेकर 20 फरवरी तक कातिलों ने 10 लोगों की हत्या कर पुलिस कमिश्नर को खुली चुनौती दे डाली।
इनमें दोहरे हत्याकांड से लेकर मासूम बच्ची एवं युवक तथा व्यापारी शामिल है।
वैसे तो पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे ने अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर मातहतों को हर समय मुस्तैद रहने के लिए हिदायत दी, लेकिन कमिश्नर का फरमान शायद मातहतों को भा रहा है।
50 दिन और 10 हत्याएं
कहीं पर चाकू चला तो कहीं पर गोलियां तड़तड़ाई तो कहीं गला घोट दिया गया।
कोई अपनों तो कोई बदमाशों का निशाना बना।
खास बात यह रही थी बदमाश गोलियां और चाकू चलाकर लोगों की जान लेते रहे और पुलिस चौकी खामोश बैठ तमाशबीन बनी रही।
बदमाशों के दुस्साहस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने चौक स्थित भरी बाजार में दुकान में धावा बोलकर व्यापारी समीर अग्रवाल व पाश इलाका कहे जाने वाले गोमती नगर में छात्र प्रशांत सिंह की हत्या।
यही नहीं पुलिस की लापरवाही पर गौर करें तो 20 जनवरी को चिनहट में युवती का गला रेता।
6 जनवरी को अमीनाबाद में महिला की हत्या।
27 जनवरी कृष्णा नगर में वकील शिशिर त्रिपाठी पीट पीटकर हत्या।
10 जनवरी को ठाकुरगंज में कलाम अहमद के हत्या।
19 जनवरी को गुडंबा में पत्नी व दो बच्चों की हत्या कर पति ने की आत्महत्या।
17 फरवरी को मड़ियांव में एक दरिंदे ने मासूम बच्ची उतारा मौत के घाट।
20 फरवरी को चौक में व्यापारी समीर अग्रवाल व गोमतीनगर में छात्र प्रशांत सिंह की बेरहमी से हत्या।